अमिताभ बच्चन के पूर्वज रहा करते थे बस्ती में

सदी के महानायक का जन्मदिन पूरा देश सेलिब्रेट कर रहा है। बस्तीवासियों में अमिताभ (Amitabh Bachchan birthday) के जन्मदिन को लेकर खास उत्साह है, हो भी क्यों ना। अमिताभ का इस जिले से खास नाता जो है। अमिताभ के पूर्वज इसी जिले से संबंध रखते हैं। जन्मदिन के अवसर पर अाइए आपको अमिताभ बच्चन के परिवार से जुड़ी बातें बताते हैं जो बहुत कम लाेगों को पता है।

जिला बस्ती

उत्तर प्रदेश (uttar pradesh) का बस्ती जिला (basti district) पहले श्रावस्ती के नाम से जाना जाता था। राजा श्राव ने उस नगर को बसाया था। उन्हीं के नाम से नगर का नामकरण हुआ । कायस्थ प्रधान उस क्षेत्र के लोग इसीलिए अपने नाम के साथ श्रीवास्तव्य लगाने लगे। श्रीवास्तव्य धीरे-धीरे श्रीवास्तव बन गया । श्रावस्ती के कायस्थ श्रीवास्तव कहलाए। बस्ती जिले में अमोढ़ा नामक एक गांव है। कई सौ साल पहले किसी अज्ञात कारण से अमोढ़ा के काफी कायस्थ परिवार अपना घर-बार छोड़कर अन्यत्र चले गए। जिस परिवार ने प्रतापगढ़ में आकर डेरा जमाया, उसी परिवार में मनसा ने जन्म लिया। प्रायः पौने तीन सौ साल पहले मनसा बेहद गरीबी और असहाय हाल में अपनी पत्नी के साथ प्रयाग चले आए थे। इन्हीं मनसा की छठीं पीढ़ी में प्रतापनारायण श्रीवास्तव पैदा हुए। हरिवंश राय बच्चन उन्हीं के पुत्र थे।

प्रतापनारायण की शादी सुरसती के साथ हुई थी। दो बार मृत संतान प्रसव करने के बाद जब तीसरी बार सुरसती की कोख से भगवानदेई पैदा हुई, तब प्रतापनारायण ने सोचा उनके कष्ट शायद इस बार दूर हो जाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। बेटी भगवानदेई जन्म से ही कमजोर थी। वह और उसके बाद सुरसती और भी जो दो बच्चे हुए वे ज्यादा दिन नहीं जिए। सुरसती की छठीं संतान थे हरिवंश राय। ये बहुत ही अंर्तमुखी थी। इन्होंने 1925 के जून माह में हाई स्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की। साढ़े सत्रह साल की उम्र में उन्होंने द्वितीय श्रेणी में यह परीक्षा पास की। इसके ठीक ग्यारह महीने बाद उनके जीवन में श्यामा का आगमन हुआ।

प्रतापनारायण ने बेटे का विवाह कर दिया। दोस्त कर्कल और चंपा की मृत्यु के बाद बेटे हरिवंश राय बच्चन के उदास रहने और रात-रात भर जागकर कविता लिखने से प्रतापनारायण बेहद चिंतित रहते थे। इसलिए मैट्रीकुलेशन का नतीजा निकलते ही प्रतापनारायण ने अपनी पत्नी सुरसती से परामर्श किया। घर में बहू लाने का निर्णय हो गया। सिराथू तहसील के रूपनारायणपुर गांव के रामकिशोर के चार बच्चों में सबसे बड़ी श्यामा थीं। प्रतापनारायण को यह रिश्ता पसंद आ गया और इन्हीं से हरिवंश (harivansh rai bachchan) की शादी हुई।

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