साउथ एक्स पार्ट 1 की रेजिडेंसियल कालोनी में कोटला मुबारकपुर (Kotla mubarakpur) के पास ही यह तीनों गुंबद स्थित है। बड़े खान (bade khan) एवं छोटे खान (chote khan) तो एक दूसरे के आसपास है। इतिहासकार राना सफवी कहती हैं कि ये नाम किसी व्यक्ति विशेष से जुड़े प्रतीत नहीं होते हैं। ऐसा लगता है कि गुंबद की उंचाई के आधार पर किसी ने इनका नामकरण कर दिया हो। ये गुंबद लोदी काल के प्रतीत होते हैं। तीनों ही गुंबद पर बेहतरीन कैलीग्राफी की गई है। बकौल एएसआइ अधिकारी अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि यहां पर किसे दफनाया गया है। एक गलियारे केजरिए तीनों गुंबद जुड़े हुए हैं। बड़े खान गुंबद में पांच कब्र हैं। इतिहासकार सर सैय्यद इसे लोदी काल का मानते हुए इसका निर्माण 1494 में सिकंदर लोदी के कार्यकाल के दौरान का बताते हैं। राना सफवी कहती हैं कि एक बार जब वो यहां गई तो महिलाएं धूप सेंकती मिली। पूछने पर एक महिला ने बताया कि वो विगत कई सालों से खासकर सर्दियों में यहां धूप सेकने आती है।
काले खां का गुंबद
स्थानीय लोगों कीमानें तो इसके बारे में ठीक सेपता नहीं है। एएसआई के संरक्षण से पहले यह ब्लैक दिखता था लिहाजा लोगों ने काले खां का गुंबद कहकर बुलाना शुरू कर दिया। चार मुख्य दरवाजों के साथ दो छोटे दरवाजे हैं। इसके अंदर दो कब्रें हैं। इतिहासकार आरवी स्मिथ कहते हैं कि यह संभवत: दरिया खां लोहानी के पिता मुबारक खां लोहानी का मकबरा है। जो यहीं पास ही दफन किए गए हैं।