पटपड़गंज रोड शिवपुरी स्थित रमेश वैष्णो ढाबा (ramesh vaishno dhaba) 27 वर्षों से अपने स्वादिष्ट व लाजीज चाट के लिए मशहूर है। रमेश बतरा ने 1992 में चाप बनाने की शुरूआत की। आज उनके हाथ की चाप खाने दूर-दूर से लोग आते हैं। दिल्ली ही नहीं उनकी चाप खाने पानीपत, सोनीपत व लुधियाना से भी लोग आते हैं। अक्सर लोग ढाबे में छोले, राजमा, चावल, तंदूरी रोटी खाने जाते हैं लेकिन यमुनापार का यह ढाबा अपनी स्वादिष्ट चाप के लिए एक अलग पहचान बनाए हुए है। इनके हाथ की चाप का स्वाद अगर लेना है तो केवल शाम छह से रात 11 बजे के बीच ही पहुंचे दिन के समय यहां केवल आपको रोटी, दाल, सब्जी आदि व्यंजन ही मिलेंगे। चाप में घर के बने मसाले ऐसा स्वाद पैदा करते हैं कि लोग उंगलियां तक चाटने लगते हैं।
ढाबे में यूं हुई चाप की शुरूआत
रमेश ने बताया कि 27 वर्ष पहले यमुनापार में मलाई चाप बनाने की शुरूआत करने वाले वह स्वयं थे और उनके चाप को लोगों ने इतना पसंद किया कि केवल यमुनापार ही नहीं दक्षिणी दिल्ली व गाजियाबाद से भी लोग उनके पास केवल चाप खाने आने लगे और आज तो कई किलोमीटर दूर से भी लोग यहां खीचें चले आते हैं। पिता पहले दाल, सब्जी, रोटी जैसे व्यंजन ही बनाते थे लेकिन जब उन्होंने मलाई चाप बनाना शुरू किया तब उनका काम खूब चलने लगा। चाप की खूब मांग होने लगी तो उन्होंने मलाई चाप के साथ चाप की दर्जनभर वैरायटी बनाना शुरू कर दिया। इसके बाद तो अधिकतर लोग शाम केवल चाप खाने ही आने लगे। अब यहां दिल्ली समेत एनसीआर के लोग भी कभी-कभी चाप खाने आते हैं। शुरूआती दिनों में चाप 50-60 रुपये प्लेट मिलती थी जो अब 190 रुपये तक मिलती है।
मलाई चाप से लेकर अफगानी चाप के भी दीवाने हैं लोग
रमेश ने बताया कि उनके हाथ की मलाई चाप व अफगानी चाप को लोग चटकारे ले लेकर खाते हैं। वह 27 वर्षों से स्टफ मलाई चाप बना रहे हैं। जिसमें 15 से 17 मसाले, पनीर की स्टफिंग की जाती है। उसके बाद उसे अच्छे से भुनकर पकाया जाता है। चाप तैयार होने के बाद उस पर मसाले व बटर की स्टफिंग करके परोसा जाता है। रमेश ने बताया कि वह चाप में जो मसाले मिलाते हैं, उन सभी मसालों को वह घर में खुद बनाते हैं। मलाई चाप का ऐसा स्वाद लगता है कि लोग अपनी उंगलियां तक चाटने लगते हैं। इतनी स्वादिष्ट चाप होती है कि लोगों का पेट भर जाता है लेकिन मन नहीं भरता है। कई लोग तो चाप खाने के बाद उसे घर के लिए पैक भी करवा कर ले जाते हैं। यहां चाप की दर्जनभर वैरायटी है जिसे खाने दूर-दूर से लोग आते हैं। मलाई चाप के अलावा इनके हाथ के बने मलाई चाप टिक्का, हरियाली चाप, सोया चाप टिक्का, चिल्ली चाप, बटर चाप, आचारी टिक्का, तवा चाप आदि के अलावा दाल मखनी, पालक छोले, प्याज की रोटी, प्याज की मिस्सी भी काफी लाजवाब बनाते हैं। इनकी चाप की वैरायटी और स्वाद ऐसा होता है कि नाम सुनते ही मुंह में पानी आने लगता है। वहीं, तीन वर्ष पहले ही इन्होंने अफगानी चाप बनाना भी शुरू किया है जिसे क्रीम व मियोनी के साथ परोसा जाता है।
गायक व मंत्री भी ले चुके हैं इनकी चाप का स्वाद
रमेश की चाप को केवल सामान्य लोग ही नहीं गायक व बड़े-बड़े नेता भी पसंद करते हैं। गायक नरेंद्र चंचल, पूर्व मंत्री व कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली, डॉ. एके वालिया जैसे बड़े नेता भी इनकी चाप के दिवाने हैं। रमेश ने बताया कि नवरात्रों में भी लोगों चाप का स्वाद ले सकें इसके लिए वह पूरे नौ दिन तक बिना लहसून व प्याज के चाप बनाते हैं। शाम होते ही इनके ढाबे के बाहर चाप खाने वालों की इतनी भीड़ लग जाती है कि सड़क पर जाम लगने लग जाता है। बिग बॉस के पूर्व विजेता आशुतोष कौशिक भी करीब एक माह पहले यहां चाप खाने आए थे।
पिता के काम को बेटों ने ऊंचाईयों पर पहुंचाया
रमेश के बेटे सनी बतरा ने बताया कि उनके पिता ने 1992 में चाप बनाने का काम शुरू किया और उन्होंने अपने काम में इतनी प्रसिद्धि प्राप्त की कि दूर-दूर से लोग उनके हाथ की बनी चाप खाने आने लगे। उनके इसी हाथ के जादू को उनके बेटों ने भी विरासत में पाया। अब उनके बेटे सन्नी व प्रिंस भी अपने पिता का हाथ बंटा रहे हैं। लोगों को शिवपुरी से शुरू हुई चाप का स्वाद अब कड़कड़डूमा व झील पर भी मिल रहा है।
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ऐसे पहुंचे-नजदीकी मेट्रो स्टेशन निर्माण विहार। वहां से अॉटो या रिक्शा लेकर रमेश वैष्णो ढाबा तक पहुंचा जा सकता है।
खुलने का समय- दोपहर 12 से दो व शाम 6 बजे से लेकर रात 12 बजे तक
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