Opinion Trading: सट्टा या स्किल गेमिंग? जोखिम और मुनाफे का समीकरण

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Opinion Trading: आजकल देश में कई तरह के गेमिंग ऐप्स चल रहे हैं, जिनमें से एक नया ट्रेंड है ओपिनियन ट्रेडिंग। ये ऐप्स आपको ‘हां’ या ‘नहीं’ के जवाब देकर पैसा कमाने का लालच देते हैं, लेकिन क्या ये वाकई ‘स्किल’ गेमिंग हैं या सिर्फ एक नया रूप है डिजिटल सट्टेबाजी का? जानिए कैसे ये ऐप्स काम करते हैं, क्या है इनका कानूनी स्टेटस, और क्यों लाखों लोग इस कारोबार का हिस्सा बन चुके हैं।

ओपिनियन ट्रेडिंग का खेल: कैसे काम करता है ये सिस्टम?

कल्पना कीजिए, आपको किसी सवाल का जवाब केवल हां या नहीं में देना है – जैसे, “क्या चुनाव के नतीजे इस दिन तक घोषित होंगे?” या “क्या आज शाम 6 बजे जयपुर एयरपोर्ट पर तापमान 30°C से ज्यादा होगा?” और इस जवाब के बदले आप पैसे कमा सकते हैं। ये ओपिनियन ट्रेडिंग ऐप्स आपको यही ऑफर कर रहे हैं।

हालांकि, शुरुआत में ये ऐप्स आपको कुछ बोनस कैश देकर आकर्षित करते हैं, लेकिन बाद में यही पैसे दांव पर लगाकर ज्यादा कमाने की लालच में यूजर्स खुद को जोखिम में डालते हैं। सवालों के जवाब तुक्के से दिए जाते हैं, और इस खेल में यूजर्स अधिकतर पैसा खोते हैं, जबकि प्लेटफॉर्म का मुनाफा बढ़ता जाता है।

ओपिनियन ट्रेडिंग का बढ़ता कारोबार

पिछले तीन सालों में ओपिनियन ट्रेडिंग का कारोबार ₹50,000 करोड़ को पार कर चुका है, और इसमें 5 करोड़ से अधिक यूजर्स शामिल हो चुके हैं। प्रमुख प्लेटफॉर्म्स जैसे Probo, Opinio by MPL, TradeX, और Real 11 इस उद्योग में सक्रिय हैं, और इन्हें अब तक ₹4,200 करोड़ से अधिक की फंडिंग मिल चुकी है।

कानूनी विवाद और जोखिम

भारतीय कानूनों के अनुसार, किसी भी प्रकार का जुआ ‘पब्लिक गैंबलिंग एक्ट’ और ‘आईटी नियम’ जैसे प्रावधानों का उल्लंघन कर सकता है। लेकिन ओपिनियन ट्रेडिंग ऐप्स खुद को “स्किल गेम” बताकर अपनी स्थिति मजबूत कर रहे हैं। इन ऐप्स के खिलाफ कोई ठोस कानूनी कार्रवाई न होने के कारण ये व्यापार तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इसके साथ ही यूजर्स के लिए यह एक बड़ा जोखिम भी बन गया है।

वैसे तो ओपिनियन ट्रेडिंग का कारोबार आकर्षक हो सकता है, लेकिन इसमें त्वरित लाभ की लालच में यूजर्स अक्सर बड़ी रकम गंवा बैठते हैं। यदि आप भी इन ऐप्स का हिस्सा बनने की सोच रहे हैं, तो सावधान रहें और जोखिम का सही आकलन करें। क्या यह सच में एक स्किल गेम है, या केवल एक डिजिटल सट्टा? यह सवाल अब भी अनुत्तरित है।

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