Sapru House Library राजधानी दिल्ली में विद्यार्थी व शोधार्थी के साथ साथ ऐसे कई अधिकारी भी हैं जो अंतरराष्ट्रीय संबंधों को जानने और समझने में रुचि रखते हैं। साथ ही विभिन्न देशों के राजदूत भी किताबों के माध्यम से भारतीय इतिहास और संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैं। देश-विदेश के ऐसे तमाम पाठकों के लिए इंडियन काउंसिल अॉफ वर्ल्ड अफेयर्स (आइसीडब्ल्यूए) सप्रू हाउस स्थित पुस्तकालय। वर्ष 1955 से संचालित इस पुस्तकालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों, अंतरराष्ट्रीय कानून और विशेष संदर्भ से संबंधित 1 लाख 52 हजार से अधिक पुस्तकें व हजारों की संख्या में दुर्लभ मानचित्र, सूक्ष्मिका व डिजिटल प्रारूप में लगभग दस लाख से अधिक प्रेस क्लिपिंग है। प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू (Jawaharlal Nehru) के हाथों शुरू हुए इस इस पुस्तकालय में अंतरराष्ट्रीय संबंधों को लेकर लिखिति किताबों के अलावा राजनीति विज्ञान, समाज शास्त्र, विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी के साथ-साथ हिंदी-उर्दू और अंग्रेजी साहित्य की भी हजारों किताबें मौजूद हैं।
कई दुर्लभ किताबों व जर्नल का संकलन
राजदूतों व वरिष्ठ राजनयिकों द्वारा लिखित पुस्तकों का संग्रह ‘हेरिटेज अॉफ डिप्लोमेसी’ के अलावा विभिन्न देशों में प्रवास के दौरान उनके संस्मरण का संकलन भी इस पुस्तकालय की विशेषता है। आइडब्ल्यूसीए पब्लिकेशन से प्रकाशित अंतरराष्ट्रीय संबंधों से संबंधित जर्नल ‘इंडियन क्वार्टरली’ की वर्ष 1945 से लेकर 2008 तक की प्रतियां भी संरक्षित है। इसके अलावा वर्ष 1865 में प्रकाशित ‘सोशल लाइफ अॉफ चाइनीज’,वर्ष 1881 में प्रकाशित पुस्तक ‘इंडो आर्यन्स’, वर्ष 1910 में प्रकाशित ‘इंडियन नेशनलिज्म’ व वर्ष 1920 में प्रकाशित ‘थिएटर फॉर द एडवांसमेंट अॉफ पीस’ जैसी 350 से अधिक दुर्लभ पुस्तकें डिजिटल प्रारूप में भी उपलब्ध है। पुस्तकों के अलावा यहां पाठकों के लिए प्रतिदिन 12 राष्ट्रीय समाचारपत्र, 60 से अधिक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पाक्षिक एवं मासिक पत्रिकाएं व शोध पत्र भी मंगवाए जाते हैं। यही नहीं पुस्तकालय में संयुक्त राष्ट्र और यूरोपीय संघ के दस्तावजों और पत्रिकाओं का भी विशाल संग्रह है। वर्ष 1945 के बाद से संयुक्त राष्ट्र के लगभग सभी दस्तावेज जैसे ‘सिक्योरिटी काउंसिल एंड जेनरल असेंबली डिबेट्स एंड देयर रिजोल्युशन’ यहां उपलब्ध है।
हर वर्ष जुड़ती हैं सैकड़ों नवागंतुक पुस्तकें :
किताबों के इस कुंभ में जहां दशकों पुरानी किताबें मौजूद है वहीं प्रतिवर्ष सैकड़ों नई किताबें भी जुड़ती हैं। अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक विगत वर्ष में भी ‘1971 भारत पाक युद्ध : 161 इन्फेंट्री ब्रिगेड की शौर्य गाधा’, ‘अंतरराष्ट्रीय संगठन विश्व कोष’, ‘अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद’, ‘चीन मित्र या …?’, ‘पाकिस्तान में राजनौतिक नेतृत्व’, ‘भारत की विदेश निति : बदलते परिवेश’ व ‘भारत-अमेरिका संबंध : परिवर्तित परिदृश्य एवं उभरती साझेदारियां’ जैसी सामयिक किताबें शामिल की गई है। इस कड़ी में न सिर्फ हिंदी बल्कि अरबी, उर्दू, टर्किस, फ्रेंच और जर्मन समेत अन्य भाषाओं की किताबें भी जोड़ी जाती हैं।
पाठक को सहूलियत देती सदस्यता
इस विशाल पुस्तकालय में पाठकों की सहूलियत के हिसाब से विभिन्न श्रेणियों में सदस्यता उपलब्ध है। पुस्तकालय में ज्ञान अर्जन के लिए वैद्य प्रमाण-पत्र, आवास प्रमाण-पत्र व 1200 रुपये प्रति वर्ष की शुल्क के साथ कोई भी व्यक्ति सदस्यता ले सकता है। वहीं, विद्यार्थियों व शोधार्थियों के लिए शुल्क महज 600 रुपये वार्षिक है। इसके अलावा अन्य शहरों से पहुंचने वाले शोधार्थियों के लिए दो सप्ताह की वैध्यता वाला रिफराल मेंबरशिप की भी सुविधा है, जिसकी सदस्यता शुल्क 100 रुपये है। सदस्यता शुल्क के साथ 2800 रुपये की सुरक्षा शुल्क देकर सदस्य पुस्तकें लेकर घर भी जा सकते हैं। यह सुविधा दिल्ली से बाहर के सदस्यों के लिए मान्य नहीं है। सुरक्षा शुल्क सदस्यता समाप्त करने के समय सदस्य को वापस कर दी जाती है।
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खुलने का समय : सोमवार से शुक्रवार सुबह 9 बजे से लेकर शाम 7 बजे व शनिवर को सुबह 9 बजे से शाम 5 बजे तक यहां जाया जा सकता है। रविवार को अवकाश रहता है।
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ऐसे पहुंचे : बाराखंभा रोड स्थित आइसीडब्ल्यूए पुस्तकालय तक मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन या बस स्टैंड से पैदल पहुंचा जा सकता है।