80 प्रतिशत कालेजों में दिव्यांगों के लिए सुविधाओं का अभाव

दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University) से संबद्ध विभागों व कॉलेजों में दिव्यांग छात्रों को दी जाने वाली सुविधाओं का नितांत अभाव है। यूजीसी द्वारा अनेक बार दिए निर्देशों के बावजूद लगभग 80 फीसदी विभागों व कॉलेजों में दिव्यांगों को दी जाने वाली सुविधाओं का अब तक अभाव बना हुआ है । इन कॉलेजों में ना तो उनके लिए चलने फिरने के लिए टैक्टाइल फ्लोरिंग, रैम्प, लिफ्ट, ब्रेल चिन्ह, ब्रेलप्रिंटर ,कम्प्यूटर ,लेपटॉप , ध्वनि संकेत , रैलिंग , रिसोर्स रूम, रेस्ट रूम व विशेष विल चेयर और ना ही उनके लिए विशेष रूप से निर्मित शौचालय का प्रबंध किया गया है जिससे उन्हें हर रोज इन दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है । इतना ही नहीं नार्थ कैम्पस में टैक्टाइल पाथ जिस पर विक्लांग चलते है वहाँ पर मोटरसाइकिल व स्कूटी खड़ी रहती है जिसकी वजह से हर रोज किसी न किसी दिव्यांग छात्र के साथ दुर्घटना होती है ।

आम आदमी पार्टी से संबद्ध शिक्षक संगठन दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) के अध्यक्ष डॉ.हंसराज सुमन ने बताया है कि दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग दो हजार छात्र ,300 शिक्षक व 200 कर्मचारी दिव्यांग वर्ग में कार्यरत है । हमारे विश्वविद्यालय/ कॉलेजों का नैतिक दायित्व बनता है कि उनकी पीड़ा को प्राथमिकता दी जाए मगर कॉलेजों के प्रिंसिपल को यूजीसी से ग्रांट मिलने के बाद भी इनके लिए सुविधाओं का घोर अभाव है । डीयू के एक दर्जन कॉलेजों जिसमें हंसराज कॉलेज (Hansraj collage) ,खालसा कॉलेज (khalsa college delhi) , मिरांडा हाउस (miranda house collage) ,सोशल वर्क डिपार्टमेंट, सोशल साइंस फैकल्टी,लक्ष्मी बाई कॉलेज, श्री राम कॉलेज ऑफ कॉमर्स (shri ram college of commerce), आई.पी कॉलेज (I.P. collage), लेडी श्रीराम कॉलेज (lady shri ram college), राजधानी कॉलेज (rajdhani collage), सत्यवती कॉलेज (satyawati college) आदि में दिव्यांग छात्रों को सुविधाएं उपलब्ध है वहीं माता सुंदरी कॉलेज में दिव्यांग शिक्षकों , कर्मचारियों व छात्राओं के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध है। वहां के शिक्षक व छात्राएं इन सुविधाओं से काफी खुश है ।

दिल्ली टीचर्स एसोसिएशन ( डीटीए ) के अध्यक्ष डॉ. हंसराज सुमन ने बताया है कि दिव्यांग छात्रों को विशेष सुविधाओं हेतु 1995 में विक्लांग कानून पारित हुआ था,जिसमें उन्हें सरकार की ओर से दी जाने वाली आर्थिक सहायता के साथ- साथ उन्हें सक्षम बनाया जा सके,वे सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी । इसके अलावा सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं का नैतिक दायित्व बनता है कि वे हर स्तर पर उनकी मदद करे । उनकी सहायता के लिए उसके बाद यूजीसी ने अपने पत्र संख्या -6-1/2006 (सीसीपी-11) द्वारा उच्च शिक्षण संस्थानों /कॉलेजों को विक्लांगों के लिए सभी स्थानों पर अवरोध मुक्त तथा ब्रेल किताबें और सांकेतिक भाषा के व्याख्याकर्ता का प्रबंध करने को कहा गया था लेकिन कुछ कॉलेजों को छोड़कर सुविधाएं आज तक उपलब्ध नहीं हुई है जबकि कॉलेज बिल्डिंग मेंटेनेंस के नाम पर यूजीसी से ये संस्थान/ कॉलेज ग्रांट लेते हैं ।

डॉ. सुमन का कहना है कि दिव्यांग शिक्षकों एवं कर्मचारियों व छात्रों द्वारा बार–बार सुविधाओं की ओर ध्यान दिलाने के लिए उनके बैठने, पढ़ने, खेलने कूदने ,खाने – पीने आदि के लिए कोई विशेष स्थान या कक्ष आदि का आबंटन किया गया है और ना ही भारत सरकार द्वारा दी गई सुविधाओं को उन्हें उपलब्ध कराया गया है ,उनके संवैधानिक अधिकारों का खुलम-खुला उल्लंघन किया जा रहा है और उनके नाम पर यूजीसी/केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड को अन्य मदों में व्यय कर झूठे उपयोगिता प्रमाण पत्र जमा किए जा रहे हैं ।

डॉ. सुमन ने बताया है कि कानून पारित होने के 27 साल बाद भी इन प्रावधानों का पालन नहीं हुआ है। कानून के सेक्शन – 46 में सरकारों को सरकारी भवनों/ कॉलेजों में दिव्यांगों के लिए विशेष सुविधाएं प्रदान करने को जरूरी बताया है। साथ ही इन वर्गों के लिए रैम्प, लिफ्ट, टेक्सटाइल, ब्रेल बुक , रैलिंग , ब्रेलप्रिंटर ,कम्प्यूटर ,लेपटॉप ,रेस्ट रूम, रिसोर्स रूम आदि की सुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी उक्त संस्थान / कॉलेज /विश्वविद्यालय की है जिसमें छात्र अध्ययन कर रहे हैं। साथ ही शिक्षक व कर्मचारी कार्यरत्त है।

उन्होंने यह भी बताया है कि नेत्रहीन शिक्षकों के लिए लाइब्रेरी में ब्रेल बुक ,ब्रेल प्रिंटर ,कम्प्यूटर ,लेपटॉप, और ऑडियो-वीडियो के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया गया जिसमें उनके लिए खर्च किया जाएगा । साथ ही छात्रों के लिए ब्रेल लिपि में पुस्तकें,ऑडियो वीडियो, टेपरिकॉर्डर ,लेपटॉप, कम्प्यूटर की सुविधाएं उपलब्ध कराना संस्थान/कॉलेज का नैतिक दायित्व बनता है। उन्होंने बताया है कि इस शैक्षिक सत्र–2022–23 से राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू हो रही है । विभागों द्वारा पाठ्यक्रम तैयार कर पुस्तकें प्रकाशित हो रहीं है लेकिन ब्रेललिपि में पुस्तकें बहुत बाद में छपकर आती है ।

डॉ. सुमन ने कॉलेजों व विभागों में विक्लांगों को विशेष सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर (delhi university vc) को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रत्येक कॉलेज में रैम्प, लिफ्ट ,ब्रेल चिन्ह, ध्वनि संकेत, विल चेयर , कम्प्यूटर, लेपटॉप , रैलिंग , शिक्षकों के लिए रिसोर्स रूम ,छात्रों के लिए रेस्ट रूम और विशेष रूप से निर्मित शौचालयों का निर्माण कराया जाए ताकि इन वर्गों को असुविधा न हो । साथ ही कॉलेजों को सर्कुलर जारी कर यह भी निर्देश दिए जाए कि जो कॉलेज 6 महीने के अंदर विक्लांगों की दी जाने वाली सुविधाएं उपलब्ध नहीं कराएंगे उन कॉलेजों की ग्रांट बन्द करने के निर्देश दे ताकि कॉलेज जल्द से जल्द यह कार्य शुरू कर सके । उनका कहना है कि शैक्षिक सत्र प्रारम्भ होने से पूर्व यह कार्य कर लिया जाना चाहिए ।

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