Business Idea: बंदरों की बढ़ती संख्या के कारण कई देशों में नागरिक परेशान
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Business Idea: बंदर को बेचकर क्या आपने कभी पैसा कमाया हैं। शायद ये आपको थोड़ा अजीब लगे, लेकिन ये सच हैं। जी हाँ नेपाल में बंदरों की बढ़ती संख्या एक बड़ी समस्या बन गई है, जिससे कृषि को भी भारी नुकसान हो रहा है। इस समस्या से निपटने के लिए नेपाली सरकार बंदरों को बेचने का विचार कर रही है, जिससे नेपाल को अच्छी इनकम मिल सकती हैं। इस बारे में नेपाली कांग्रेस के सांसद राम हरि खातीवाड़ा ने चीन को बंदर बेचने का सुझाव दिया है। उनका कहना है कि इससे नेपाल को फसलों के नुकसान से छुटकारा मिल सकता है, जैसे कि श्रीलंका ने किया था।
चीन ने बंदरों को खरीदा!
सांसद खातीवाड़ा ने श्रीलंका का उदाहरण दिया, जहां चीन को बंदर बेचे गए थे। श्रीलंका में बंदरों ने फसलों को काफी नुकसान पहुंचाया, और चीन ने इन बंदरों को खरीदकर एक फायदा उठाया। श्रीलंका ने बंदरों के अलावा अन्य नुकसान करने वाले जानवरों को भी चीन भेजा और इसके बदले पैसे कमाए।
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नेपाल में कितने प्रकार के बंदर हैं?
नेपाल में तीन प्रकार के बंदर पाए जाते हैं: रीसस मैकाक, असमिया बंदर और हनुमान लंगूर। इन बंदरों से पहाड़ी इलाकों में रहने वालों को काफी परेशानी हो रही है, क्योंकि ये खेतों में फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। सांसद खातीवाड़ा का मानना है कि श्रीलंका की तरह नेपाल को भी इस समस्या से निपटने के लिए कदम उठाना चाहिए।
क्या ये प्रस्ताव लागू होगा?
हालांकि, यह प्रस्ताव लागू करना इतना आसान नहीं होगा। रीसस बंदर को अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के नियमों के तहत संरक्षित प्रजाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। इसका मतलब है कि इनका व्यापार करना कानूनी रूप से मुश्किल हो सकता है। अगर कोई ऐसा करता है, तो उसे जुर्माना या जेल की सजा हो सकती है। इसके अलावा, राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव संरक्षण कानून भी इन बंदरों की सुरक्षा करता है।
श्रीलंका में बंदर व्यापार
2023 में, श्रीलंका के कृषि मंत्री ने भी यही प्रस्ताव रखा था। उन्होंने कहा था कि बंदरों ने काफी नारियल और अन्य फसलों को बर्बाद किया है, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को नुकसान हो रहा है। श्रीलंका में लगभग 30 लाख बंदर हैं, और चीन को 1 लाख बंदर भेजने में कोई हर्ज नहीं समझा गया।
चीन का उद्देश्य क्या है?
चीन ने यह दावा किया कि वह बंदरों का इस्तेमाल मांस के लिए नहीं करेगा, बल्कि उन्हें अपने चिड़ियाघरों के लिए ले जाएगा। खासकर, मकाका प्रजाति के बंदरों में चीन की रुचि है। श्रीलंका ने बताया था कि चीन ने बंदरों को पकड़ने का खर्च खुद उठाया। एक बंदर को पकड़ने में श्रीलंकाई सरकार को 5,000 रुपये का खर्च आता था, जबकि चीन 50,000 रुपये तक खर्च करने को तैयार था। अगर नेपाल भी इसी रास्ते पर चलता है, तो उसे चीन से अच्छा लाभ मिल सकता है। लेकिन चीन इन बंदरों का क्या करेगा, यह अभी तक साफ नहीं है।
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