अरविंद जयतिलक
वरिष्ठ स्तंभकार
75 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भारत यात्रा ने दोनों देशों के रिश्ते को मिठास से भर दिया है। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की भारत की यह तीसरी यात्रा है। इससे पहले वे वर्ष 2018 में भी गणतंत्र दिवस के मुख्य अतिथि बने थे। दोनों देशों के बीच कितना मधुर संबंध है, वह इसी से समझा जा सकता है कि 1976 से लेकर अब तक पांच बार फ्रांस के राष्ट्रपति गणतंत्र दिवस की शोभा बढ़ा चुके हैं। इस समय दोनों देश (india france relations) रणनीतिक साझेदारी की 25 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के बीच कई विषयों पर सहमति बनी है जो दोनों देशों के लिए बेहद फायदेमंद है। फ्रांस की ओर से भारतीय छात्रों के शेंगेन वीजा की वैधता 5 साल का एलान किया गया है।
गौरतलब है कि इससे पहले भारतीय छात्रों को फ्रांस में तीन महीने से लेकर केवल एक साल तक ही रहने की अनुमति थी। दोनों देशों के बीच पढ़ाई से लेकर रोजगार के मसले पर बातचीत हुई। दोनों देश युवा पेशेवर योजना की घोषणा की है जिसके तहत 18 वर्ष से 35 वर्ष के युवाओं को एकदूसरे के देश में कमाई के रास्ते खुलेंगे। इसके अलावा दोनों देशों के बीच डिफेंस स्पेस पार्टनरशिप, सैटेलाइट लांच के लिए नए स्पेस इंडियन लिमिटेड और एरियन स्पेस के बीच एमओयू हुए हैं। टाटा और एयरबस स्थानीय कंपनी के साथ मिलकर 125 हेलिकॉप्टर बनाएंगे। दोनों देशों के बीच विज्ञान, तकनीक, स्वास्थ्य सेवा सहयोग, कृषि समेत पब्लिक एडमिनिस्टेªशन एंड रिफॉर्म्स के मसले पर भी सकारात्मक चर्चा हुई। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने ओलंपिक खेलों की मेजबानी के लिए भारत के इरादे का समर्थन किया है।
इसमें कहीं दो राय नहीं कि मौजूदा समय में दोनों देशों के संबंध शिखर पर हैं। याद होगा जब गत वर्ष भारतीय प्रधानमंत्री फ्रांस के बैस्टील डे परेड प्रोग्राम में गेस्ट ऑफ ऑनर के तौर पर शामिल हुए तो उन्होंने फ्रांस के साथ रिश्ते को संदर्भित करते हुए कहा कि दोनों के साझा मकसद हैं। आतंक की लड़ाई में भारत फ्रांस के साथ है। दोनों देश 25 वर्ष की भरोसे की मजबूत नींव पर अपने कर्तव्यों की निर्वहन कर रहे हैं। रक्षा सहयोग दोनों देशों के संबंधों का आधार है।
प्रधानमंत्री मोदी ने फ्रांस को मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का महत्वपूर्ण साझाीदार बताते हुए सुनिश्चित किया कि दोनों देश पनडुब्बी हो या नौसैनिक विमान सभी क्षेत्र में कंधा जोड़ आगे बढ़ने को तैयार हैं। तब दोनों देश ‘भारत-फ्रांस हिंद-प्रशांत रोडमैप’ जारी करते हुए रणनीतिक रुप से महत्वपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक संतुलित और स्थिर व्यवस्था बनाने पर सहमति जाहिर की।
गौरतलब है कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रीयूनियन द्वीप, न्यूकैलेडोनिया और फ्रेंच पोलिनेशिया जैसे क्षेत्रों में व्यापक उपस्थिति है। इस पहल से हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागिरी पर रोक लगेगी। दोनों देशों के बीच कितना मधुर संबंध है इसी से समझा जा सकता है कि फ्रांस ने प्रधानमंत्री मोदी को अपने देश का सर्वोच्च सम्मान ‘ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर’ से सम्मानित किया। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों भी बेहद उत्साहित दिखे और उन्होंने कहा कि विश्व इतिहास में एक दिग्गज, भविष्य में एक निर्णायक भूमिका निभाने वाला, रणनीतिक साझेदार एक मित्र का स्वागत करने पर उन्हें गर्व है।
याद होगा जब 1998 में भारत ने पोखरण में परमाणु परीक्षण किया तब उससे नाराज होकर दुनिया के ताकतवर मुल्क भारत पर प्रतिबंध थोपा। तब फ्रांस ने भारत के साथ कंधा जोड़ते हुए रणनीतिक समझौते को व्यापक आयाम दिया। फ्रांस लगातार भारतीय सेना को लडाकू जेट व पनडुब्बियों समेत साजो-सामान की आपूर्ति कर रहा है। गौर करें तो 2018 के बाद से फ्रांस भारत का दूसरा सबसे बड़ा रक्षा आपूर्तिकर्ता देश बन चुका है।
मौजूदा समय में भारत अपनी कुल रक्षा आयात का तकरीबन 29 फीसदी फ्रांस से करता है। दोनों देशों के बीच बढ़ती निकटता ने कारोबारी, रणनीतिक और सामरिक कुटनीति को नए क्षितिज पर पहुंचा दिया है। विगत 25 वर्षों के दरम्यान दोनों देशों के बीच साझेदारी और समझदारी का ही परिणाम है कि आज भारत में विदेशी निवेश के लिहाज से फ्रांस तीसरा सबसे बड़ा निवेशक देश बन चुका है। फ्रांस के नेतृत्व के दृष्टिकोण में बदलाव के साथ-साथ कुछ द्विपक्षीय बाध्यताओं ने भी दोनों देशों को एकदूसरे के निकट लाया है।