दिल्ली में रहने वाला शायद ही कोई व्यक्ति छतरपुर (chhatarpur) और ग्रेटर कैलाश (greater kailash) के बारे में नहीं जानता हो। लेकिन क्या आपको पता है इनका नाम कैसे और क्यों पड़ा। इस पोस्ट में हम आपको बताएंगे इनकेे नाम के पीछे की कहानी।

छतरपुर (chhatarpur History)

छतरपुर गांव (chhatarpur village) करीब दो हजार साल से भी पुराना है। इतिहासकार कहते हैं कि छतर सिंह नाम के राजा की यह रियासत थी। उनकी रियासत कहां तक फैली थी यह तो नहीं पता लेकिन छतरपुर गांव उनके नाम पर ही पड़ा। ऐसा कहा जाता है कि राजा यहां अक्सर आते भी थे। उन्होंने ही यहां छतरपुर मंदिर बनवाया था। जो आज भारत के बड़े मंदिरों में शुमार किया जाता है। हालांकि गांव के कुछ लोग मंदिर के नाम पर ही गांव का नाम पड़ा बताते हैं। लेकिन छतरपुर मंदिर के एनके सेठी कहते हैं कि यह दरअसल एक भ्रांति है। मंदिर का नाम तो श्रीआद्या कात्यायनी शक्ति पीठ मंदिर है। लेकिन मंदिर चूंकि छतरपुर में स्थित है इसलिए लोग छतरपुर मंदिर कहकर ही बुलाते हैं। गांव मंदिर से बहुत पहले का है। जिस राजा ने छतरपुर बसाया था, उन्होंने मंदिर बनवाया था। जिसे भविष्य में और भव्य और विशाल बनवाया। मंदिर का जीर्णोद्धार वर्ष 1974 में संत नागपाल ने कराया था। संत नागपाल का जन्म 10 मार्च 1925 को कर्नाटक में हुआ था। जब उनके माता-पिता का देहांत हो गया था, तो एक अज्ञात महिला उन्हे दिल्ली (Delhi History) के छतरपुर गांव के निकट दुर्गा आश्रम में लेकर आई। इस वजह से उन्होंने मां दुर्गा को अपनी वास्तविक मां मान लिया। मंदिर करीब 70 एकड़ में है। यहां मां दुर्गा की तीन बड़ी मूर्तियां हैं, जो अष्टधातु से बनी हैं। भूतल पर शिव मंदिर है। छतरपुर की एतिहासिकता को ध्यान में रखकर ही मेट्रो स्टेशन भी छतरपुर के नाम से बनाया गया है। जो यहां से महज आधा किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

ग्रेटर कैलाश (Greater Kailash History)

ग्रेटर कैलाश दिल्ली की पॉश कालोनियों में शुमार है। यहां की चौड़ी सड़के, शांत माहौल दिल्लीवालों को खूब पसंद आता है। तभी तो विदेशी पर्यटक भी यहां खींचे चले आते हैं। लेकिन दिल्ली में कैलाश नाम? इसके पीछे के निहितार्थ बताते विनोद बंसल कहते हैं कि जहां तक मैं समझता हूं। ये पूरा इलाका पर्वतीय क्षेत्र है। अभी भी यहां टापू सा दिखता है। ग्रेटर कैलाश का आर्य समाज मंदिर, गुरूद्वारा, टापू से उपर है। वहीं आरवी स्मिथ की मानें तो ग्रेटर कैलाश से पहले तो इसे कैलाश नाम से ही जानते थे। ऐसा कहा जाता है कि इसका नाम कैलाश मंदिर के नाम पर पड़ा है। जब डीडीए इसकी सुनियोजित प्लानिंग कर रही थी तो उन्होंने कैलाश नाम दिया था। जब आबादी बढ़ने के साथ एक्सटेंशन हुआ तो ग्रेटर, ईस्ट आफ कैलाश जैसे शब्द जुड़ते चले गए। आज तो ग्रेटर कैलाश पार्ट 1 से 3 तक बन चुका है। वहीं दिल्ली-एडवेंचर इन मेगा सिटी किताब में सैम मिलर लिखते हैं कि ग्रेटर कैलाश 1, 2, 3, ग्रेटर कैलाश एंकलेव, कैलाश कालोनी सरीखे इलाकों के नाम के पीछे की कहानी दरअसल तिब्बत से जुड़ी है। तिब्बत में कैलाश पर्वत के नाम पर इसका नाम ही इसका नाम कैलाश पड़ा था।

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