यह मकबरा रोशन चिराग दिल्ली की दरगाह के अहाते की पश्चिमी दीवार से मिले हुए एक बाग के अंदर बना हुआ है, जो जोध बाग के नाम से मशहूर था। इसे बहलोल के लड़के सिकंदर लोदी ने 1488 ई. में बनवाया था और मौजा बघौली से अपने बाप की लाश को लाकर यहां दफन किया था। मकबरा 44 फुट मुरब्बा है, जिसके तीन ओर दर हैं, जिनके बारह खंभे आठ फुट ऊंचे और दो फुट मुरब्बा लाल पत्थर के बने हुए हैं।
महराबों पर बेल-बूटे बने हुए हैं। छत जमीन से 18 फुट ऊंची है। गुंबद में लाल पत्थर के चौकों का फर्श है और कब्र पर नक्काशी का काम हुआ है। मकबरे के ऊपर बहुत सुंदर पांच बुर्जियां चूने की बनी हुई हैं। बादशाह की मृत्यु इटावा से दिल्ली आते हुए रास्ते में कस्बा जलाली में हुई थी, जो जिला अलीगढ़ में है। लाश को सिकंदर लोदी दिल्ली लाया था और उसे उपर्युक्त मकबरे में दफन किया। जोध बाग का अब पता नहीं रहा।