दिल्ली के तंदूर कांड ने कांग्रेस की सियासी छवि को पहुंचाया नुकसान

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Delhi : 2 जनवरी, 1996….. दिल्ली में सब कुछ आम दिनों की तरह चल रहा था। लेकिन इस दिन एक ऐसी घटना सामने आयी जिसने ना केवल दिल्ली बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इस घटना ने दिल्लीवालों को अंदर तक हिला कर रख दिया1

दरअसल, युवा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सुशील शर्मा ने नयना साहनी नाम की एक महिला की हत्या करने के बाद उसके निर्जीव शरीर के टुकड़े-टुकड़े करके उन्हें यात्री होटल के पीछे की तरफ़ तन्दूर में जलाने की कोशिश की। ड्यूटी पर तैनात एक बीट कॉन्स्टेबल ने तन्दूर से उठती ऊंची लपटें देखी तो उसे शक हुआ।

उसने तत्काल स्थानीय थाने में इसकी सूचना दी। पुलिस टीम मौके पर पहुंची तो जवान हैरान रह गए। तन्दूर से अधजले टुकड़ों को बरामद किया गया। सुशील शर्मा गिरफ्तार को तुरंत गिरफ्तार कर लिया गया।

यह तन्दूर उस ‘फूड जॉएंट’ में था जिसे चलाने का लाइसेंस शर्मा ने अपने राजनीतिक रसूख से लिया था। होटल भारतीय पर्यटन विभाग का था। शर्मा का अपना निवास गोल मार्केट में था। हत्या कहीं और, शायद उनके निवास पर की गई थी।

मामले का फैसला होने में बारह वर्ष से अधिक समय लग गए। दोनों के बीच सम्बन्धों की ठीक स्थिति रहस्यमय थी। नयना सम्भवतः सुशील शर्मा की मित्र थीं जो उन पर शादी के लिए दबाव बना रही थीं। तथ्य जो भी रहा हो, यह कुकृत्य इतना वहशी और हौलनाक था कि कई दिन पूरे शहर की चेतना पर छाया रहा। इसके पीछे एक कारण यह भी था कि मीडिया ने समाज को सूचना सम्पन्न तो बनाया ही, पर किसी बड़ी दुर्घटना पर आधारित ‘स्टोरी’ को लगातार तरह-तरह से दोहराकर वह दर्शकों को उससे राहत नहीं देता।

खबरी चैनलों की भरमार सें एक ही घटना के इतने रूपान्तर और संस्करण ज़रा-से अन्तर से दर्शकों के सामने परोसे जाते हैं कि उनकी विश्वसनीयता को लेकर भी दर्शक असमंजस और जिज्ञासा की दुहरी मानसिकता में फँसा रहता है।

कांग्रेस की छवि को हुआ नुकसान

इस घटना से कांग्रेस पार्टी की राजनीतिक छवि निश्चय ही प्रभावित हुई। इससे यह भी साबित हुआ कि राजनीति में न अब नैतिकता का कोई मूल्य रह गया है, न ही कुछ भी आकस्मिक मालूम होता है।

विभिन्न पार्टियां लगातार एक-दूसरे के सदस्यों पर आरोप-प्रत्यारोप का कारण और रास्ता खोजने में लगी रहीं। सुशील शर्मा के मामले की तहकीकात अभी चल रही थी कि 23 जनवरी को एस. के. जैन नाम के एक बड़े व्यापारी के वक्तव्य के आधार पर वाजपेयी जी ने कांग्रेस के नेताओं पर फिर निशाना साधा।

सुरेन्द्र कुमार जैन का कहना था कि उन्होंने चन्द्रास्वामी, आर.के. धवन और कैप्टेन सतीश शर्मा के माध्यम से नरसिंहराव को साढ़े तीन करोड़ की रकम पहुंचाई। शुद्ध वनस्पति ब्रांड घी के व्यापारी जैन सज्जन पर घी में गाय की चर्बी की मिलावट करने का आरोप पहले भी लगा था। मामला लम्बा चला। उनका तो अन्ततः कुछ बना-बिगड़ा या नहीं, यह अलग बात है।

FAQ सेक्शन

Q1: तंदूर कांड में क्या हुआ था?
1996 में दिल्ली में हुए तंदूर कांड ने पूरे देश को झकझोर दिया था। युवा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष सुशील शर्मा ने नयना साहनी की हत्या कर उनके शव के टुकड़े-टुकड़े कर दिए और यात्री होटल के पीछे तंदूर में जलाने की कोशिश की। ड्यूटी पर तैनात बीट कॉन्स्टेबल ने तंदूर से उठती ऊंची लपटें देख पुलिस को सूचना दी, जिससे यह खौफनाक मामला सामने आया।

Q2: सुशील शर्मा कौन थे और उनका राजनीतिक प्रभाव क्या था?
सुशील शर्मा युवा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष और एक प्रभावशाली नेता थे। उन्होंने अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करके फूड जॉइंट का लाइसेंस हासिल किया था। इस घटना के बाद उनकी राजनीतिक छवि धूमिल हो गई, और उन्होंने न केवल कांग्रेस पार्टी बल्कि पूरे राजनीतिक वर्ग की नैतिकता पर सवाल खड़े किए।

Q3: इस घटना ने कांग्रेस पार्टी को कैसे प्रभावित किया?
तंदूर कांड ने कांग्रेस की सियासी छवि को बड़ा नुकसान पहुंचाया। यह मामला पार्टी के भीतर नैतिकता की कमी और राजनीतिक भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गया। इसके चलते विपक्ष ने कांग्रेस पर लगातार हमले किए, जिससे 1996 के बाद पार्टी की राजनीतिक स्थिति कमजोर हुई।

Spread the love

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here