हाइलाइट्स

  • 74 साल बाद अब मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आ रहे हैं चीते
  • पहली बार अफ्रीका से एक साथ आठ चीते ले आए जा रहे हैं
  • अफ्रीकी चीतों को एक साथ विमान से ले आया जा रहा भारत

भारत में किसी का भी शासन रहा हो चीते हमेशा संकट में रहे। मुगल, राजपूत, ब्रिटिश शासनकाल में चीतों (Cheetah) के लिए भारत सही स्थान नहीं रहा। अधिक शिकार (Hunting),रहने की जगह की कमी (Habitat Loss) की वजह से चीतों की संख्या कम होती चली गई। 20वीं सदी तक एशियाटिक चीता (Asiatic Cheetah) इजरायल, अरब प्रायद्वीप से ईरान तक, अफगानिस्तान से लेकर भारत तक रहा करते थेे। यहां तक कि दक्षिण भारत के तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिल में भी चीते दिख जाते थे। लेकिन देश की आजादी के बाद संख्या इस कदर कम हो गई कि केवल तीन चीते रह गए। वो भी आजादी के साल भर के अंदर ही खत्म कर दिए गए। छत्तीसगढ़ के एक राजा ने चीतों का शिकार कर लिया।

74 साल बाद आ रहे चीते

मध्यप्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो नेशनल पार्क (kuno national park) में अफ्रीकी चीतों का दीदार किया जा सकेगा। 74 साल बाद चीते यहां ले आए जा रहे हैं। चीतों को एक खास विमान से भारत लाया जा रहा है। विमान नामीबिया से भारत के लिए उड़ान भरेगा और ग्वालियर में लैंड करेगा। चीता प्रोजेक्ट के प्रमुख एसपी यादव के अनुसार विशेष चार्टर कार्गो फ्लाइट ग्वालियर में उतरेगी, फिर ग्वालियर से हेलीकॉप्टर से कूनो नेशनल पार्क श्योपुर लाया जाएगा। इस फ्लाइट को स्पेशल फ्लैग नंबर 118 दिया गया है। विमान पर चीते की पेंटिंग बनी है। 

पीएम कूनो नेशनल पार्क में छोड़ेंगे चीते

पहली बार चीताें को एक स्थान से दूसरे स्थान ले जाने का काम एयरलाइंस की मदद से किया जा रहा है। पूरे देश के लिए यह गौरवशाली क्षण हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (pm narendra modi birthday) अपने जन्मदिन यानी 17 सितंबर के दिन खुद कूनो नेशनल पार्क में बने बाड़े में चीतों को आजाद कर देश के पहले चीता प्रोजेक्ट का शुभारंभ करेंगे।

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