आखिरकार वही हुआ जिसका अंदाजा था। बिहार में नीतीश कुमार (Bihar cm nitish kumar) ने एक बार फिर अपना सहयोगी बदल दिया है। इस बार भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई है। नीतीश मुख्यमंत्री बनें हैं और दो डिप्टी सीएम बनाए गए हैं। इससे एक बार फिर साबित हो गया कि नीतीश बिहार राजनीति के मंझे हुए खिलाड़ी हैं।

अब जबकि सियासी उठापठक के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने नीतीश कुमार को बधाई दे दी है। नीतीश कुमार ने प्रधानमंत्री को धन्यवाद भी ज्ञापित कर दिया है तो क्या यह समझा जाए कि दोनों के बीच की खाई अब पट चुकी है। जी हां वही खाई जो एक विज्ञापन की वजह से बहुत बढ़ गई थी। आइए आपको बताते हैं कि वो कौन सा विज्ञापन था, जिसकी वजह से बिहार और गुजरात की सरकारों में ठन गई थी।

बात सन 2008 की है। उस समय बिहार में बाढ़ आयी हुई थी। कोसी का रौद्र रूप बिहार निवासियों को परेशान कर रहा था। जन जीवन अस्त व्यस्त था। घरों में पानी भरा हुआ था। क्या गांव, क्या शहर सभी जलमग्न थे। बिहार में उस समय नीतीश कुमार की सरकार थी। नीतीश पूरी कोशिश कर रहे थे कि कोसी की बाढ़ से उपजे हालात पर काबू पाया जाए। गुजरात में उस समय नरेंद्र मोदी की सरकार थी। गुजरात सरकार ने बिहार को 5 करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की। उस समय तो इस पर किसी तरह का शोर शराबा नहीं मचा।

दो साल बाद इस पर हंगामा हुआ। दरअसल, 2010 में बिहार में भाजपा की राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक थी। बैठक के दौरान गुजरात सरकार ने बिहार के अखबारों में एक विज्ञापन छपवाया। यह विज्ञापन बिहार के सभी अखबारों में प्रकाशित हुआ था। विज्ञापन में नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार की तस्वीर थी, दोनों हाथ उठाए हुए थे। यह लिखा गया था कि गुजरात ने दिल खोलकर बिहार की मदद की।

यह विज्ञापन प्रकाशित होना था कि नीतीश की भृकुटी तन गई। उन्होंने विज्ञापन पर एतराज जताया और तय किया गया कि गुजरात सरकार की मदद वापस लौटा दी जाएगी। ऐसा हुआ भी। जिसकी उस समय चौतरफा आलोचना भी हुई।

अब तो समय बताएगा कि नरेंद्र मोदी उस प्रकरण को भूले हैं या नहीं। लेकिन सियासत तो इस समय बिहार में बदस्तूर जारी है।

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