Dyal Singh Public Library ए बुक होल्ड्स द हाउस अाफ गोल्ड’। चीन (China) में प्रचलित इस लोकोक्ति के अनुसार पुस्तकालय वो खजाना है जहां पुस्तकों के रूप में ज्ञान स्वर्ण का भंडार भरा है। राजधानी दिल्ली (Delhi) में भी ऐसे कुछ पुस्तकालय (Library) हैं, जहां पाठकों व विद्यार्थियों के लिए अर्जन के हेतु ज्ञान का भंडार भरा है। ऐसा ही एक पुस्तकालय है दीनदयाल उपाध्याय मार्ग पर स्थित दयाल सिंह पब्लिक लाइब्रेरी (Dyal Singh Public Library)। शांति में सुकून के साथ ज्ञान अर्जन की चाहत रखने वालों के लिए यह पुस्तकालय किसी मंदिर से कम नहीं है। दिल्ली के केंद्र में होने व पुस्तकालय की बेहतर व्यवस्था के कारण जहां बड़ी संख्या में पाठकों की मौजूदगी रहती है वहीं, लोग खूबसूरत लॉन में बैठ कर भी पढ़ाई का लुत्फ उठाते हुए दिख जाते हैं।
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91 वर्ष पूर्व हुई थी स्थापना : दयाल सिंह पुस्तकालय की स्थापना वर्ष 1928 में लाहौर (अब पाकिस्तान) में समाज सुधारक सरदार दयाल सिंह मजीठिया ने की थी। भारत-पाक विभाजन के बाद पंजाब यूनिवर्सिटी के पहले कुलपति दीवान आनंद कुमार के प्रयत्नों से दयाल सिंह पब्लिक लाइब्रेरी को 1954 में दिल्ली में स्थापित किया गया। यह लाइब्रेरी दयाल सिंह लाइब्रेरी ट्रस्ट सोसायटी द्वारा संचालित की जाती है।
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43,000 से ज्यादा किताबों का संग्रह : पुस्तकालय के पास हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, पंजाबी व संस्कृत समेत विविध भाषाओं की 43,000 से भी अधिक पुस्तकों का संग्रह है। पुस्तकें मुख्य रूप से साहित्य, सामाजिक विज्ञान, इतिहास, दर्शन शास्त्र एवं अंतरराष्ट्रीय मामलों से संबंधित हैं। इसके अलावा जानकारी से संबंधित अन्य विषयों पर भी लाइब्रेरी में प्रामाणिक कलेक्शन मौजूद है। वैसे तो हर आयु वर्ग के लोग यहां पहुंचते हैं, लेकिन बड़ी संख्या विद्यार्थियों की रहती है। यही कारण है कि उपयोगी पुस्तकों के अलावा विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के मद्देनजर तैयार करने के लिए सामान्य ज्ञान व प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित किताबें भी मौजूद हैं।
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बच्चों व दिव्यांगों के लिए विशेष व्यवस्था : एक और बात जो इस पुस्तकालय को विशिष्ट बनाता है वो है बच्चों में रचनात्मकता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तैयार किया गया चिल्ड्रेन विंग, जहां बालोपयोगी किताबों के साथ ऑडियो-वीडियो उपकरण, पेंटिंग, गेम्स भी उपलब्ध हैं। साथ ही पुस्तकालय में असमर्थ एवं दिव्यांग सदस्यों के लिए व्हील चेयर एवं अन्य सुविधाएं भी मौजूद हैं। यहां पर एक साथ 80 लोग बैठ कर आसानी से अपनी जानकारी को बढ़ा सकते हैं। लोगों की जानकारी को अपडेट रखने के लिए लाइब्रेरी द्वारा पाक्षिक-मासिक 100 पत्रिकाएं व हिंदी-अंग्रेजी के 23 समाचार पत्र भी मंगवाए जाते हैं।
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ज्ञान अर्जन के लिए नहीं देनी होगी सदस्यता शुल्क : पुस्तकालय की एक और विशेषता यह है कि यहां किताबें पढ़ने के लिए न तो कोई शुल्क है, न ही प्रतिदिन ज्ञान अर्जन के लिए यहां पहुंचने वालों के लिए सदस्यता अनिवार्य है। आजीवन सदस्य बनने के लिए हालांकि कोई शुल्क नहीं लिया जाता, लेकिन सदस्यों से सिक्योरिटी के तौर पर 300 रुपए लिए जाते हैं। यह राशि सदस्यता खत्म होने के बाद वापस मिल जाती है। सदस्यों को चार कार्ड भी इश्यू किए जाते हैं। दो हरे कार्ड किताबों के लिए होते हैं तथा दो पीले कार्ड पत्रिकाओं के लिए होते हैं। यदि कोई सदस्य आठ कार्ड चाहता है तो उनसे सिक्योरिटी के तौर पर 500 रुपए जमा कराए जाते हैं। एक कार्ड पर दो सप्ताह के लिए किताब अथवा पत्रिकाएं मिल जाती हैं तथा पुस्तकालय आकर या फोन के जरिए दो सप्ताह के लिए और बढ़ाया जा सकता है। अभी तक पुस्तकालय ने लगभग 14000 सदस्यों को खुद से जोड़ लिया है तथा विभिन्न क्षेत्रों के औसतन 150 सदस्य प्रतिदिन यहां आते हैं।
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opening time खुलने का समय
पुस्तकालय हर मौसम में सुबह 9.30 से लेकर शाम के 5.30 तक खुली रहती है। रविवार एवं सरकारी छुट्टियों के दिन बंद रहती है।
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how to reach Dyal Singh public library ऐसे पहुंचे
पंडित दीनदयाल उपाध्याय मार्ग स्थित इस पुस्तकालय तक आइटीओ मेट्रो (गेट नंबर 1 व 2) या आईटीओ बस स्टैंड से पैदल पहुंचा जा सकता है।
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