बिल्कुल इसी तरह का दक्षिणी द्वार है, जिसको दिल्ली दरवाजा कहते हैं। यह जामा मस्जिद की तरह है। बादशाह इसी दरवाजे से शुक्रवार के दिन नमाज पढ़ने जामा मस्जिद आया करते थे। इसी दरवाजे के सामने अंदर की तरफ महराब के इधर-उधर 1903 ई. में लार्ड कर्जन ने पत्थर के दो हाथी खड़े करवा दिए थे।

छत्ता लाहौरी दरवाजा

लाहौरी दरवाजे से दाखिल होकर एक छत्ता 230 फुट लंबा और 13 फुट चौड़ा आता है जिसके बीचोंबीच एक चौक है। इसका व्यास 30 फुट है। इस चौक के दाएं-बाएं छोटे-छोटे दरवाजे हैं, जो किसी समय किले की बहुत आबाद जगहों पर निकलते थे। इस छत्ते के दोनों ओर चार फुट ऊंचे चबूतरे पर 32 दुकानें हैं। यह किसी जमाने में छत्ता बाजार के नाम से मशहूर था और इस बाजार में हर किस्म का सामान बिकता था। अब भी यहां सामान बिकता है। छत्ते की छत लदाओ की है, जिसमें तरह-तरह के लहरे और मोड़ बने हुए हैं। छत्ते की दोनों ओर दोमंजिला मकान बने हुए हैं। ऐसा ही छत्ता दिल्ली दरवाजे के सामने भी है।

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