सिद्ध को भारत की विशाल और विविध आबादी की उभरती ज़रूरतों के अनुसार किया गया है डिज़ाइन

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

skill india digital hub: स्किल इंडिया डिजिटल हब (सिद्ध) एक ऐसा अद्वितीय और प्रभावशाली प्लेटफॉर्म है जो भारत में स्किलिंग की आवश्यकताओं को तेज गति से पूरा कर रहा है। यह प्लेटफॉर्म इंडस्ट्री की मांग के अनुसार व्यक्तियों को सुनहरे अवसर देकर उन्हें सशक्त बना रहा है। इस प्लेटफॉर्म पर प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना, पीएम विश्वकर्मा योजना जैसी फ्लैगशिप योजना सहित सभी कौशल योजनाओं के लिए एक विस्तृत डैशबोर्ड है जो देश के युवाओं से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक कौशल विकास की पहुँच सुनिश्चित कर रहा है।

सिद्ध भारत में कौशल, शिक्षा, रोज़गार और उद्यमिता को एक साथ जोड़ने के पूरे परिदृश्य की नई तस्वीर सामने ला रहा है । यह उन लाखों भारतीयों की आकांक्षाओं और सपनों को पूरा करने जा रहा है जो उद्योग से संबंधित कौशल पाठ्यक्रम खोजने, रोजगार ढूँढने और उद्यमी बनने के बेहतर अवसर पाने के साथ ही उज्जवल भविष्य की तलाश करते हैं। यह प्लेटफ़ॉर्म भारत में सभी सरकारी कौशल और उद्यमिता पहलों के लिए व्यापक इन्फॉर्मेशन गेटवे प्रदान करने वाला है।

उद्योग से संबंधित कौशल पाठ्यक्रम, नौकरी के अवसर और उद्यमिता सहायता प्रदान करने के लिए सिद्ध को भारत की विशाल और विविध आबादी की उभरती ज़रूरतों के अनुसार डिज़ाइन किया गया है।

उम्र के साथ सीखने की कोई सीमा नहीं होती, और यह बात सिद्ध के माध्यम से पूरी तरह से स्पष्ट होती है। सिद्ध ने देश के अनेक वरिष्ठ नागरिकों को नई तकनीकें और कौशल सिखाकर उन्हें भविष्य के लिए तैयार किया है। चाहे डिजिटल साक्षरता हो या पेशेवर कौशल, सिद्ध ने यह साबित किया है कि नई चीजें सीखने का कोई तय समय नहीं होता है।

सिद्ध एक ऐसा व्यापक डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म बन गया है जो अपने करियर को आगे बढ़ाने और जीवन पर्यन्त सीखने की चाह रखने वाले सभी व्यक्तियों के लिए एक सेन्ट्रलाइज्ड हब के रूप में कार्य करता है। यहाँ हर व्यक्ति विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त कर सकता है। सिद्ध उन व्यक्तियों के लिए प्राथमिक गंतव्य बन गया है जो अपने करियर को आगे बढ़ाना चाहते हैं या नए कौशल हासिल करना चाहते हैं। सिद्ध उन्हें व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास की दिशा में मूल्यवान संसाधनों और मार्गदर्शन तक आसान पहुँच प्रदान कर रहा है।

13 सितंबर, 2023 को औपचारिक रूप से लॉन्च किए गए सिद्ध ने बहुत ही कम समय में कई उपलब्धियाँ हासिल की हैं। सिद्ध पर वरिष्ठ नागरिकों द्वारा सीखने की चाह यह बताती है कि हम एक ऐसे डिजिटल युग में प्रवेश कर चुके हैं जहाँ जीवन पर्यन्त सीखना बेहद आसान है। सिद्ध अपने समावेशी दृष्टिकोण के साथ  50 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों को सशक्त बनाने में बेहद कारगर साबित हो रहा है।

सिद्ध प्लेटफार्म पर पर अनेक वरिष्ठ नागरिकों ने उम्र की रूढ़ियों को चुनौती देते हुए अपने जीवन को बेहतर बनाया है। देश भर में 32 राज्यों और 505 जिलों में फैले 4,799 से अधिक वरिष्ठ नागरिकों के नामांकन के साथ, आज आजीवन सीखने की धारणा  मजबूत होती जा रही है। वेब डिज़ाइन, साइबर सिक्योरिटी और किसान ड्रोन ऑपरेशन जैसे कई पाठ्यक्रम न केवल लोकप्रिय विकल्प बन चुके हैं बल्कि व्यक्तिगत और पेशेवर कायाकल्प के प्रवेश द्वार बन कर उभर रहे हैं।

यदि हम सिद्ध प्लेटफॉर्म पर अधिक उम्र के नागरिकों की सफलता की बात करें तो असम के जोरहाट के रहने वाले 51 वर्षीय पार्थ बरुआ की कहानी बड़ी ही रोचक है। पार्थ जीवन पर्यन्त सीखने की भावना और पारंपरिक प्रथाओं में आधुनिक तकनीक को एकीकृत करने की उत्सुकता के साथ आगे बढ़ते जा रहे हैं। पार्थ को सबसे पहले एक मित्र के माध्यम से सिद्ध पोर्टल  के बारे में पता चला। उनकी शुरुआती जिज्ञासा जल्द ही उनके करियर को आगे बढ़ाने की उत्सुकता में बदल गई। एक खेत के मालिक के रूप में पार्थ ने सिद्ध पर किसान ड्रोन ऑपरेटर कोर्स का विकल्प चुना क्योंकि पार्थ को पता था कि ड्रोन किस तरह की मदद कर सकते हैं। पार्थ का विचार था कि ड्रोन हमारे क्षेत्र में कृषि में क्रांति ला सकते हैं।

वर्तमान में, हम रसायनों का छिड़काव मैन्युअल रूप से करते हैं, जो न केवल अधिक समय लेने वाला है बल्कि कम प्रभावी है लेकिन ड्रोन के साथ इस प्रक्रिया को स्वचालित किया जा सकता है। पार्थ एक ट्रैवल एजेंसी भी चलाते हैं। वह असम की प्राकृतिक सुंदरता को उजागर करने वाले वीडियो और फ़ोटो खींचने के लिए ड्रोन का उपयोग करने के तरीके के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, जिससे उनकी ट्रैवल एजेंसी और अधिक समृद्ध हो सके। कौशल की आवश्यकता को पहचानते हुए पार्थ का सिद्ध के साथ अनुभव सुखद रहा है। पार्थ आसानी से सुलभ पाठ्यक्रमों के लिए सिद्ध को बहुत अच्छा प्लेटफार्म मानते हैं। पार्थ सिद्ध पर अन्य पाठ्यक्रम भी करना चाहते हैं। पार्थ की नज़र ऐसे पाठ्यक्रमों पर है जो उनके ट्रैवल बिजनेस के लिए विज्ञापन और अन्य प्रचार सामग्री बनाने में उनकी सहायता करें। इसके अलावा, सिद्ध पर पर्यटन से संबंधित पाठ्यक्रमों ने भी उनका ध्यान आकर्षित किया है।

सिद्ध जैसे प्लेटफॉर्म ऑनलाइन सीखने की सुविधा के साथ हैं जो पार्थ जैसे अधिक उम्र के व्यक्तियों के लिए बेहद लाभप्रद हैं। चूँकि वे ऑनलाइन पाठ्यक्रम हैं, इसलिए पार्थ उन्हें अपने काम के बीच में भी कर सकते हैं। ऑनलाइन सीखने का यह पहलू पार्थ जैसे पेशेवरों के लिए महत्वपूर्ण है ताकि उन्हें व्यावसायिक जिम्मेदारियों के साथ निरंतर अपनी शिक्षा का संतुलन बनाए रखने में आसानी हो। पार्थ जानते हैं कि अगर ऐसे नहीं सीखेंगे, तो वे दूसरों को समझाने में सक्षम नहीं रहेंगे इसलिए सिद्ध जैसे प्लेटफार्म के द्वारा जीवन भर सीखते रहने की ज़रूरत है।

अधिक उम्र के नागरिकों में एक और सफलता की कहानी 55 वर्षीय फील्ड टेक्नीशियन प्रफुल्ल रावत की है। कंप्यूटिंग और पेरिफेरल्स के काम में प्रफुल्ल ने राजस्थान में अपनी जड़ें मजबूती से जमा ली हैं। प्रफुल्ल राजस्थान को प्यार से अपनी ‘कर्मभूमि’ कहते हैं। राजस्थान के झुंझुनू में एक आईटीआई में प्रशिक्षक के रूप में, प्रफुल्ल अपने छात्रों के व्यावहारिक कौशल को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रफुल्ल का सिदध् से जुड़ाव तब शुरू हुआ जब उन्होंने हार्डवेयर के लिए विशेष रूप से तैयार एक पाठ्यक्रम की खोज की। प्रफुल्ल को सिद्ध का पाठ्यक्रम अच्छा लगा। बुनियादी हार्डवेयर ज्ञान के महत्व को जानने वाले प्रफुल्ल ने ज्ञान के परिवर्तनकारी प्रभाव को समझते हुए सुनिश्चित किया कि उनके 13 से 14 आईटीआई छात्र पाठ्यक्रम पूरा करें। प्रफुल्ल ने सिद्ध के माध्यम से रोजगार कौशल और उद्यमिता कौशल पर अपना पाठ्यक्रम पूरा किया। प्रफुल्ल भारतीय भाषाओं में सिद्ध के और अधिक पाठ्यक्रम भी देखना चाहते हैं। इसके अलावा प्रफुल्ल ऐसे पाठ्यक्रमों की वकालत करते हैं जो साक्षात्कार या पदोन्नति के लिए आवश्यक हैं और जो स्थानीय युवाओं को प्रेरित कर सकते हैं।

अधिक उम्र के नागरिकों में सिद्ध कितना लोकप्रिय हुआ है इसका एक अन्य उदाहरण, नई दिल्ली के अशोक विहार में रहने वाले 54 वर्षीय शिक्षक संजीव निगम हैं। संजीव का शिक्षण करियर 28 वर्षों से अधिक का रहा है। एक शिक्षक के रूप में अपने विस्तृत करियर में संजीव ने 9 से 12 वर्ष की आयु के सैकड़ों छात्रों को शिक्षित किया है।

संजीव की सोच यह थी कि बच्चे जो भी पाठ्यक्रम कर रहे हैं, वे उनके स्कूल के विषयों में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए पर्याप्त रूप से अच्छे हैं, लेकिन वे उन्हें भविष्य के लिए तैयार करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। जल्दी शुरू करने की ताकत में विश्वास करने वाले संजीव का मानना था कि यदि बच्चों में कम उम्र में कुशल बनने का एक बीज बोया जाता है, तो यह बड़ा पेड़ बन सकता है।

विश्व स्तर पर एआई के लिए मची होड़ के बारे में संजीव जानते थे, लेकिन उन्हें स्वयं इसके बारे में अनभिज्ञ होने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ा। अब संजीव सिद्ध प्लेटफॉर्म से मिली सीख का इस्तेमाल अपने छात्रों को रोजाना एआई के बारे में पढ़ाने के लिए करते हैं और उन्हें भविष्य के लिए तैयार रहने के लिए सशक्त बनाते हैं। संजीव इस प्लेटफॉर्म और अपने द्वारा सीखे गए पाठ्यक्रम की बहुत सराहना करते हैं। संजीव चाहते हैं कि शिक्षकों के लिए एक खास प्लेटफॉर्म होना चाहिए जहां वे जाकर अपने छात्रों को किसी खास विषय के बारे में पढ़ा सकें। उम्र के कई पड़ाव पार कर चुके इन नागरिकों की सफलताओं से यह स्पष्ट है कि सिद्ध एक शैक्षणिक प्लेटफॉर्म से कहीं अधिक है। सिद्ध उनके व्यवसायों को बढ़ाने और आधुनिक बनाने का एक प्रवेश द्वार बन चुका है। सिद्ध ने साबित कर दिया है कि जैसे-जैसे किसी भी उम्र के लोग अधिक पाठ्यक्रमों की खोज और नामांकन करना जारी रखते हैं, वे एक नई मंजिल की ओर बढ़ते जाते हैं। यही वजह है कि आज सिद्ध एक कुशल, सशक्त और भविष्य के सपनों का भारत बनाने की इस स्वर्णिम यात्रा का साक्षी बनता जा रहा है।

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