दक्षिणी दिल्ली के हौज खास (south delhi hauj khas) के दक्षिणी-पूर्व में लगभग 200 मीटर पर अनगढ़े पत्थरों से निर्मित एक शुंडकार बुर्ज है, जो चोर मीनार (chor minar) कहलाता है। इसके निर्माण व डिजाइन को देख कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि सन 1300 के आसपास सामाजिक परिस्थितियां कैसी रही होंगी। खिलजी काल में निर्मित इस मीनार में 225 सुराख हैं। हर एक सुराख गोलाकार हैं, जिनके बारे में कहा जाता है कि उस क्षेत्र में जो चोर पकड़े जाते थे उनके सिर कलम कर दिए जाते थे और सिर को इन सुराखों में रख दिए जाते थे ताकि दूसरे लोगों को चोरी करने से भय दिखा कर रोका जा सके। इसलिए इसे चोर मीनार भी कहते हैं।
हालांकि इस मीनार के बारे में दूसरी कहानी भी है। कुछ इतिहासकार बताते हैं कि इस मीनार में मंगोल आक्रमणकारियों के सिर कलम करके लटकाए जाते थे। अलाउदीन खिलजी ने मंगोल से आए करीब 8000 आक्रमणकारियों को मार गिराया था। इसलिए इस स्थान को आज भी मंगोलपुरी कहा जाता है। वास्तुकार सुबोध पंत बताते हैं कि इस मीनार के वास्तु को देख कर इसके मकसद का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह एक गोलाकार मीनार है जो एक चबूतरे पर स्थित है और इसके अंदर की ओर एक जीना है। चबूतरे के आसपास आर्क वाले द्वार भी हैं। अनगढ़े पत्थरों का इस्तेमाल किया गया है। इसमें लगे लोहे की कड़ियों से साफ पता चलता है कि इसे जेल की तरह इस्तेमाल किया जाता होगा। इसमें एक बड़ा कमरा भी है। गोलकार मीनार के अंदर छोटे छोटे सुराख बनाए गए हैं। चूंकि यह शहर के बाहर स्थित था तो साफ है इसका इस्तेमाल बादशाह ने लोगों को डराने के लिए किया होगा।