दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यकारिणी परिषद सदस्य डॉ सीमा दास और राजपाल पवार ने कुलपति को लिखे अपने पत्र में स्थाई नियुक्ति साक्षात्कारों में हो रहे विस्थापन को रोकने की मांग की। इसके साथ ही उन्होंने दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के उस पत्र को अमल में लाने की भी अपील की जिसमें सिसोदिया ने अध्यादेश के द्वारा सभी तदर्थ शिक्षकों को समायोजित करने सुझाव दिया है।
अपने पत्र में EC सदस्यों ने पंजाब समायोजन मॉडल का उदाहरण देते हुए इस बात पर ज़ोर दिया कि शैक्षणिक गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों के अनुभव स्वीकार किया जाना चाहिए। समायोजन न केवल शिक्षकों के लिए अच्छा है, बल्कि छात्रों, विश्वविद्यालय और बड़े संदर्भों में समाज के लिए भी अच्छा है।
इसके साथ ही, पत्र के माध्यम से EC सदस्यों ने कुलपति को कार्यकारिणी परिषद की बैठकों में चयनात्मक रूप से मुद्दे उठाने से बचने की सलाह दी। साथ ही यह मांग भी रखी कि जब विश्वविद्यालय प्रशासन DUPA पत्र को EC बैठक में ला सकता है, तो उप मुख्यमंत्री द्वारा लिखे पत्र को भी 3 फरवरी 2023 की EC की बैठक में विमर्श के लिए लाया जाना चाहिए।
आप का शिक्षक संगठन AADTA पहले भी प्रत्येक एसी और ईसी बैठकों में, बड़े पैमाने पर हो रहे विस्थापन पर आपत्ति दर्ज कराता रहा है। साथ ही, इससे तदर्थ और अस्थायी शिक्षकों की हो रही दुर्दशा को भी उजागर करते हुए, समायोजन के लिए संघर्ष करता रहा है।