मिथिला की परम्परा है कि दुल्हन की बहनें अपने जीजा से मजाक करती हैं, हास- परिहास करती है। सीता की विदाई के समय मिथिला की युवतियां राम से पूछती हैं।

ऐ पहुना ! मेरी दीदी को तुम कहां रखोगे? अवध में तो जनकपुर के समान महल अटारी भी नहीं है। वहां गौरी का मंदिर भी नहीं होगा और सबसे बड़ी बात सुनयना जैसी माता भी नहीं होगी।

इस परिस्थिति में मेरी दीदी को तुम कहां रखोगे-

कहमां तु रखब दुलहा बहिना हमारी, बता द हमरा कैसे रखिहों दुलारी।

फूल से कोमल अइछ बहिना हमारी, कहमां से लयब दुलहा महल अटारी।।

बतादं हमरा कइसे……।।

मिथिला के सुख कहां अवध नगरिया, मीठ-मीठ गीत गावे उहां के मेहरिया

राजा जनक के हई इहमा दुआरी, बता द हमरा कइसे……।।

राजा दशरथ के हई तीन-तीन रनियां, कइसे बन रहिहें सीता मिथिला के कनियां।

अवध के लोग हई चुनल खेलाड़ी, बता द हमरा कइसे……।।

मिथिला के बहिना हमर आंख में पली है, लाल-लाल पईंआ हिनकर जैसे कली है।

कहमां से लयब दुलहा फूलवा के क्यारी, बता द हमरा कइसे……।।

फूलवा लोढ़न सीता कहमां में जइहें, कहमां अवध में गौरी पुजइहें।।

कहमां सुनयना सन पायब महतारी, बता द हमरा कइसे……।।

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