Mulayam singh yadav death news: मुलायम सिंह यादव (mulayam singh yadav) के पिता की हार्दिक इच्छा थी कि वो पहलवान बने। मुलायम सिंह (netaji) बचपन से ही पहलवानी करते थेे। अपने से दुगुने पहलवानों को भी अखाड़े में चित कर देते थे। उनकी ख्याति दूर दूर तक फैलने लगी।
वो विभिन्न स्थानीय प्रतियोगिताओं में भाग लेने जाते। राज्यस्तरीय पहलवानी में सरयूदीन त्रिपाठी को चित कर दिया। पहलवानी ही मुलायम को राजनीति के दरवाजे तक ले गई। इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है।
दरअसल, उस समय नत्थूसिंह (nathusingh) इटावा क्षेत्र के सम्मानीय नेता थे। सन 1962 की बात है। यूपी विधानसभा के चुनाव होने वाले थे। नत्थूसिंह प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे। उस समय एक विचित्र संयोग घटित हुआ। मुलायम सिंह नगला अंबर में एक कुश्ती प्रतियोगिता में भाग ले रहे थे और उसी समय नत्थूसिंह इटावा के जसवंत नगर क्षेत्र में चुनाव प्रचार के सिलसिले में आये हुए थे। जब उन्हें कुश्ती के बारे में पता चला, तो कुश्ती के शौकीन नेताजी वहाँ रुक गये और कुश्ती का आनंद लेने लगे।
उन्होंने देखा कि एक गठीले बदन वाले युवा पहलवान ने चीते जैसी फुर्ती से अपने प्रतिद्वंदी को चारों खाने चित कर दिया है। वे इस पहलवान से बहुत प्रभावित हुए। यह मुलायम सिंह थे, जिनकी आंखों में अजब चमक थी और बदन में गजब की फुर्ती ! नत्थूसिंह ने मुलायम को आगे बढ़कर गले लगा लिया और उसी समय आग्रह करके अपने साथ ले गये। बाद में यही नत्थूसिंह जी उनके राजनीतिक गुरु बने, जिनसे उन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा।