उत्तर भारत का गेटवे बनेगा जेवर एयरपोर्ट
जेवर से राजधानी दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट को मिलेगी राहत
मेरठ के राजीव त्यागी को आम दिनों में दिल्ली स्थित अपने ऑफिस पहुंचने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ती है। दो-तीन घंटे ट्रैफिक जाम से जूझना पड़ता है। इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा (आईजीआई) से फ्लाइट पकड़ने की सोच कर ही उन्हें पसीना आ जाता है। राजीव की तरह ही पश्चिमी यूपी के दर्जनभर जिलों के निवासी पिछले कई सालों से इसी मनोस्थिति से गुजर रहे हैं। हालांकि धीरे-धीरे वो दिन भी नजदीक आ रहा है जब दिल्ली-एनसीआर समेत पश्चिमी यूपी के करोड़ों निवासियों को राहत मिलेगी। दरअसल, अगले नोएडा स्थित जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट शुरू हो जाएगा।
30 हजार करोड़ की लागत और 1334 हेक्टेयर में बन रहा जेवर एयरपोर्ट भारत का सबसे बडा एयरपोर्ट होगा। फिलहाल सबसे बडे एयरपोर्ट का तगमा राजधानी के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास है। हालांकि, उद्घाटन के बाद जेवर एयरपोर्ट ना केवल क्षेत्रफल के आधार पर नंबर 1 बन एयरपोर्ट बन जाएगा बल्कि इसकी टिकटें भी सस्ती होंगी। आईजीआई की तुलना में यात्रियों को प्रति टिकट 1,500 रुपये की बचत होगी। ऐसा दिल्ली और यूपी में एटीएफ (एविएशन टर्बाइन फ्यूल) शुल्क में अंतर के कारण संभव होगा। वर्तमान में यूपी केवल 1 प्रतिशत जबकि दिल्ली 25 प्रतिशत एटीएफ शुल्क वसूलता है। इसका मतलब यह है कि यदि जेवर एयरपोर्ट से यात्री फ्लाइट पकड़ता है तो हवाई किराए पर 10 से 15 प्रतिशत की बचत होगी। दिल्ली से लखनऊ तक हवाई जहाज के जिस टिकट की कीमत आईजीआई पर 3,500 रुपये होगी वो जेवर एयरपोर्ट पर लगभग 2,800 रुपये में ही बुक किया जा सकेगा।
उड्डयन मंत्रालय ने तो यहां तक अनुमान लगाया है कि अगले साल सितंबर में विमान परिचालन शुरू होने के बाद 35 हजार यात्री आईजीआई से जेवर एयरपोर्ट शिफ्ट हो जाएंगे। इससे सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह एयरपोर्ट यूपी के विकास के लिए किस तरह संजीवनी साबित होगा।
योगी सरकार जेवर एयरपोर्ट को एयर कार्गो का हब बना रही है। साथ ही एयरपोर्ट पर 40 एकड़ में एमआरओ (मेंटीनेंस रिपेयरिंग एंड ओवर हॉलिंग) की सुविधा दी जाएगी। यानी यहीं देश विदेश के विमानों की सर्विसिंग भी यहीं एयरपोर्ट पर होगी। वर्तमान में भारत के 85 प्रतिशत विमानों को एमआरओ के लिए विदेश भेजना पड़ता है। जिसपर प्रतिवर्ष 15 हजार करोड़ रुपए खर्च होते हैं।
कई बडी एयरलाइंस कंपनियों ने जेवर एयरपोर्ट को एशिया पैसिफिक ट्रांजिट हब बनाने में भी दिलचस्पी दिखाई है। इसमें एयर इंडिया, एयर एशिया, विस्तारा, इंडिगो आदि शामिल है। इससे एयरपोर्ट में यात्रियों की संख्या में वृद्धि होगी। मान लीजिए अगर किसी को एयर इंडिया की फ्लाइट पकड़कर अमेरिका से भारत के किसी पड़ोसी देश जाना है तो उसे पहले जेवर एयरपोर्ट आना होगा। फिर यहां से गंतव्य के लिए फ्लाइट पकडेगा।
यूपी सरकार, डीएमआरसी के साथ मिलकर जेवर एयरपोर्ट को आईजीआई एयरपोर्ट से भी जोड़ने की योजना बनाई है। इसके लिए 74 किमी लंबा मेट्रो कॉरिडोर बनाने की बात चल रही है। योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली बीजेपी सरकार जेवर एयरपोर्ट को कनेक्टिविटी के मॉडल के रूप में विकसित कर रही है। यहां आने-जाने के लिए टैक्सी, मेट्रो और रेल तक की कनेक्टिविटी होगी। एयरपोर्ट से निकलते ही यात्री सीधे यमुना एक्सप्रेसवे पर आ सकते हैं, नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे तक जा सकते हैं। यूपी, दिल्ली, हरियाणा कहीं भी जाना है तो थोड़ी सी देर में पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पहुंच सकते हैं। इससे यह साफ है कि जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट भविष्य में उत्तरी भारत का लॉजिस्टिक गेटवे बनेगा।
यूपी के निर्यात में पश्चिमी यूपी की हिस्सेदारी 78 प्रतिशत है। लेकिन यह दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि यहां हवाई अड्डा बनाने में पूर्व की सरकारों ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। दो दशक पूर्व बीजेपी ने ही इस एयरपोर्ट का सपना देखा था। लेकिन, पूर्ववर्ती सरकारों ने तो इस प्रोजेक्ट को बंद करने की सिफारिश तक कर दी थी। 2017 में जब यूपी में बीजेपी की सरकार बनी तो इस योजना पर काम शुरू हुआ। पश्चिमी यूपी में अलीगढ़, मथुरा, मेरठ, आगरा, बिजनौर, मुरादाबाद, बरेली जैसे अनेकों औद्योगिक क्षेत्र हैं। इनका यूपी के सर्विस सेक्टर से लेकर कृषि सेक्टर में अहम योगदान है। जेवर एयरपोर्ट एक्सपोर्ट के इन केंद्रों को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से सीधे कनेक्ट करेगा। चाहे खुर्जा क्षेत्र के कलाकार हों या फिर मेरठ की स्पोर्ट्स इंडस्ट्री, सहारनपुर का फर्नीचर हो या मुरादाबाद का पीतल उद्योग, आगरा के फुटवियर और पेठा से लेकर पश्चिमी यूपी के अनेक कुटीर उद्योग की विदेशों तक पहुंच आसान होगी। इतना ही नहीं जेवर एयरपोर्ट शुरू होने के बाद यूपी में अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट की संख्या बढ़कर 5 हो जाएगी। कभी अपराध, जातिवाद, गरीबी और पिछडेपन के लिए बदनाम यूपी के लिहाज ये यह उपलब्धि बहुत मायने रखती है।