भारतीय आम चुनाव 1967: चौथे आम चुनाव 1967 में हुए जिसमें पहली बार कांग्रेस के वर्चस्व को चुनौती मिली। कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत तो मिला, लेकिन पिछले चुनाव की तुलना में उसे 78 सीटें कम मिली। यही नहीं कांग्रेस को पहली बार 300 से कम सीटें मिली। पिछले तीन आम चुनावों में कांग्रेस को करीब तीन चौथाई सीटें मिलीं थी, लेकिन इस बार उसके खाते में मात्र 283 सीटें आई यानी बहुमत से मात्र 22 सीटें अधिक।
भारतीय आम चुनाव 1967, खास बातें
कुल सीटें—-520
बहुमत के लिए—261
मतदान हुआ–61%
मतदाता— 25 करोड़
67 महिला प्रत्याशियों ने आम चुनाव में हिस्सा लिया, इनमें से 29 विजयी रही।
चुनाव की तारीख:-
17 फरवरी, 1967 से 21 फरवरी, 1967 के बीच संपन्न हुए चुनाव।
भारतीय आम चुनाव 1967 में कांग्रेस की लोकप्रियता घटी
चौथे आम चुनाव तक कांग्रेस की लोकप्रियता घटने लगी थी। पहले हुए के तीन लोकसभा चुनावों मे मिले प्रचंड बहुमत के मुकाबले इस लोकसभा चुनाव में पार्टी को 40.78 प्रतिशत मत के साथ 283 सीटे मिली थी। 1962 में 44.7, 1957 में 47.8 और 1952 में पार्टी को 45 प्रतिशत मत मिले थे। सिर्फ इतना ही नहीं, उस वर्ष देश के छह राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में भी पार्टी को पराजय का मुंह देखना पड़ा था।
कांग्रेस का विभाजन
भारतीय आम चुनाव 1967 में कांग्रेस को मिले साधारण बहुमत से इंदिरा गांधी परेशान हो गई। उन्होने हठधर्मिता का परिचय देते हुए पार्टी की भावना के विपरीत कई फैसले लिए। इसमें कांग्रेस के भीतर चल रहा आंतरिक घमासान सतह पर आ गया। नवंबर, 1969 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पार्टी से निकाल दिया गया। इसके चलते कांग्रेस में विभाजन हो गया। मोरारजी देसाई के नेतृत्व में कांग्रेस (ओ) और इंदिरा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस (आर) पार्टियों का गठन हुआ। इंदिरा कम्युनिस्ट पार्टी के सहयोग से अल्पमत सरकार चलाती रही और 1971 में समय से एक साल पहले ही नए चुनावों की घोषणा हो गई।
इंदिरा की टूटी नाक भुवनेश्वर की एक रैली में प्रचार के दौरान भीड़ की तरफ से मारे गए पत्थर से इंदिरा गांधी की नाक की हड्डी टूट गई थी। इसी चुनाव में इंदिरा गांधी पहली बार रायबरेली से चुनाव जीतीं थीं। जहां से पहले उनके पति फिरोज गांधी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे।
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