संजीव कुमार मिश्र
उत्तर प्रदेश कभी बीमारु हुआ करता था। राज्य में नए निवेश तो दूर मौजूदा निवेशक भी यहां से बोरिया बिस्तर समेटने की सोचते थे। माफिया और जंगलराज के कारनामों से अखबार भरे होते थे। लेकिन वही उत्तर प्रदेश अब विकास की नई इबारत लिख रहा है। यूपी में 10 से 12 फरवरी तक ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट का आयोजन होना है। पहले निवेश का लक्ष्य 10 लाख करोड़ रुपये तय किया गया था। जिसे 10 जनवरी को ही प्राप्त कर लिया गया। बाद में लक्ष्य बढ़ाकर 17 लाख करोड़ रुपए किया गया। योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस लक्ष्य को ना केवल पूरा किया गया बल्कि अब तक 22 लाख करोड़ रुपये के निवेश के लिए 14 हजार से अधिक एमओयू साइन हो चुके हैं। चूंकि आयोजन में अभी चंद दिन शेष हैं, ऐसे में उम्मीद है कि यह रिकार्ड भी टूट जाएगा।
भगवावस्त्र धारी योगी आदित्यनाथ ने आखिर ऐसा क्या किया कि निवेशकों की नजर में उत्तर प्रदेश ‘उत्तम प्रदेश’ बन गया? वो भी तब जब विपक्षी दलों के नेता इन्वेस्टर्स समिट से पहले योगी को ही आधुनिक बनने की सलाह दे रहे थे। याद करिए मुख्यमंत्री का मुंबई रोड शो। कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने रोड शो को लेकर कहा था कि उन्हें (यूपी सीएम) यहां से कारोबार लेकर जाने के बजाए यूपी को विकसित करना चाहिए। भगवा कपड़े छोड़कर आधुनिक कपड़े पहनने चाहिए, क्योंकि इंडस्ट्री आधुनिकता का प्रतीक है। निवेश के आंकड़े योगी पर तंज कसने वाले नेताओं का मुंह बंद करने के लिए काफी है। भगवावस्त्र धारी योगी आदित्यनाथ ने धर्म और अर्थ को साथ साधा है। हालांकि यह आसान नहीं था। 2017 में योगी आदित्यनाथ ने कांटो भरा मुख्यमंत्री की ताज पहली बार पहना था। कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार से लोग त्रस्त थे। 2013 में मुजफ्फरनगर दंगा भला कौन भूला पाएगा। जिसमें 43 लोगों की मौत हुई थी। अकेले 2013 में यूपी ने 823 दंगों का दंश झेला। 133 निर्दोष लोगों ने दंगों में जान गंवाई जबकि 2269 लोग घायल हुए थे। जिस पुलिस से अपराधी इस समय खौफ खाते हैं, वो उस समय कितनी असहाय थी इसकी एक बानगी सपा सरकार द्वारा 2016 में विधानसभा में पेश एक रिपोर्ट से होती है। कानून व्यवस्था पर आधारित इस रिपोर्ट में बताया गया कि 2012 से 2016 के बीच यूपी पुलिस पर हमले के 1044 मामले सामने आए।
मायावती के पांच साल के कार्यकाल में भी पुलिस सुरक्षित नहीं थी। पुलिस पर हमले के 547 मामले सामने आए थे। इनमें 572 पुलिसकर्मी घायल हुए थे और 2 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी। योगी सरकार ने पुलिस सुधार कार्यक्रमों से पुलिस बल में वृदधि की और कानून व्यवस्था पर सख्त रुख अख्तियार किया। जिसका परिणाम यह हुआ है कि 2021 में यूपी में केवल एक दंगे का मामला दर्ज हुआ। इतना ही नहीं चुन-चुनकर माफिया पर की गई कार्रवाई। बाहुबली मुख्तार अंसारी, विजय मिश्रा समेत 90 प्रतिशत माफिया इस समय सलाखों के पीछे हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट दूध का दूध और पानी का पानी करती है। रिपोर्ट की मानें तो महिला एवं बाल अपराध के मामलों में प्रभावी अभियोजन के माध्यम से 32 मामलों में अपराधियों को मौत की सजा दिलाई गई। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि बीते 5 साल में दुष्कर्म के मामलों में 32 प्रतिशत, अपहरण में 29 प्रतिशत, शीलभंग में 25 प्रतिशतऔर दहेज हत्या के मामलों में 12 प्रतिशत की कमी आई।
उत्तर प्रदेश की आर्थिक हालत बहुत अच्छी नहीं थी। 10वीं पंचवर्षीय योजना में यूपी की विकास दर 5.2 प्रतिशत थी जो 2012-13 में 5.9 प्रतिशत और 2013-14 में 5.1 प्रतिशत तक गिर गई। निवेशक भी यूपी में निवेश से कतराते थे। यूपी सीएम ने भी अपने संबोधनों में कई बार इसका जिक्र किया है कि ‘2017 से पहले व्यापारियों को रोका जाता था, उनसे गुंडा टैक्स वसूला जाता था। 2017 में बीजेपी की सरकार बनने के बाद स्थितियां बदली। पहले उत्तर प्रदेश के व्यापारी पलायन करते थे और अब अपराधी पलायन कर रहे हैं। यूपी में निवेश का बेहतर माहौल बना’। यूपी सरकार ने निवेशकों को सुरक्षा की गारंटी दी। नियमों में कई बदलाव किए गए। निवेशकों के लिए पूरी प्रक्रिया को सिंगल विंडो बनाया गया। जिसके सकारात्मक परिणाम अब सामने आ रहे हैं। यूपी की रैंकिंग लगातार सुधर रही है। यूपी इज आफ डूइंग बिजनेस रैंकिंग में दूसरे नंबर तक पहुंचा। महिला उदमियों के स्टार्टअप की श्रेणी में यूपी टॉप पर रहा।
विकास का चेहरा बने योगी योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार जब यूपी के मुख्यमंत्री पद का कार्यभार संभाला तो राजनीतिक पंडितों को अपनी राय बदलनी पड़ी। राजनीतिक विश्लेषकों की राय थी कि योगी को मोदी बनना पड़ेगा। विकास का चेहरा बनना पड़ेगा। बदलाव का बीड़ा उठाना होगा। योगी अपने दूसरे कार्यकाल में हिंदुत्व के एजेंड़ को बिना छोड़े लगातार विकास की बात कर रहे हैं। अब जबकि यूपी पर निवेशक भरोसा जताने लगे हैं, 14 हजार से अधिक एमओयू साइन कर चुके हैं तो जरूरी है कि ऐसी व्यवस्था बनाई जाए जिससे आर्थिक मोर्चे पर यूपी दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करे। यूपी सर्वाधिक युवा आबादी वाला राज्य है। ऐसे में युवाओं को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर उपलब्ध हों यह सुनिश्चित करना होगा। एमओयू केवल कागजों में ना दम तोड़े इसके लिए लगातार फालोअप किए जाने की जरूरत है। कई बार जमीन नहीं मिलने समेत कई अन्य वजहों से प्रोजेक्ट पर संकट के बादल मंडराने लगते हैं। हालांकि ऐसा होना संभव नहीं लगता। क्योंकि राजनीतिक गलियारों में योगी आदित्यनाथ को हार्ड टॉस्क मास्टर कहा जाता है। ब्यूरोक्रेसी को भी समझ में आ गया है कि इनके हिसाब से काम करना ही होगा, वर्ना नहीं चलेगा। वो केवल फैसले ही नहीं लेते अपितु अगली बैठकों में फॉलोअप भी करते हैं। काम ना होने पर कदम भी उठाते हैं। इसलिए उम्मीद तो यही है कि यूपी के चौतरफा विकास के दरवाजे खुलेंगे।