Bollywood latest Update: दोस्तों यह किस्सा उस अधूरी प्रेम कहानी का है जिसमें दो बड़े सितारे हैं और हिन्दू मुस्लिम के चलते कभी एक नहीं हो पाए। हम बात कर रहे हैं देवानंद (Actor Devanand) की। ऑटोबायोग्राफी रोमांसिंग विद लाइफ में अपनी और सुरैया (Actress Suraiya) से जुड़े किस्से को बताया गया है।
देवानंद और सुरैया की मुलाकात साल 1948 की फिल्म विद्या के सेट पर हुई थी। शूटिंग के दौरान ही सुरैया और देव साहब करीब आ गए थे। सुरैया की मां तो चाहती थीं कि देवानंद की शादी सुरैया से हो जाए, लेकिन सुरैया की नानी इस रिश्ते के सख्त खिलाफ थी। देवानंद ने बताया था कि एक दिन शूटिंग के दौरान नाव पलट गई थी और उन्होंने सुरैया को बचाया था। इसके बाद से सुरैया देव साहब की दीवानी हो गई। देव साहब भी उन्हें बहुत पसंद करते थे।
देवानंद और सुरैया जहां एक दूसरे के प्यार में पागल थे, वहीं उनके परिवार वाले इसके खिलाफ थे। 1949 में जीत की शूटिंग के दौरान देवानंद सुरैया के साथ भागकर शादी करने को तैयार थे, लेकिन प्लान असफल हो गया। सुरैया की रूढ़ीवादी नानी बाशा बेगम को देवानंद के प्लान का पता चल गया और इसके बाद सुरैया कभी अपनी नानी के खिलाफ नहीं जा सकी। नानी के दबाव में सुरैया ने देव साहब से मिलना तक बंद कर दिया। देवानंद ने अपने प्यार को पाने की बहुत कोशिश की।
देवानंद से सुरैया की शादी के खिलाफ नानी केवल इसलिए थीं क्योंकि देव साहब हिन्दू थे। आखिरी बार सुरैया से मुलाकात के बारे में देव साहब ने बताया था कि वह बालकनी में। दोनों मिले थे और गले मिलकर खूब रोई। इसके बाद उन्होंने सुरैया को कभी नहीं देखा। आपको बता दें कि सुरैया ने फिल्मों में काम करना बाद में छोड़ दिया था और वह घर से बाहर भी नहीं निकलती थीं। ताउम्र देव की याद में उन्होंने खुद को जलाया और शादी नहीं की।
देव साहब ने बताया था कि वह सुरैया की मौत के बाद भी उनकी अंतिम यात्रा में नहीं गए थे। देव साहब का कहना था कि वह नहीं चाहते थे कि लोग सुरैया और उन्हें लेकर बातें बनाएं। देवानंद का कहना था कि वह अंदर से टूट गए थे और अपने गम को खुद में ही रखना उन्होंने ठीक समझा था। यही तो ताउम्र सुरैया ने भी किया था।