यह भी पहाड़ी पर बनी हुई है। इसका नाम इसके चारों कोनों पर के चार गुंबदों पर पड़ा मालूम होता है, जो कभी मस्जिद के उठे हुए चबूतरे पर बने हुए थे। यह किसी का मकबरा था। इसका दरवाजा पूर्व की ओर है। यह इमारत दोमंजिला है। दोहरा जीना आमने-सामने पंद्रह-पंद्रह सीढ़ियों का है।

छत पर अब केवल दो दर बराबर के और दो इधर-उधर उससे छोटे, और 51 फुट लंबी और 11 फुट 8 इंच ऊंची दो दालानों के बीच की दीवारें रह गई हैं। सामने सहन है। दक्षिण में एक कमरा बाकी है, जिस पर एक बुर्ज है और इसी के अंदर से जीना है। सहन में एक मुरब्बा कब्र है। मस्जिद का दूसरा दरवाजा दक्षिण में है। कुश्के शिकार से लेकर यहां तक इमारतें ही इमारतें थीं, जिनमें कुछ साफ कर दी गई हैं और कुछ के खंडहर पड़े हैं। यह सारी इमारत पुख्ता और उसी ढंग की है, जैसा कुरके शिकार।

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