सावंत की वजह से कर्नाटक Loksabha elections 2024 में साथ आए ‘भाजपा-जेडीएस’
केरल और तेलंगाना में पार्टी की चुनावी रणनीति पर सावंत की स्पष्ट छाप
नई दिल्ली, 15 अप्रैल।
Loksabha elections 2024: अबकी बार, 400 पार। यह 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सूत्र वाक्य है। बीजेपी इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिशन मोड पर काम कर रही है। हालांकि राजनीतिक विश्लेषक भी इस बात पर एकमत है कि दक्षिण भारत को साधे बिना बीजेपी चार सौ का आंकड़ा पार नहीं कर पाएगी। शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण भारत की चुनावी कमान खुद सम्हाल रखी है। अकेले केरल में मोदी अब तक 6 चुनावी जनसभाओं को संबोधित कर चुके हैं। लेकिन दक्षिण समेत पश्चिम भारत के कई राज्यों में प्रमोद सावंत भाजपा के लिए तुरुप का इक्का साबित हो सकते हैं? गोवा के मुख्यमंत्री जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करने के साथ ही राजग के सहयोगी दलों की दायरा बढ़ाने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
सावंत के नेतृत्व में गोवा ने विकास की जो इबारत लिखी है, उसकी चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही है। शायद यही वजह है कि पार्टी ने चुनावी रणनीति के लिहाज से दक्षिण भारत के अहम राज्यों की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी हैं। प्रमोद सावंत पार्टी की उम्मीदों पर काफी हद तक खरे भी उतरे हैं। दक्षिण भारत का द्वार कहे जाने वाले कर्नाटक में सावंत की वजह से ही जेडीएस, राजग के साथ आयी। पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की अध्यक्षता वाली जेडी (एस) पिछले साल सितंबर में भाजपा के नेतृत्व वाले राजग में शामिल हुई थी। जेडीएस के राजग में शामिल होने में प्रमोद सावंत ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। कर्नाटक में भाजपा 25 जबकि जेडीएस लोकसभा की 3 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
तेलंगाना में भाजपा की विजय पताका फहराने के लिए प्रमोद सावंत जी जान से जुटे हैं। गत वर्ष 2023 से ही प्रमोद सावंत ने राज्य में अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। फरवरी महीने में तेलंगाना में विजय संकल्प यात्रा के बहाने प्रमोद सावंत ने सभी लोकसभा सीटों पर प्रचार किया। पार्टी की जीत सुनिश्चित करने के लिए प्रमोद सावंत प्रचार के साथ चुनावी रणनीति बनाने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं।
तेलंगाना में लोकसभा की कुल 17 सीटें हैं। जिसमें से चार पर भाजपा, नौ पर बीआरएस और तीन पर कांग्रेस का कब्जा है। गत चुनावों में एक सीट पर एआईएमआईएम को जीत मिली। इस बार 400 पार का नारा लेकर चुनावी मैदान में कूदी भाजपा का लक्ष्य यहां 10 से अधिक सीटें जीतना है।
बीजेपी, केरल में कांग्रेस और वामपंथ का दुर्ग भेदने में जुटी है। नि:संदेह यहां चुनाव की कमान खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संभाल रखी है। मोदी अब तक 6 चुनावी जनसभाओं को संबोधित कर चुके हैं। हालांकि, मोदी के 10 साल के कार्यकाल की उपलब्धियों को जमीनी स्तर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी सावंत बखूबी संभाल रहे हैं। मोदी की गारंटी का प्रचार वो जोर शोर से कर रहे हैं। केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों से मुलाकात भी कर रहे हैं। इससे राज्य में पार्टी का जनाधार बढ़ा है। लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले पार्टी ने केरल में एक महीने लंबी पदयात्रा निकाली। इसमें उमड़ी भीड़ यह बताने के लिए काफी थी कि सावंत अपने उद्देश्यों में धीरे धीरे सफल हो रहे हैं। 2019 में केरल में बीजेपी खाता भी नहीं खोल पायी थी। इस बार पार्टी को यहां से काफी उम्मीदें हैं।
सावंत गोवा के साथ-साथ महाराष्ट्र में भी चुनावी सभाएं कर रहे हैं। नागपुर में कार्यकर्ताओं को भी संबोधित किया। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी से भी मुलाकात की। पार्टी महाराष्ट्र के युवाओं में सावंत की लोकप्रियता को भुनाना चाहती है। दरअसल बतौर मुख्यमंत्री सावंत ने कई उपलब्धि हासिल की है। सावंत के कार्यकाल में गोवा देश का पहला राज्य बना, जिसने शत प्रतिशत ग्रामीण घरों तक नल से जल की आपूर्ति सुनिश्चित की। गोवा के लिए यह उपलब्धि इसलिए भी बड़ी थी, क्योंकि 15 अगस्त 2019 तक गोवा में नल कनेक्शन केवल 24 प्रतिशत था। आज गोवा के सभी स्कूलों, आंगनबाड़ी, सार्वजनिक संस्थान इमारतें, स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक केंद्र, आश्रमशालाओं समेत अन्य सरकारी कार्यालयों में नल कनेक्शन लग चुका है। सावंत के कार्यकाल में ही सब्जियों, फलों के लिए कर्नाटक और महाराष्ट्र पर निर्भर रहने वाला गोवा निर्यातक बना।
गोवा शत प्रतिशत घरों तक बिजली आपूर्ति करने वाला देश का पहला राज्य है। इतना ही नहीं, यह पहला राज्य है कि जहां प्रत्येक गांव में सड़कें हैं। गोवा में उज्ज्वला योजना सौ प्रतिशत लागू है। यह किरोसीन फ्री स्टेट है। शत प्रतिशत शौचालय निर्माण वाला देश का पहला प्रदेश है। अगर गिनाने लगे तो ऐसी योजनाओं की संख्या करीब 13 हैं जिनमें गोवा बाकी प्रदेशों के मुकाबले शीर्ष पर है। केंद्र सरकार की योजनाएं लागू करने के मामले में भी गोवा बाकियों के लिए बेहतरीन उदाहरण है। सावंत की विकासवादी नीतियों के कारण ही बीजेपी को उम्मीद है कि ना केवल दक्षिण भारत बल्कि पश्चिमी भारत के कई राज्यों में (Loksabha elections 2024) सावंत उसके लिए तुरुप का इक्का साबित होंगे।
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