आजम खां के मकबरे से कोई बीस गज के अंतर पर उसके लड़के मिर्जा अजीज कुकलताश का शव दफन है, जो अकबर का दूध भाई था और उसकी सभा का सबसे प्रभावशाली व्यक्ति था। ऊधम खां द्वारा उसके पिता का कत्ल किए जाने के पश्चात बादशाह ने खुद मिर्जा अजीज की देखभाल अपने ऊपर ले ली थी।
अजीज कुकलताश का जीवन कुछ मिला-जुला गुजरा है। उसकी इज्जत भी बहुत हुई और उसने अपमान भी बहुत सहा सल्तनत के सबसे अगुआ प्रांतों पर उसने हुकूमत की और एक बड़ी बगावत को दबाने में वह सफल रहा. लेकिन उसको सियासी बदनामी और तनजली भी बरदाश्त करनी पड़ी।
अकबर की मृत्यु के पश्चात उसने खुसरो का उसके पिता जहांगीर के खिलाफ साथ दिया और यद्यपि जहांगीर से उसकी सुलह-सफाई हो गई और सरकारी पदों पर उसकी उन्नति भी हुई, लेकिन उसकी आरंभिक गलतियों को कभी नजरअंदाज नहीं किया गया।
अजीज कुकलताश को जहांगीर के एक पोते का संरक्षक मुकर्रर कर दिया गया था, जिसके हमराह वह गुजरात गया और 1624 ई. में अहमदाबाद में उसकी मृत्यु हुई। उसके शव को दिल्ली लाया गया और निजामुद्दीन गांव में उसके पिता और औलिया की कब्रों के पास उसे दफन किया गया।
मिर्जा अजीज के मकबरे को आम तौर से चौंसठ खंभा कहकर पुकारते हैं। यह 69 फुट मुरब्बा 64 खंभों का एक मंडप है, जिसकी ऊंचाई 22 फुट है। मिर्जा ने अपने जीवन काल में ही इसे बनाया था। मकबरे के स्तंभ, जालियां, फर्श और छत सब संगमरमर की हैं। स्तंभ निम्न प्रकार से बने हुए हैं। भवन के हर एक कोने में चार-चार स्तंभ लगे हुए हैं, जो एक-दूसरे से आपस में जुड़े हुए हैं। खंभों के बीच किनारों पर मकबरे की हर तरफ चार-चार खंभों की दोहरी कतार है, जिन पर संगमरमर की महराबें रखी हुई हैं और इस प्रकार 48 स्तंभ बाहर के भाग में हैं। सोलह स्तंभ अंदर हैं, जो चार-चार की कतार में हैं और वे भी दोहरे खंभों की एक ही कतार में खड़े हैं। अंदर के खंभों में आपस का अंतर 12 फुट है और जो चार-चार की जुट के 64 खंभे हैं, उन पर 25 छोटे गुंबद धरे हुए हैं, जो 25 महराबों को सहारा दे रहे हैं।