भारतीय कारों का दिलचस्प इतिहास
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Indian cars history: भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग आज दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेज़ी से बढ़ते उद्योगों में से एक है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस शानदार सफर की शुरुआत कैसे हुई थी? क्या आपको पता है कि टाटा सूमो का नाम किसी पहलवान पर नहीं रखा गया?
इस लेख में, हम भारतीय ऑटोमोबाइल इतिहास के कुछ सबसे दिलचस्प, अनसुने और अद्भुत तथ्यों पर प्रकाश डालेंगे. इन फैक्ट्स और कहानियों को जानकर आप हैरान रह जाएँगे और भारतीय सड़कों पर दौड़ती इन मशीनों को एक नई नज़र से देखेंगे!
1. भारत की पहली कार और उसके मालिक: 1897 में एक अंग्रेज और 1898 में एक भारतीय
जब हम भारत में पहली कार की बात करते हैं, तो अक्सर लोगों को लगता है कि यह बहुत बाद में आई होगी, लेकिन यह 1897 की बात है. उस समय बॉम्बे में क्रॉम्प्टन ग्रीव्स (Crompton Greaves) के एक ब्रिटिश कर्मचारी मिस्टर फोस्टर (Mr. Foster) ने भारत में पहली कार खरीदी थी. लेकिन भारतीय इतिहास में यह सम्मान भारत के महान उद्योगपति जमशेदजी टाटा (Jamshedji Tata) को जाता है. उन्होंने 1898 में अपनी पहली कार खरीदी थी और इस तरह वे पहले भारतीय कार मालिक बने. यह एक रोचक तथ्य है कि जिस परिवार ने पहली कार खरीदी, उसी परिवार के सदस्य रतन टाटा (Ratan Tata) ने भारत की पहली स्वदेशी कार का निर्माण भी किया.
2. भारत में बनी पहली कार: हिंदुस्तान एंबेसेडर (1957)
हममें से कई लोग मारुति 800 को भारत की पहली कार मानते हैं, लेकिन यह सच नहीं है. भारत में निर्मित होने वाली पहली कार हिंदुस्तान एंबेसेडर (Hindustan Ambassador) थी. यह ब्रिटिश कंपनी मॉरिस मोटर्स (Morris Motors) की मॉरिस ऑक्सफोर्ड सीरीज III पर आधारित थी. इसका उत्पादन 1957 में पश्चिम बंगाल के कलकत्ता में हिंदुस्तान मोटर्स (Hindustan Motors) के प्लांट में शुरू हुआ था. इसे ‘भारत की सड़क की रानी’ के नाम से जाना जाता था, क्योंकि यह कार दशकों तक मंत्रियों से लेकर आम आदमी तक सभी की पसंदीदा रही.
3. भारत की पहली स्वदेशी कार: टाटा इंडिका (1998)

टाटा इंडिका को ‘मेक इन इंडिया’ का पहला सफल प्रतीक माना जा सकता है. रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा मोटर्स (Tata Motors) ने 1998 में इस कार को जेनेवा मोटर शो (Geneva Motor Show) में पेश किया. इसे पूरी तरह से भारत में ही डिज़ाइन और विकसित किया गया था. रतन टाटा ने इस कार को लेकर एक नारा दिया था: “A car with the price of a small car, the space of a sedan, and the running cost of a diesel car” (एक छोटी कार की कीमत में, एक सेडान की जगह और एक डीजल कार की चलने की लागत). इस कार ने भारतीय कार बाजार को पूरी तरह से बदल दिया.
4. टाटा सूमो का नामकरण: एक श्रद्धांजलि
टाटा सूमो का नाम उसके विशाल आकार के कारण ‘सूमो’ नहीं रखा गया था. यह नाम टाटा मोटर्स के पूर्व एमडी सुमंत मूलगांवकर (Sumant Moolgaokar) के नाम पर था. ‘सु’ उनके पहले नाम से और ‘मो’ उनके अंतिम नाम से लिया गया था. यह नाम गाड़ी के बड़े आकार के साथ एक सुखद संयोग की तरह फिट हो गया. सूमो ने भारत में यूटिलिटी वाहनों के सेगमेंट को नई पहचान दी.
5. भारत की पहली इलेक्ट्रिक कार: रेवा (2001)
आज जब हम इलेक्ट्रिक वाहनों की क्रांति की बात कर रहे हैं, तो यह जानकर आश्चर्य होता है कि भारत की पहली स्वदेशी इलेक्ट्रिक कार रेवा (Reva) 2001 में ही आ गई थी. इसे बेंगलुरु के इंजीनियर चेतन मैनी (Chetan Maini) ने डिज़ाइन और बनाया था. भारत में रेवा को उतनी सफलता नहीं मिली, लेकिन यूके में इसे जी-विज़ (G-Wiz) के नाम से बेचा गया और यह काफी लोकप्रिय हुई.
6. भारत की पहली कन्वर्टिबल कार: स्टैंडर्ड हेराल्ड (1965)
क्या आप जानते हैं कि भारत में पहली कन्वर्टिबल (जिसकी छत हटाई जा सके) कार कौन सी थी? यह थी स्टैंडर्ड हेराल्ड (Standard Herald). इसे 1965 में ब्रिटिश कंपनी ट्रायम्फ (Triumph) के हेराल्ड प्लेटफॉर्म पर भारत में स्टैंडर्ड मोटर्स (Standard Motors) द्वारा बनाया गया था. यह कार अपने स्टाइलिश डिज़ाइन और टू-डोर लेआउट के लिए जानी जाती थी.
7. भारत की पहली जीप: महिंद्रा एंड महिंद्रा (1949)
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद, महिंद्रा भाइयों (केसी महिंद्रा और जगदीश चंद्र महिंद्रा) ने अमेरिकी विलीज़ जीप (Willys Jeep) के पार्ट्स को भारत में असेंबल करना शुरू किया. 1949 में, उन्होंने मुंबई के माज़गाँव डॉक में एक असेंबली प्लांट स्थापित किया और पहली भारतीय-निर्मित जीप का निर्माण किया. यह कदम बाद में महिंद्रा एंड महिंद्रा (Mahindra & Mahindra) को भारत के सबसे बड़े वाहन निर्माताओं में से एक बनाने की नींव साबित हुआ.
8. मारुति 800: एक क्रांति का प्रतीक
1983 में लॉन्च हुई मारुति 800 (Maruti 800) ने भारत के मध्यम वर्ग के लिए कार खरीदने के सपने को साकार किया. यह जापान की सुजुकी फ्रंट (Suzuki Fronte) पर आधारित थी. इस कार का पहला मॉडल तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) द्वारा लकी ड्रॉ के विजेता श्री हरपाल सिंह (Mr. Harpal Singh) को सौंपा गया था. 29 लाख से ज़्यादा यूनिट्स की बिक्री के साथ, मारुति 800 भारत में सबसे ज़्यादा बिकने वाली कारों में से एक है.
9. भारत का पहला मोटरस्पोर्ट्स इवेंट: 1904
अगर आप सोचते हैं कि भारत में मोटरस्पोर्ट्स का इतिहास नया है, तो आप गलत हैं. भारत का पहला रिकॉर्डेड मोटरस्पोर्ट्स इवेंट 28 अगस्त 1904 को कलकत्ता में हुआ था. यह एक एंड्योरेंस रैली थी, जिसमें 11 कारें कलकत्ता से बैरकपुर (Barrackpore) तक गई थीं. यह उस समय कलकत्ता में मौजूद कुल कारों का 20% थीं!
10. पहले भारतीय F1 और WRC ड्राइवर
भारतीय मोटरस्पोर्ट्स में अंतर्राष्ट्रीय पहचान लाने का श्रेय दो महान ड्राइवरों को जाता है. नारायण कार्तिकेयन (Narain Karthikeyan) 2005 में जॉर्डन (Jordan) टीम के साथ फॉर्मूला वन (F1) में भाग लेने वाले पहले भारतीय बने. उनके बाद 2010 में करुण चंडोक (Karun Chandhok) आए. विश्व रैली चैम्पियनशिप (WRC) में भाग लेने वाले पहले भारतीय ड्राइवर नरेन कुमार (Naren Kumar) थे, जिन्होंने 2008 में अपनी शुरुआत की.
भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग का यह सफर सिर्फ मशीनों का नहीं है, बल्कि यह कहानियों, नवाचारों और सपनों का एक संगम है. ये तथ्य हमें बताते हैं कि कैसे एक साधारण शुरुआत से भारत ने दुनिया के सबसे बड़े वाहन निर्माताओं में अपनी जगह बनाई है.
प्रश्न और उत्तर (Q&A)
Q- भारत की पहली स्वदेशी कार कौन सी थी?
A-भारत की पहली स्वदेशी कार टाटा इंडिका थी, जिसे 1998 में टाटा मोटर्स द्वारा लॉन्च किया गया था.
Q- टाटा सूमो का नाम क्यों पड़ा?
A-टाटा सूमो का नाम टाटा मोटर्स के पूर्व एमडी सुमंत मूलगांवकर के नाम पर रखा गया था, जो उन्हें श्रद्धांजलि थी.
Q-मारुति 800 के पहले मालिक कौन थे?
A- मारुति 800 के पहले मालिक श्री हरपाल सिंह थे, जिन्होंने एक लकी ड्रॉ में यह कार जीती थी.
Q- भारत में बनी पहली इलेक्ट्रिक कार कौन सी थी?
A- भारत में बनी पहली इलेक्ट्रिक कार रेवा (Reva) थी, जिसे 2001 में लॉन्च किया गया था.
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