जंग से ठीक पहले अंग्रेज अफसर राबर्ट टेलर ने बीबी से किया यह वादा

1857 की क्रांति: 14 सितंबर के बाद हालात बेकाबू थे। अंग्रेजी सैनिक और क्रांतिकारी पूरी तरह तैयार थे। उधर, अंग्रेज अफसर रॉबर्ट टेलर ने हैरियट से वादा लिया कि अगले दिन अगर हालात और खराब हो गए, तो वह बच्चों के साथ बैलगाड़ी में बैठकर फौरन अम्बाला रवाना हो जाएगी।

हैरियट लिखती है: “रॉबर्ट को फौजी खजाने के साथ वहीं ठहरना था जब तक विजय पूरी नहीं हो जाए। यह उस कैंप में जिंदा रहने के लिए सबसे ज्यादा खतरनाक जगह थी क्योंकि अगर दुश्मन वहां आए, तो वह फौरन खजाना लूटने के लिए दौड़ेंगे…

लेकिन अगर पांसा पलट गया, तो कोई भी किसी सुरक्षित जगह नहीं पहुंच सकेगा। शिमला हाथ से निकल जाएगा, कसौली पर भी कब्जा हो जाएगा और सारा हिंदुस्तान मिलकर हथियार उठा लेगा।

बहरहाल रॉबर्ट ने हमारे लिए एहतियातन एक बैलगाड़ी तैयार करवा दी थी। निर्णायक जंग से ठीक पूर्व रात ब्रिटिश कैंप में सब जल्दी सोने के लिए चले गए। “उस रात हमारे कैंप में कोई नहीं सो सका,” रिचर्ड बार्टर ने लिखा।

“मेरी कभी आंख लग जाती, मगर ज़्यादा देर को नहीं, और जब भी मैं जागा तो मैंने देखा कि एक से ज्यादा अफसरों के खेमों में रोशनी जल रही है। लोग धीमी आवाज़ में बाते कर रहे थे।

कभी दूर कोई ताला खुलने या किसी डंडे के पटखने की आवाज सुनाई दे जाती। जिससे आने वाली की तैयारियों का पता चलता था।

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