लाहौरी दरवाजे पर क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों को पीछे हटने पर किया मजबूर
1857 की क्रांति: लाहौरी दरवाजे और बर्न बुर्ज पर बख्त खां की बरेली फौज की निगरानी में जमा भारी तोपें प्राचीर और दीवार पर गोले बरसा रही थीं और अंग्रेज़ी फौज का पीछे हटना जरूरी लगने लगा था। उसी वक़्त निकल्सन नीचे वाली सड़क पर दिखाई दिया और उसने हालात को संभालने की कोशिश की।
उसने सब दहशतजदा फौजियों को नीचे बुलाया, उन्हें संगठित किया, अपनी तलवार निकाली, और गोलियों और गोलों के बावजूद सिपाहियों को अपने पीछे आने को कहकर उसने उस पतली सड़क पर हमला बोल दिया, जिसके एक तरफ दीवार थी और दूसरी तरफ मकान। लेकिन आधे रास्ते पर उसे पता लगा कि वह अकेला है।
वह सिपाहियों को बुलाने के लिए पीछे मुड़ा। तलवार हाथ में घुमाते हुए जैसे ही वह रुका, शायद वर्न बुर्ज से एक बागी निशानेबाज ने उस पर गोली चला दी। गोली बगल के नीचे उसके सीने में लगी। एक राइफलधारी सिपाही ने जो थोड़ा देर से आया था, निकल्सन को इशारा किया कि उसे गोली लग गई है। “हां, हां” निकल्सन ने चिढ़कर जवाब दिया और फिर जमीन पर गिर गया।
उसे उठाकर काबुली दरवाज़े पर ले जाया गया, जहां दो डोलीबरदारों को हुक्म दिया गया कि उसे रिज के फौजी अस्पताल में ले जाएं। मगर इस तमाम गड़बड़ में जब ब्रिटिश हमला एकदम थम सा गया था और विभिन्न दस्तों के सिपाही बिल्कुल बेतरतीब हो गए थे, तो दोनों कुली जख्मी जनरल को सड़क किनारे छोड़कर भाग गए।
कुछ देर बाद फ्रेंड रॉबर्ट्स वहां से गुजरा। उसने लिखा हैः “कश्मीरी दरवाज़े से गुजरते हुए मैंने बगैर कुलियों के एक डोली को सड़क किनारे रखा देखा, और साफ जाहिर था कि उसके अंदर कोई जख्मी आदमी है। मैं यह देखने के लिए घोड़े से उतरा कि शायद मैं कुछ मदद कर सकूं। जब मैंने देखा कि वह दम तोड़ते जॉन निकल्सन हैं तो मेरे दुख और अफसोस की इंतेहा न रही। उन्होंने मुझे बताया कि कुलियों ने डोली नीचे रखी और खुद लूटमार करने भाग गए। वह बहुत तकलीफ में हैं और जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचना चाहते हैं।
वह पीठ के बल लेटे थे, कोई जख्म नज़र नहीं आ रहा था, और अलावा उनके चेहरे के पीलेपन के, जो हमेशा से ऐसा ही था, उनके चेहरे पर उस तकलीफ का कोई नामो-निशान नहीं था, जिसे वह बर्दाश्त कर रहे थे। मेरे उम्मीद जताने पर कि शायद उन्हें ज़्यादा चोट नहीं आई है, उन्होंने कहा, ‘मैं मर रहा हूं। मेरे बचने की कोई उम्मीद नहीं है।’ उस मजबूत आदमी को इस तरह बेबस पड़े और मरते देखना मेरी बर्दाश्त से बाहर था। उस लम्हे निकल्सन को खोना मुझे ऐसा लगा, जैसे मेरा सब कुछ खो गया है।