1857 की क्रांति: कमांडर निकल्सन को क्रांतिकारियों ने बुरी तरह हराया। वो अस्पताल में भर्ती थी। इस बीच अंग्रेजी फौज की कमान संभाल रहा विल्सन विचलित हो उठा।
जब विल्सन की पीछे हटने की ख्वाहिश की खबर रिज के फौजी अस्पताल में मरणासन्न निकल्सन के पास पहुंची, तो वह आदत के मुताबिक बहुत ज़्यादा मुखर था।
अपने दर्द और तकलीफ के बावजूद उसने अपनी पिस्तौल निकाली और दहाड़कर बोला, “शुक्र है कि अभी भी मुझमें इतनी ताकत बाकी है कि जरूरी हो तो उसे गोली मार दूं। अगले दिन, शांत होने पर उसने चैंबरलेन के खत का समर्थन करते हुए एक सर्जन से लाहौर में मौजूद लॉरेंस के लिए एक खत लिखवाया,
जिसमें लिखा कि “सर जॉन से कह दें कि मैं भी यही कहूंगा कि विल्सन की जगह किसी और को रखा जाए, क्योंकि उनकी हिम्मत जवाब दे गई है और उन्हें खुद भी इसका अहसास है।
मेरा मानना है कि विल्सन जैसे शख्स को इस फौज का नेतृत्व देकर हम अपनी कौम के भाग्य से खेल रहे हैं।