हाइलाइट्स
- सीपी के इस रेस्तरां में खाने के लिए लगती हैं लंबी लाइन
- धर्मेंद्र की फिल्मों के गाने जायके को और लजीज बना देते हैं
- फिल्म शोले के विभिन्न दृश्य के पोस्टर भी लगाए गए हैं
हाइवे पर सरपट दौड़ते ट्रक और बसों के बीच सड़क के किनारे बने ढाबे में सजी थोड़ी टूटी सी लकड़ी के मेज, रोटी और बोटी, बिंदास खाने का स्टाइल और बड़े से कांच गिलास में पानी के साथ भारी स्टील के गिलास में लस्सी और पीछे अभिनेता धर्मेन्द्र की फिल्मों के पुराने गाने शाने। शायद ही कोई हो जिसे ढाबे में खाए दालमखनी के साथ प्याज और हरी मिर्च और कांच के गिलास में ठंडा पानी का स्वाद याद न हो। लेकिन शहर के बीचों बीच अगर हाइवे जैसे ढाबे की फील को महसूस किया जाए तो क्या कहेंगे और वो भी एक दम फिल्मी स्टाइल में। जी हां दिल्ली (Delhi) के दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस में ही हाइवे है और उसमें एक ढाबा और ठेका भी। ढाबे के जायके के साथ में अभिनेता धमेन्द्र (actor dharmendra) की फिल्मों के गाने और डायलोग भी भूख बढ़ाते नजर आते हैं। अकसर कहा भी जाता है कि अगर जगह शानदार हो तो खाने का जायका अपने आप दो गुना हो जाता है। कनॉट प्लेस के आउटर सर्कल में खुले गरम धरम ढाबा (garam dharam dhaba) ते ठेका अभिनेता धर्मेन्द्र के रंग में रंगा हुआ।
कनॉट प्लेस (Connaught place) के आउटर सर्कल (outer circle )का एम ब्लॉक। दिल्ली फायर स्टेशन के ठीक सामने सड़क पार करते ही कनॉट प्लेस का बाहरी सर्कल में अभिनेता धर्मेन्द्र की तस्वीर नजर आ जाएगी। यही है गर्म धर्म ढाबा ते ठेका। ट्रकों के शीशे पर लगे रंगबिरंगे बल्ब, मैन्यू लिए पीले पोशाक में कर्मचारी और गेट पर रखा एक बायोस्कोप। बायोस्कोप देख कर एक पल के लिए लोग अपने बचपन में खो जाएंगे जब गलियों में धर्मेन्द्र और रीना रॉय के गाने लिए लोग बायोस्कोप लिए घूमा करते थे। गेट के बाहर तो सिर्फ ट्रेलर भर का जलवा है। फिल्म गेट खोलते ही शुरू होती है।
ढाबे के अंदर प्रवेश करते ही, दीवारों पर धमेन्द्र के फ्रेम किए गए कई तस्वीरों पर नजर टिक जाती है। लकड़ी और पुराने ठेके के लुक में दिया गया इंटीरियर, बाल्टियों और लालटेन की रौशनी के बीच बक्से नुमा टेबल और ढाबे में रखी कुर्सियां। कुर्सी पर बैठते ही नजर रेस्तरां के अंदर के इंटीरियर को निहारने के लिए नजर इधर उधर तेजी से दौड़ने लगती है। सबसे पहले शोले फिल्म में जय और वीरू की जोड़ी को घूमाने के लिए इस्तेमाल की गई मोटर साइकल और बड़ी धर्मेन्द्र का बड़ा सा पोस्टर जिसके सामने लोग सेल्फी खिचवातें नजर आ जाएंगे। ढाबा है तो हाइवे और ट्रक का ्रफील होना भी लाजमी है। इसलिए रेस्तरां में एक कोने में ट्रक, परांदे और ट्रक पर लिखे कुछ जुमले भी देखे जा सकते हैं। रंग बिरंगी कांट की बोतलों की चमक लिए नजर ठेके पर भी ठहरती है। यहां लोग मॉकटेल और कॉकटेल का लुत्फ ठेके वाली स्टाइल में लेते दिखेंगे। मॉकटेल ड्रिंक अजीबो गरीब जुमले लिखे बोतलों में सर्व किया जाता है।
ट्रक के पीछे लिखे जुमले भी यहां घूमते फिरते दिखाई देंगे। ढाबे के कर्मचारी के शर्ट के पीछे कुछ लोकप्रिय जुमले लिखे गए हैं जो जिंदगी के फलसफे को बखूबी बताते दिखाई देते हैं। इन जुमलों में खाओ पीओ ऐश करो, आवाज दो मगर प्यार से, सुना सबकी करो अपनी शामिल है। रेस्तरां के अंदर धर्मेद्र की फिल्में चरस, चुपके चुपके, राजपूत, अपने जैसे कई फिल्मों के नाम और उनके मशहूर डायलॉग भी दीवारों पर लिखे गए हैं। रेस्तरां के इंटीरियर के साथ मैन्यू भी एक दम फिल्मी दिखाई देगी। मैन्यू के पहले पेज पर धर्मेद्र की फिल्में और उनकी पसंद के डायलॉग के फील लिए जायके। मैं बलवान फैमली मान( फैमली नान), फूल और पत्थर के कबाब( कबाब), अमृतसरी पिंडी शोले( छोले), अनोखा मिलन सीख (कबाब) जैसे कई जायके हैं जो धरम पाजी के भी फेवरेट है। यहां के मैनेजर रोहित भारद्वाज ने बताया कि इन सब जायकों की सबसे खास बात यह है कि इनकी रसेपी खुद धर्मेन्द्र ने बताई है। पन्ना पलटने के बाद कई शाकाहारी और मांसाहारी लजीज पकवान की सूची पर नजर दौड़ जाती है। इस बीच रोहित बताते हैं कि यहां सारा खाना देसी घी में तैयार किया जाता है। इसलिए दीवार पर यह डायलोग भी देखा जा सकता है कि इस स्टोरी में इमोशन है, ड्रामा है, ट्रेजिडी है।
मेज पर पहले से ही स्टील की थाली और ढाबे वाले कांच के गिलास रखे गए हैं। खाना परोसने का अंदाज भी अलग है। खाने को परोसने के लिए बाल्टी और दूसरे तरह की मेस्टिन का इस्तेमाल किया जाता है। बाल्टी मीट यहां की विशेष व्यंजनों में से एक है। शलगम गोस्त, गोस्त की बिरयानी, मक्की की रोटी सरसो का साग, मसाला तंदूरी झींगा, बटर चिकन, दाल मखनी, दाल फ्राइ, मटर पनीर, स्पेशल नान जैसे अनेक जायके जो टेबल पर आते ही मुंह में घुलने को तैयार रहते हैं। हाथ रुकते ही नहीं। यहां के मैनेजर बताते हैं कि इस ढाबे में खाने के लिए लोग एक घंटे कतारों में इंतजार करते हैं। शनिवार और एतवार को तो इंतजार थोड़ा लंबा भी हो जाता है। लेकिन धरम पाजी के फैन यहां उनकी जिंदादली को यहां महसूस करने के लिए इंतजार भी कर लेते हैं।
चंकी, मीका भी लेते हैं धर्म के जायकों का लुत्फ
मैनेजर रोहित बताते हैं कि दिल्ली वालों के साथ यहां सेलब्रिटी भी खूब चाव से धरम पाजी के पसंदीदा जायकों का लुत्फ उठाते हैं। यहां गायक मीका, अभिनेता चंकी पांडे, शत्रुघन सिंहा की पत्नी पूनम सिंहा, रती अग्निहोत्री, और भी कई टीवी कलाकार यहां के जायकों का लत्फ उठाते हैं। रोहित बताते हैं कि ढाबे के खाने का लुत्फ यहां मिलता है। सड़क के किनारे बने ढाबे में बने खाने को लेकर अकसर आशंकित रहते हैं कि खाना ठीक तरह से पकाया गया है या नहीं। हाइजीन का ध्यान रखा गया है या नहीं। यहां लोग इस बात से पूरी तरह बेफिक्र हो कर जायकों का लुत्फ उठाते नजर आते हैं।
मैं हूं गर्म धर्म गाना हुआ क्लिक
मिकी मेहता, ओनर, गरम धरम ढाबा ते ठेका
करीब दो साल पहले दिल्ली में एक ढाबा खोलने की प्लानिंग चल रही थी लेकिन नाम और कॉन्सेप्ट साफ नहीं था। इसी बीच एक सफर के दौरान अभिनेता धर्मेन्द्र का गाना मैं हूं गरम धरम सुना। बस फिर क्या था, आइडिया क्लिक हुआ कि क्यों न ढाबे के साथ धर्म जी को जोड़ा जाए। क्योंकि गाने की तरह ही धरम पाजी भी हॉट हैं और पंजाबी जायके उनकी कमजोरी। इस कॉन्सेप्ट को लेकर उनके पास गए। यह विचार उन्हें पसंद भी आया। बस फिर क्या था इस सफर की शुरूआत हुई। पिछले साल ही धर्म जी के हाथों ही इसका उद्घाटन किया गया। धर्मेन्द्र जी के फिल्में और उनके गानों के साथ उनके जायके का लुत्फ लोगों को मिलता है शायद इसी कारण शाम ढलते ही रेस्तरां के बाहर लोगों की लाइन लग जाती है, लोगों को एक घंटे तक बाहर इंतजार करना पड़ता है। ढाबे के रंग जिंदगी के सभी रंगों से लबरेज दिखाई देते हैं। ढाबे स्टाइल में ही खाना परोसा जाता है। दीवारों पर धर्म जी की फिल्में, गाने, उनके पोस्टर और कई अनदेखी तस्वीरें लगाई गई हैं। अंदर गाने भी उन्हीं के फिल्मों के बजाए जाते हैं। मैन्यू के पहले पेज पर धर्म जी के पसंदीदा जायके हैं जो यहां का स्पेशल जायका है।
हाइजेनिक ठेके के रंग ..
गरम धरम का ठेका भी इंटीरियर की तरह ही रंगीन और अलग है। बोतलों पर भी धरम पाजी का पूरा नशा देखा जा सकता है। छोटी बोतलों में मॉकलेट और कॉकटेल को ठेके के साथी यानी चखने के साथ परोसा जाता है। लोग फुर्सत में धरम पाजी के गानों और उनकी फिल्मों के पोस्टरों के बीच इन सबका लुत्फ उठाते हैं।