हाइलाइट्स
- फैशन हब बना शाहपुर जाट गांव तो बदली तस्वीर
- अभिनेत्री पूनम ढिल्लो समेत बालीवुड की अन्य अभिनेत्रियां यहां से खरीदती हैं ड्रेस
- गांव की गलियों के नाम दादा जंगी लेन, बालीवुड लेन, मेरे पास मां है लेन
शाहपुर जट (Shahpur jat) की दादा जंगी लेन, बॉलीवुड लेन, मेरे पास मां है लेन, स्क्वेयर रंगोली लेन, फैशन स्ट्रीट की सड़कें, दीवारों में नारंगी और गुलाबी रंग में रंग रोगन और हवेली जैसी शाही शानो शौकत लिए बुटीक। बुटीक पर लगे शीशे की दीवारों से झांकते फैशन से लिपटे पुतले। जितनी चटक व रंगीन डिजाइनर लिबास की झलक दिखती है उतनी है दिलकश इनके डिजाइनर लेबल। रंगरेज, कारीगर और कपड़ों की रंगीनियत ने शाहपुर जट गांव की तस्वीर पूरी तरह से बदल कर रख दी है।
ग्रीन पार्क मेट्रो स्टेशन (Green park metro station) से गौतम नगर की तरफ जाने वाली सड़क से ठीक उल्टे हाथ पर चटख रंगों में सजे बुटीक के बोर्ड दिखाई देने लग जाएंगे। यह रास्ता शाहपुर जट गांव की फैशन स्ट्रीट की ओर जाता है। चूंकि आगे गलिया छोटी हैं इसलिए गांव के बाहर ही गाड़ियां पार्क खड़ी करनी पड़ती है। फैशन स्ट्रीट में प्रवेश करते ही मन नारंगी रंग में रंगने लगता है। इस गली के दीवारें नारंगी रंग में रंगा है। घरों के दरवाजों को एंटीक लुट में लोगों ने बुटीक को सजाया है। तकरीबन सारे बुटीक का फ्रंट शीशे के गेट से तैयार किया गया है। इसी वजह से लोग बाहर से भी डिजाइनर ड्रेस देख सकते हैं। आगे गलियां में रंगबिरंगे कपड़ों के इस संसार में जाने के लिए वैसे तो तीन रास्ते हैं लेकिन दो ही तरफ से डिजाइनर कपड़ों की कई दुकानें दिखाई देती है। गांव के बाहर की तरफ की सड़कों पर बड़े आलीशान बुटीक है तो छोटी गलियों में भी नए फैशन डिजाइनरों के बुटीक। दोनों तरह के बुटीक में कपड़ों का अनोखा कलेक्शन। फैशन स्ट्रीट स्थित आनया बुटीक के मुजेश कुमार बताते हैं कि यहां तकरीबन सभी बुटीक के अपने खरीददार हैं। यहां से अभिनेत्री पूनम ढिल्लों, बॉलीवुड के दूसरे अभिनेत्री अपनी ड्रेस डिजाइन करवाती हैं। दिल्ली में रहने वाली नफीसा अली भी यहां खरीददारी करती हैं। लेकिन यहां का ज्यादातर काम विदेशी आर्डर के लिए किया जाता है।
फैशन डिजाइनर रेनू बताती हैं कि पश्चिम बंगाल से आए रंगरेज और कारीगरों के परंपरागत हुनर का इस्तेमाल भी खूब होता है। वे लोग डिजाइनर कपड़ों में जरी और मोती लगाने का काम करते है। वहीं पर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (नीफ्ट), पर्ल, जेडी और निफ्ड जैसे संस्थानों से प्रतिवर्ष फैशन डिजाइनिंग की पढ़ाई कर निकलने वाले सैकड़ों छात्र-छात्राएं अपने हुनर को तराशते हैं। शाहपुर जट गांव की दादा जंगी हाउस लेन में करीब 40 बुटीक हैं। इस लेन का नाम यहां रहने वाले दादा हेत राम पर पड़ा। दादा हेत राम ने कई लड़ाईयां लड़ी। वे फौज में थे। इसलिए उनका नाम दादा जंगी रख दिया गया। इस लेन में अपना फैशन बुटीक चलाने वाली ईशा बताती हैं कि हर डिजायनर की अपनी एक अलग पहचान होती है। वो उसी हिसाब से अपने डिजाइन तय करता है। लेकिन दुबई में ज्यादातर गाउन चलता है इसलिए यहां डिजाइनर गाउन तैयार किए जाते हैं। महिलाओं के फैशन में अनारकली सूट, गाउन, ड्रेप और स्टीच्ड साड़ी का फैशन है। बहुत सी युवतियां तो किसी सेलिब्रेटी द्वारा पार्टी में पहने गए या फिर फिल्मों में नायिकाओं द्वारा पहने गए कपड़े के डिजाइन की नकल करती हैं। इसके लिए वे इन बुटिकों में आती है और अपने पसंद के अनुसार रंग और डिजाइन में कपड़े तैयार करवाती हैं। शाहपुर जट गांव का यह बाजार वेस्टर्न और ट्रेंडी कपड़ों के लिए बेहतरीन माना जाता है। कुछ बुटीक अब बजट में भी कपड़े तैयार कर रही हैं।
शादी और लग्जरी के लिए फैशनेबल कपड़ों की खोज में मध्यम वर्ग से लेकर उच्चवर्ग तक के लोग शाहपुर जट गांव जाना पसंद करते हैं। फैशन डिजायनर सुनील कहते हैं, सर्दियों में लड़कें दो तरह के फैशन को तरजीह देते हैं। पहला, कूल विंटेज और दूसरा रॉयल हैरिटेज। कूल विंटेज में लड़कों के लिए इंटरनेशनल लुक देने वाले ब्रांड्स शामिल होते हैं। इनमें बड़े कॉलर वाली शर्ट, नेहरू कट वाली जैकेट, चाइनीज कॉलर, वेलवेट जैकेट जैसे कपड़े शामिल हैं। लड़कों के लिए ही रॉयल हैरिटेज में जोधपुरी पैंट, बंद गले के शॉर्ट जैकेट, प्वाइंटेड बैली शूज आदि ज्यादा प्रयोग में लाए जाते हैं। इसके अलावा रॉयल हैरिटेज के फ्यूजन को भी युवा रोजमर्रा की जिंदगी में अपना रहे हैं। जीन्स के साथथ कुरते पहनना भी उन्हें पसंद आ रहा है। रंगों की बात करें तो लड़कों को सफेद, क्रीम, ऑरेंज, ब्राउन, पर्पल, ब्ल्यू, रॉयल ब्ल्यू, बरगंडी रेड, चॉकलेट ब्राउन, काला, डार्क पर्पल और ग्रीन के शेड्स पसंद आ रहे हैं। इसके अलावा सिल्क की साड़ियां, जामवार और ब्रोकेड एक बार फिर से फैशन में लौट आया हैं। फ्यूजन के साथ ईवनिंग गाउन, ब्रोकेड और सिल्क की जैकेट मिक्स एंड मैच फैब्रिक के साथ काफी चलन में है। लॉन्ग लेंथ अनारकली, मिक्स एंड मैच श्रग्स, डिजिटल प्रिंट, शॉर्ट और एंकल लेंथ स्कर्ट, लॉन्ग जैकेट, सिमिट्रिकल डिजाइन, पैनल जैकेट, ब्लॉक पिं्रट्स ट्रेंड में हैं।
रितु बेरी (Ritu beri) ने भी यही से की थी शुरुआत
फैशन और फिल्मी जगत में मशहूर रितु बेरी ने भी अपने करियर की शुरुआत शाहपुर जट गांव से किया था। बेरी ने अपना पहला पहला बुटिक यहीं खोला था। इसके बाद इस गांव को फैशन हब के रूप में ही पहचान मिलने लगी। मशहूर डिजाइनर गौरव गुप्ता साड़ी और गाउन के लिए पहचाने जाते है। रितु कुमार पारंपरिक परिधानों और अर्पिता मेहता मिरर वर्क के लिए जानी जाती हैं। नए और युवा फैशन डिजायनरों के साथ-साथ शाहपुर जट आम लोगों की भी पसंद बन गया है।
पपीचीनो में कुत्तों के साथ मस्ती
शाहपुर जट में पपीचीनो नाम का एक ऐसा रेस्तरां हैं जिसमें कुत्ते भी मौज मस्ती कर सकते हैं। रेस्तरां में उनके लिए खास मैन्यू भी है। रेस्तरां की संचालिका नयनी टंडन बताती हैं कि उनके पास भी दो कुत्ते हैं लेकिन वे उनके साथ कभी भी किसी रेस्तरां में नहीं जा पाती थी। वहीं से इस रेस्तरां को खोलने का आइडिया आया। पपीचीनो में कुत्ते भी मौज मस्ती कर सकते हैं। डॉग लवर यहां कई व्यंजन का लुत्फ उठा सकते हैं और साथ ही उनके कुत्तों के लिए भी कुछ टेस्टी खान परोसा जाता है। कुत्तों के लिए कुछ नॉनवेज के साथ आइसक्रीम, शेक भी हैं। वे बताती है कि शहरों में तो लोगों के पास जगह की भी काफी कमी होती है, इसलिए वे यहां बाहर भी नहीं ले जा पाते। लेकिन पपीचीनो में वे पूरे परिवार के साथ अपने कुत्तों को भी पार्टी दे सकते हैं।
शादी की तैयारियों के पूरे इंतजाम
फैशन स्ट्रीट के किनारे से हो कर गुजरने वाली गली में कुछ स्पा, पार्लर, आमंत्रण कार्डस व गिफ्ट की भी दुकानें खुल गई हैं। हैंड मेड पर्स व अन्य सजावटी आइटम भी यहां खरीदें जा सकते हैं। शादी के लिए लहंगा, सूट व अन्य साड़ियां डिमांड पर बनाई जाती है। शादियों के सीजन में तो इस गली की रौनक और बढ़ जाती है। एक से बढ़ कर एक लहंगे, साड़ियां, गाउन, शेरवानी, कुरते और भी तरह-तरह के कपड़े खरीदने के लिए यहां के बुटिकों में भीड़ लगी रहती है। यहां की तंग गलियों और पारंपरिक हवेलियों के बीच लगभग 200 सौ ट्रेंडी फैशन बुटीक हैं। यह धीरे-धीरे डिजाइनर कपड़ों,जूतों, बैग और सौंदर्य प्रसाधनों का हब बनता जा रहा है।
विदेशों में पहचान बना चुका शाहपुर जट
सपना जैन, आइना बुटीक, फैशन डिजाइनर
भले ही दिल्ली के ज्यादा लोग इस गांव में बसे फैशन इंडस्ट्री को न जानते हो लेकिन दुनिया के फैशन इंडस्ट्री में शाहपुर जट एक खास मकाम बना चुका है। यहां तकरीबन सभी डिजाइनर के क्लाइंट दुबई, हॉगकांग, यूरोपियन देशों मंें है। फिल्म इंडस्ट्री के भी कई लोग अपने कॉस्ट्यूम यही तैयार करवाते हैं। आज से करीब बीस साल पहले इस गांव में दो ही बुटीक हुआ करते थे। इस गांव में बंगाली कढ़ाई करने वाले लोग तो पहले से ही रहा करते थे, लेकिन तब यहां पर दिल्ली के दूसरे स्थानों से इन कारीगरों को काम मिला करता था। आज तस्वीर बदल चुकी है। यहां तकरीबन चार हजार से ज्यादा बंगाली कारीगर आ बसे हैं। इसके अलावा रंगरेजों की भी कई दुकाने यहां खुल चुकी है। हर गली के मोड़ पर रंगरेजों ने कपड़े रंगने का काम शुरू किया है। मेरे ख्याल से फैशन इंडस्ट्री के लिए सभी चीजें यहां मुहैया है। फिर चाहे कपड़े की दुकानें हो, या फिर कारीगर या फिर दर्जी। इसी वजह से आज यहां करीब डेढ़ सौ से ज्यादा बुटीक खुल चुकी है। कुछ नामी डिजाइनर है तो कुछ नए डिजाइनर। दुनिया के नक्शे में शाहपुर जट का नाम शुमार है। इस फैशन हब के कारण यहां के आसपास के क्षेत्र में रहने वाले युवाओं को भी यहां रोजगार मिल रहा है।
पर्यटन हब बनाने की कवायद
पिछले दस सालों में शाहपुर जट गांव एक बड़ी इंडस्ट्री के रूप में उभरी है। यहां पर अंतरराष्ट्रीय स्तर के रेस्तरां भी हैं, तो स्पा भी। फैशन ट्रेंड भी यही से तय होने लगा है। लेकिन इतनी बड़ी मार्केट होने के बाद भी इसे हॉज खास के बराबर का दर्जा नहीं मिला है। इसलिए दिल्ली सरकार को शाहपुर जट को पर्यटन क्षेत्र में शुमार करने के लिए प्रस्ताव तैयार किया गया है। स्थानीय लोगों ने अपने प्रयासों से इसकी गलियों को ठीक करवाया है। इसके साथ गांव के बाहर वाली गलियों में बने घरों के बाहर नारंगी व गुलाबी रंग से सजाया है। मकानों के नंबर प्लेट भी विदेशी तर्ज पर बनवाए गए हैं। इस गांव को विदेशों की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है। हॉज खास गांव को पर्यटन स्थल में शामिल किया गया है। उसी तरह शाहपुर जट को भी पहचान मिलनी चाहिए। विदेशों में तो बुटीक व डिजाइनरों ने इसे पहचान दे दी है लेकिन दिल्ली सरकार भी इसे पर्यटन क्षेत्र के रूप में शामिल करें। इसके साथ यहां मेले का भी आयोजन किया जाना चाहिए।