राजेश खन्ना की वापसी, कठिन शूटिंग शेड्यूल और Avtar फिल्म का असर
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
1983 में आई फिल्म Avtaar ने न केवल राजेश खन्ना के करियर को पुनर्जीवित किया, बल्कि बॉलीवुड की पारिवारिक फिल्मों की दुनिया को भी नया दिशा दी। इस फिल्म में राजेश खन्ना और शबाना आजमी के शानदार अभिनय ने इसे सुपरहिट बना दिया। फिल्म की शूटिंग के दौरान हुई कठिनाइयाँ और इसका ऐतिहासिक गाना “चलो बुलावा आया है” आज भी दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है। आइए जानते हैं Avtaar फिल्म के शूटिंग के पीछे की रोचक कहानी।
राजेश खन्ना की वापसी और फिल्म Avtaar का महत्व
1980 के दशक के मध्य में राजेश खन्ना का करियर एक कठिन दौर से गुजर रहा था। इस दौरान फिल्म निर्माता मोहन कुमार ने राजेश खन्ना को अपनी फिल्म Avtaar में लीड रोल के लिए अप्रोच किया। हालांकि, पहले राजेश खन्ना को फिल्म का प्रस्ताव लेने में हिचकिचाहट थी, क्योंकि इस फिल्म में वह एक बड़े उम्र के किरदार में थे, जो उनकी उम्र से काफी ऊपर था। लेकिन, फिल्म निर्माता ने उन्हें यह प्रस्ताव दिया और आखिरकार राजेश खन्ना ने इस फिल्म में अभिनय करने का निर्णय लिया। यह फिल्म राजेश खन्ना के लिए एक शानदार वापसी साबित हुई और दर्शकों ने उन्हें एक बार फिर से एक स्टार के रूप में स्वीकार किया।
शबाना आजमी का योगदान और फिल्म का महत्व
शबाना आजमी, जिन्होंने फिल्म में राजेश खन्ना की पत्नी राधा का किरदार निभाया था, उनके अभिनय ने भी फिल्म को एक नई ऊंचाई दी। इस फिल्म में न केवल प्रेम और परिवार के रिश्तों की खूबसूरत प्रस्तुति दी गई, बल्कि यह फिल्म दर्शकों को सामाजिक और पारिवारिक जीवन की वास्तविकता से भी परिचित कराती है। शबाना ने अपने किरदार को इतनी प्रभावशाली तरह से निभाया कि वह इस फिल्म का अहम हिस्सा बन गईं।
“चलो बुलावा आया है” गाने का शूट और उसकी कठिनाइयाँ
फिल्म का सबसे लोकप्रिय और दिल को छूने वाला गाना “चलो बुलावा आया है” है। इस गाने की शूटिंग के दौरान शबाना आजमी और राजेश खन्ना को जम्मू के कटरा में स्थित वैष्णो देवी मंदिर के पास कड़ाके की ठंड में शूटिंग करनी पड़ी। इस गाने को फिल्माने के लिए फिल्म की पूरी टीम को कठोर परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। बर्फबारी के बीच शूटिंग करते समय, फिल्म की यूनिट चार दिनों तक वहीं फंसी रही। उस समय हेलीकॉप्टर की सुविधा उपलब्ध नहीं थी, इसलिए पूरी यूनिट को पैदल ही वैष्णो देवी के मंदिर तक जाना पड़ा।
गुलशन ग्रोवर की एंट्री और फिल्म का प्रभाव
फिल्म में गुलशन ग्रोवर ने भी अहम भूमिका निभाई, जिन्होंने अपने सशक्त अभिनय से फिल्म में एक नया रंग जोड़ा। गुलशन की फिल्मों में यह पहचान पहली बार Avtaar में ही मिली। एक दिलचस्प किस्सा यह है कि गुलशन का आर्थिक हालात उस वक्त बहुत अच्छे नहीं थे और एक दिन शबाना आजमी ने उन्हें अपनी फिल्म के डायरेक्टर से मिलवाया, जिससे उन्हें एक नकारात्मक भूमिका मिल गई और उन्होंने अपने अभिनय की एक अलग पहचान बनाई।
फिल्म का सामाजिक प्रभाव
फिल्म Avtaar ने समाज पर गहरा असर डाला। इसके रिलीज के बाद कई बुजुर्ग दंपतियों ने अपने घरों के मालिकाना हक को फिर से अपने नाम पर ले लिया, जिन्हें अपने बच्चों से डर था कि वे उन्हें बुढ़ापे में अकेला छोड़ सकते हैं, जैसा कि फिल्म में दिखाया गया था। यह फिल्म इस कदर प्रभावी थी कि लोगों ने इसके संदेश को गंभीरता से लिया।
फिल्म की सफलता और बदलाव
राजेश खन्ना के करियर के लिए यह फिल्म एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई। जहाँ एक ओर यह फिल्म उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट बनी, वहीं यह बॉलीवुड में पारिवारिक फिल्मों के सफल दौर की शुरुआत भी साबित हुई। Avtaar की कहानी में हर एक व्यक्ति के भावनात्मक पहलुओं को छुआ गया, जो आज भी दर्शकों के दिलों में बसा हुआ है।
शबाना आजमी का अनुभव
शबाना आजमी ने एक इंटरव्यू में बताया कि Avtaar की शूटिंग बेहद कठिन थी। वह कहती हैं कि, “राजेश खन्ना के साथ शूटिंग करते वक्त हमें बर्फबारी में धर्मशाला के फर्श पर सोना पड़ा और वह समय बहुत ही कठिन था।” शबाना ने यह भी कहा कि राजेश खन्ना जैसे सुपरस्टार भी इस फिल्म के दौरान साधारण जीवन जीते थे, जैसा कि वह डालडा का डिब्बा लेकर लाइन में खड़े होते थे। उनकी यह मेहनत और संघर्ष आज भी याद किया जाता है।