1857 की क्रांति: सितंबर में अंग्रेज और क्रांतिकारियों के बीच भयंकर युद्ध हुआ। क्रांतिकारियों ने जमकर मुकाबला किया। दोपहर तक अंग्रेजों की हिम्मत तेजी से कम होती जा रही थी। शहर की चारदीवारी के अंदर पहुंचने की खुशी इस अहसास से कम हो गई थी कि अब भी उनके रास्ते में कितनी रुकावटें थीं और बागी किस तरह पूरी ताकत से उनका मुकाबला करने के लिए तैयार थे। आश्चर्यचकित कर्नल जॉर्ज बोर्शियर ने लिखा है, “यह साफ था कि दुश्मन हर सड़क और एक-एक फुट के लिए हमसे लड़ने पर तुला है। “
अब तक अंग्रेजों ने सिर्फ एक चौथाई शहर पर कब्ज़ा किया था लेकिन इस चौथाई में उन्हें इतना नुक्सान हुआ था, जो अब तक नहीं हुआ था। किसी को भी अंदाज़ा नहीं था कि उनकी फौज को इतने ज़्यादा लोग खो देने पड़ेंगे। सूर्योदय के समय जो लोग शहर पर हमला करने निकले थे, उनमें से तकरीबन एक तिहाई सूर्यास्त तक खत्म हो चुके थे- कोई ग्यारह सौ सिपाही और साठ अफसर मारे गए थे, जिनमें एनी फॉरेस्ट का प्रेमी हैरी गैबियर भी शामिल था। मरने वालों में हर्वी ग्रेटहैड भी था, जो गोली से नहीं बल्कि हैजे से बीमार होकर खत्म हुआ था।
अब तक रिज के फौजी अस्पताल का हाल अवर्णनीय हो चुका था। पादरी रॉटन मरणासन्नों का हौसला बढ़ाने के लिए पलंगों के बीच में फिर रहा था, जबकि “सर्जन और डॉक्टर सब ऑपरेशन करने में मसरूफ थे। लगभग हर तरह के अंग काटे जा रहे थे। रक्तहीन और सिकुड़ी हुई टांगें, बांहें और उंगलियां जो अब किसी जिस्म का हिस्सा नहीं थीं, बेतरतीबी से जमीन पर पड़ी थीं।”
वार्ड में जख्मियों के ढेर लगा था। एक-एक चारपाई पर दो-तीन । एडवर्ड वाइबर्ट भी वहां था, वह अभी तक गुस्से में था कि उसे रिजर्व दस्ते में रखा गया था और उसे इस बवंडर में हिस्सा लेने का मौका नहीं मिलाः
“दूसरों से ज़्यादा मुझे इस लड़ाई में हिस्सा लेना चाहिए था। लेकिन शायद मेरी किस्मत में यही लिखा था कि मैं कैंप में ठहरूं और बदकिस्मत जख्मियों और मरणासन्नों की देखभाल करूं। हर मिनट और लोग अंदर लाए जा रहे थे। मैंने ऐसा भयानक दृश्य कभी नहीं देखा। उन भयानक दृश्यों को देखकर मेरा दिल दुख रहा था… मैं अपने बेचारे मेजर की खैरियत पूछने गया, जिसकी टांग काट दी गई थी, लेकिन मैंने बस उसका जिस्म एक कंबल में सिला देखा… क्रांतिकारियों ने जी-जान से मुकाबला किया था। उनके एक मोर्चे से हमें तीन बार खदेड़ दिया गया था, और शायद हम अभी भी उस पर कब्ज़ा नहीं कर पाए हैं।