ईडी, जिसका पूरा नाम प्रवर्तन निदेशालय है, इस समय झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन  (CM Hemant Soren) के पीछे हाथ धोकर पड़ी हुई है। इससे प्रदेश में सियासी बवंडर उठ खड़ा हुआ है। ईडी ने हेमंत सोरेन के दिल्ली स्थित आवास से एक BMW कार जब्त कर ली है। पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बावजूद नहीं पहुंचने पर हेमंत सोरेन की आलोचना हो रही है। सोशल मीडिया पर तो यहां तक कहां जा रहा है कि हेमंत सोरेन लापता हो गए हैं।

सोरेन कहां हैं? यह सवाल पूछा जा रहा है। इस बीच एक बड़ी बहस यह भी छिड़ी हुई है कि यदि ईडी हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लेती है तो हेमंत सोरेन की राजनीतिक विरासत कौन संभालेगा। भारतीय जनता पार्टी ने इसे लेकर एक बड़ा बयान दिया है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता नीशिकांत दूबे ने बयान दिया है कि हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन (Kalpana Soren) मुख्यमंत्री पद संभालेंगी। हालांकि, झारखंड मुक्ति मोर्चा ने ऐसी किसी भी संभावना से इंकार कर दिया है लेकिन हम सब जानते हैं कि सियासी गलियारे में बहस का दौर यूं ही नहीं शुरू होता। आइए आपको बताते हैं कि कल्पना सोरेन आखिर कौन हैं और कैसे कल्पना के हेमंत के जीवन में आने के बाद से उनकी किस्मत ही पलट गई।

कल्पना सोरेन मूलरूप से ओडिशा प्रदेश की रहने वाली हैं। हालांकि इनका जन्म वर्ष 1976 में रांची में हुआ। कल्पना के परिवार के सदस्य आज भी ओडिशा में ही रहते हैं। कल्पना सोरेन ने रांची से ही स्नातक तक की पढ़ाई की है। 7 फरवरी 2006 को हेमंत और कल्पना सोरेन की अरेंज मैरिज हुई।

जहां तक हेमंत सोरेन की बात है तो उनका पैतृक गांव झारखंड का नेमरा है। जबकि कल्पना सोरेन ओडिशा के क्योंझर जिले की बारीपदा की रहने वाली हैं। झारखंड के सबसे बड़े राजनीतिक घराने में पैदा हुए हेमंत सोरेन और कल्पना सोरेन की शादी परंपरागत जनजातीय तरीके से हुई थी। शादी के वक्त शिबू सोरेन केंद्र सरकार में कोयला मंत्री थे।

राजनीति में पिछले पांच दशक से भी अधिक समय से सक्रिय शिबू सोरेन परिवार में कल्पना सोरेन राजनीति में बहुत कम सक्रिय है। हालांकि यह कहा जाता है कि शादी के बाद उनके सोरेन परिवार में कदम रखते ही हेमंत सोरेन की किस्मत बदल गई। शादी के ठीक बाद 2009 में हुए विधानसभा चुनाव में हेमंत सोरेन ने पहली बार चुनावी जीत का स्वाद चखा।

इसके बाद उन्होंने कभी पीछ़े मुड़कर नहीं देखा और सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते गए। धीरे-धीरे वे झारखंड की राजनीति के स्थापित चेहरे बन गए। पहले पहल तो वो बीजेपी के नेतृत्व में गठित सरकार में उपमुख्यमंत्री बने, फिर बीजेपी से अलग होकर यूपीए के साथ मिलकर सरकार गठित की। साल 2014 के चुनाव में वे नेता प्रतिपक्ष बने, लेकिन 2019 चुनावों में एक बार फिर सत्ता में वापसी हुई।

यूं तो कल्पना सोरेन प्रदेश के बड़े राजनीतिक परिवार से हैं, लेकिन उनका कार्यक्षेत्र बिल्कुल अलग है। कल्पना एक प्ले स्कूल का संचालन करती हैं। वे एक बिजनेस वमुन के रूप में भी पहचानी जाती है। हेमंत सोरेन-कल्पना सोरेन के दो बेटे हैं, जिनके नाम निखिल और अंश हैं।

यह कहा जाता है कि राजनीतिक तौर पर बेहद सक्रिय परिवार के बीच रहने के बावजूद कल्पना दूरी बनाकर रखे हुई हैं। कल्पना पारिवारिक आयोजनों में तो बढ़ चढ़कर हिस्सा लेतीं हैं लेकिन राजनीति में नहीं। हां, सामाजिक सामाजिक कार्यक्रमों में अपनी मौजूदगी के चलते वो काफी लोकप्रिय हैं।

एक बार राजनीति में शामिल होने के सवाल पर कल्पना सोरेन ने कहा था कि वो अपने परिवार की जिम्मेदारियां निभा रही हैं और इसी में खुश हैं। यहां स्पष्ट कर दें कि सीएम हेमंत सोरेन ने भी पत्नी को मुख्यमंत्री पद सौंपने की खबरों को नकार दिया था।

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