गोवर्धन धरणी उठाई गीत के बोल

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

भारत के विभिन्न हिस्सों में गोवर्धन पूजा का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार मुख्य रूप से भगवान कृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाने की लीला का स्मरण करता है। इस अवसर पर भक्ति गीतों का गायन होता है, जो न केवल धार्मिक आस्था को दर्शाते हैं, बल्कि सामाजिक एकता और प्रेम का संदेश भी देते हैं।

गोवर्धन धरणी उठाई 

एक प्रसिद्ध लोकगीत “गोवर्धन धरणी उठाई” इस पर्व का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह गीत भगवान कृष्ण की महानता और उनके द्वारा बृजवासियों की रक्षा की कथा को प्रस्तुत करता है। गीत की पहली पंक्ति में कहा गया है:

“गोवर्धन धरणी उठाई, कृष्ण ने बृजवासियों को बचाई।” 

यह पंक्ति बताती है कि कैसे भगवान कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को उठाकर अपने भक्तों को इन्द्र देवता के प्रकोप से बचाया।

गीत में आगे की पंक्तियाँ भी इस कहानी को आगे बढ़ाती हैं, जैसे: 

“इन्द्र देवता नाराज हुए, गोकुल पर मूसलधार बरसे।” 

यहां इन्द्र देवता की नाराजगी और उनकी ओर से आई आपदा का जिक्र है।

गीत के अन्य महत्वपूर्ण हिस्से में भक्तों की भक्ति का वर्णन मिलता है: 

“पर्वत पर रखी रोटी, भक्तों का मन भाए।” 

इस पंक्ति के माध्यम से यह दर्शाया गया है कि गोवर्धन पूजा के दौरान भक्त किस तरह से रोटी अर्पित करते हैं और अपने मन की खुशी व्यक्त करते हैं।

सामाजिक एकता और प्रेम 

गोवर्धन पूजा का महत्व केवल धार्मिक आस्था में ही नहीं, बल्कि समाज में एकता और भाईचारे को बढ़ावा देने में भी है। इस दिन लोग मिलकर खुशी मनाते हैं, नाचते-गाते हैं और एक-दूसरे के साथ भक्ति में लीन होते हैं।

गोवर्धन पूजा भक्ति, प्रेम और एकता का पर्व है, जो न केवल धार्मिक अनुभव को समृद्ध करता है, बल्कि सामाजिक सद्भाव भी बढ़ाता है। इस दिन गाए जाने वाले लोकगीत, जैसे “गोवर्धन धरणी उठाई,” भगवान कृष्ण की महिमा को और भी भव्यता के साथ प्रस्तुत करते हैं, जिससे सभी भक्तों के दिलों में श्रद्धा का भाव जागृत होता है।

गोवर्धन पूजा पर गाए जाने वाले लोकगीतों में से एक लोकप्रिय गीत “गोवर्धन धरणी उठाई” का पूरा गीत निम्नलिखित है:

गोवर्धन धरणी उठाई

गोवर्धन धरणी उठाई, 

कृष्ण ने बृजवासियों को बचाई। 

इन्द्र देवता नाराज हुए, 

गोकुल पर मूसलधार बरसे। 

कृष्ण ने उठाई गोवर्धन, 

बचाया गोकुल का हर एक जन। 

गोपियाँ गाएँ, गोकुल में छाएँ, 

कृष्ण की महिमा के गुण गाएँ। 

पर्वत पर रखी रोटी, 

भक्तों का मन भाए। 

कृष्ण का नाम जपते, 

सभी भक्त झूमते। 

इन्द्र का कोप भंग किया, 

कृष्ण ने सच्चाई का पाठ पढ़ाया। 

गोवर्धन पर्वत की महिमा, 

संसार में फैलाए हर जगह। 

भक्ति भाव से करते हैं सगाई, 

सभी मिलकर मनाते हैं गोवर्धन पूजा। 

कृष्ण की लीला, भक्ति का गान, 

हर दिल में बसा है भगवान। 

यह गीत भक्तों की भक्ति, प्रेम और भगवान कृष्ण की लीला का सार है। इसके माध्यम से गोवर्धन पूजा का महत्व और भगवान कृष्ण की महानता का वर्णन किया जाता है।

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