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AICTE और एनआईईएलआईटी ने उभरती प्रौद्योगिकियों में तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास को आगे बढ़ाने के लिए किया समझौता

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AICTE
SOURCE-PRESS RELEASE

समझौते से सेमीकंडक्टर, क्वांटम प्रौद्योगिकी, उन्नत दूरसंचार और साइबर सुरक्षा सरीखे क्षेत्रों में उभरकर सामने आएंगी प्रतिभाएं

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

AICTE: अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) और राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईईएलआईटी) ने भारत में तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास के ईकोसिस्टम को संयुक्त रूप से बढ़ाने के लिए समझौता ज्ञापन (एमओए) पर हस्ताक्षर किए। एआईसीटीई के सदस्य सचिव प्रो. राजीव कुमार और एनआईईएलआईटी के रजिस्ट्रार डॉ. एस.के. धुरंधर ने एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम, एनआईईएलआईटी के महानिदेशक डॉ. मदन मोहन त्रिपाठी, एआईसीटीई के उपाध्यक्ष डॉ. अभय जेरे और दोनों संस्थानों के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए।

इस रणनीतिक साझेदारी के जरिये भारत की तकनीकी शिक्षा के लिए सर्वोच्च संस्था एआईसीटीई और उद्योग-उन्मुख आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स प्रशिक्षण में प्रमुख संस्थान एनआईईएलआईटी एक साथ मिलकर वैश्विक उद्योग मानकों के अनुरूप कुशल, भविष्य के लिए तैयार कार्यबल विकसित करने के लिए सहयोगी पहल करेंगे।

एआईसीटीई के अध्यक्ष प्रो. टी.जी. सीताराम ने इसे एक बहुप्रतीक्षित और महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा, “इस पहल के माध्यम से हमारा लक्ष्य उद्योग-संबंधित शिक्षा प्रदान करना और सेमीकंडक्टर, क्वांटम प्रौद्योगिकी, उन्नत दूरसंचार और साइबर सुरक्षा जैसे उभरते क्षेत्रों में भारत के विकास का समर्थन करने के लिए एक कुशल प्रतिभा पूल तैयार करना है। यह सहयोग संकाय क्षमताओं को बढ़ाकर और छात्रों को इन अत्याधुनिक तकनीकों के बारे में व्यावहारिक जानकारी प्रदान करके एआईसीटीई पारिस्थितिकी तंत्र को और मजबूत करेगा।”

एनआईईएलआईटी के महानिदेशक डॉ. मदन मोहन त्रिपाठी ने तकनीकी शिक्षा को उद्योग जगत की तेजी से विकसित हो रही जरूरतों के साथ जोड़ने के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “यह संयुक्त प्रयास तकनीकी शिक्षा को अधिक गतिशील और उद्योग-उत्तरदायी बनाने के हमारे साझा दृष्टिकोण को दर्शाता है। एनआईईएलआईटी के पास उच्च-स्तरीय कौशल विकास में गहन विशेषज्ञता है, जबकि एआईसीटीई के पास एक विशाल शैक्षणिक बुनियादी ढाँचा है। साथ मिलकर हम शैक्षणिक कार्यक्रमों में वास्तविक दुनिया की दक्षताओं को शामिल करके एक सार्थक प्रभाव डालने के लिए तैयार हैं। हमारा लक्ष्य समावेशी, मापनीय और वैश्विक रूप से बेंचमार्क की गई शिक्षा प्रदान करना है।”

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सहयोग के मुख्य बिंदु:

पाठ्यक्रम विकास: उभरती और भविष्य के लिए तैयार प्रौद्योगिकियों को ध्यान में रखते हुए एआईसीटीई के दिशानिर्देशों के अनुसार, उद्योग-संरेखित पाठ्यक्रम को संयुक्त रूप से डिजाइन और विकसित करना।

संकाय और प्रशिक्षक विकास: क्वांटम कंप्यूटिंग, न्यूरोमॉर्फिक इंजीनियरिंग, एटीएमपी (असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग) प्रक्रियाओं, चिप डिजाइन, सिस्टम डिजाइन और उत्पाद डिजाइन जैसी अग्रणी तकनीकों में शिक्षकों के लिए संकाय विकास कार्यक्रम (एफडीपी) और कौशल वृद्धि प्रशिक्षण आयोजित करना।

एडवांस्ड लैबोरेट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर: छात्रों को वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों और उपकरणों के बारे में व्यावहारिक जानकारी देने के लिए इंडस्ट्री लीडर्स के साथ साझेदारी में अत्याधुनिक प्रयोगशालाएँ स्थापित करना।

उद्योग-अकादमिक जुड़ाव: उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देने और खासकर वंचित समुदायों के बीच छात्र जुड़ाव को बढ़ाने के लिए उद्योग विशेषज्ञों के साथ कार्यशालाएँ, सेमिनार और इंटरैक्टिव सेशन आयोजित करना।

वैश्विक सहयोग: इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी के उन्नत क्षेत्रों में संयुक्त अनुसंधान पहल, स्टूडेंट एस्सचेंज प्रोग्राम और संकाय विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों के साथ साझेदारी करना।

उद्यमिता और नवाचार समर्थन: उद्यमशीलता को बढ़ावा देने और छात्र-नेतृत्व वाले नवाचारों का समर्थन करने के लिए संयुक्त इन्क्यूबेशन सेंटर की स्थापना और मेंटरशिप कार्यक्रम आयोजित करना।

यह समझौता ज्ञापन नवाचार को बढ़ावा देने, रोजगार क्षमता को मजबूत करने और भविष्योन्मुखी, प्रौद्योगिकी-संचालित शिक्षा और कौशल विकास में भारत को ग्लोबल लीडर के रूप में स्थापित करने के लिए आपसी समर्पण की पुष्टि करता है।

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