उस्ताद अली अकबर ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सरोद को सबसे पहले किया प्रदर्शित

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

BIOGRAPHY OF ALI AKBAR KHAN: संगीत के क्षेत्र में अली अकबर खाँ का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है। वे विश्व-विख्यात सरोद वादक रहे। सरोद को उनके नाम का पर्याय कह दिया जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। अंतरराष्ट्रीय मंच पर सरोद को सबसे पहले प्रदर्शित करनेवाले और उसे पहचान दिलानेवाले वे पहले शख्स थे।

अली अकबर खां का प्रारंभिक जीवन

अली अकबर खाँ का जन्म १९२२ में बंगाल में हुआ। यह क्षेत्र अब बँगलादेश में पड़ता है। ३ साल की उम्र में उनकी संगीत शिक्षा उनके पिता महान् संगीतकार उस्ताद अलाउद्दीन खाँ के संरक्षण में आरंभ हुई। इसी के साथ अपने चाचा फकीर आफ्ताबुद्दीन के मार्गदर्शन में उन्होंने लय-ताल- आघात की तालीम आरंभ की। गायन और कई वाद्य यंत्रों में निष्णात होने के बाद अली अकबर ने सरोद पर हाथ आजमाने आरंभ किए। वे सन् १९७२ तक अपने पिता के निधन तक उनसे लगातार संगीत – की तालीम लेते रहे।

संगीत करियर

उस्ताद अली खाँ का कैरियर बड़ा समृद्ध रहा है। १३ साल की उम्र में उनका पहला संगीत कार्यक्रम इलाहाबाद में हुआ। २० साल की उम्र में उनका पहला रिकॉर्ड बना। युवावस्था में ही उनकी नियुक्ति जोधपुर महाराज के दरबारी संगीतकार रूप में हो गई। वे तीन साल तक इस पद पर रहे और महाराज की मृत्यु के साथ ही उनकी सेवा समाप्त हो गई।

पहला विदेशी दौरा

सन् १९५५ में अली अकबर ने अपना पहला विदेशी दौरा संयुक्त राज्य अमेरिका से आरंभ किया। उनका यह दौरा इस बात की तस्दीक करता है कि १९६० के दशक में विदेशों में भारतीय संगीत की बहुत माँग थी। यह भी कहा जाता है कि टेलीविजन के लिए उनका कार्यक्रम अमेरिका में भारतीय संगीत का पहला सार्वजनिक प्रसारण था ।

अली अकबर खां का संगीत करियर

अली अकबर खाँ का कैरियर वस्तुतः विविधताओं से भरा एक लंबा इतिहास रहा है। उन्होंने फिल्मों में न केवल संगीतमय अभिनय किया बल्कि उनमें संगीत भी दिया। उनकी दो उल्लेखनीय फिल्में हैं-सत्यजीत रे की ‘देवी’ और बर्नार्डो बेर्टोलुक्सी की ‘लिटिल बुद्धा’।

उन्हें अपने लोकप्रिय संगीत के लिए अनेक पुरस्कार, पदवी और मानद उपाधियाँ व डिग्रियाँ मिलीं। कुछ प्रमुख सम्मानार्थ प्राप्त डिग्रियों में ‘न्यू इंग्लैंड कंजर्वेटरी ऑफ म्यूजिक, विश्व भारती व यूनिवर्सिटी, कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ आर्ट्स, दिल्ली यूनिवर्सिटी; ढाका यूनिवर्सिटी; रवींद्र भारती यूनिवर्सिटी इत्यादि शामिल हैं।

कई बार ‘गैमी अवार्ड’ के लिए भी उनका नामांकन हुआ है। वे संगीत के अनथक शिक्षक रहे। सन् १९५६ में उन्होंने कलकत्ता में ‘अली अकबर कॉलेज ऑफ म्यूजिक’ की स्थापना की। सन् १९६० के दशक में उन्होंने इसकी एक शाखा मेरिन काउंटी, कैलिफोर्निया में स्थापित की। अली अकबर स्विट्जरलैंड में भी नियमित रूप से संगीत की शिक्षा देते रहे। सांताक्रुज, कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में वे संगीत के सहायक प्रोफेसर नियुक्त किए गए। १९ जून, २००९ को ८७ वर्ष की आयु में इस महान् संगीतकार का निधन हो गया।

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