भारत की आन बान और शान का प्रतीक लाल किला.. जिसकी प्राचीर से भारत के प्रधानमंत्री स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण करते हैं। यमुना नदी किनारे स्थित लाल किले का निर्माण सन 1639 में प्रारंभ किया गया था और इसे पूरा करने में 9 वर्ष लगे। लाल किले की दीवारों, द्वारों समेत कई आतंरिक संरचनाओं के निर्माण में लाल बलुआ पत्थर का प्रयोग किया गया, इसी वजह से इसे लाल किला कहा जाता है। वर्ष 2007 में युनेस्को द्वारा इसे विश्व विरासत स्थल’ का दर्जा प्रदान किया गया। मुगलों के उत्कृष्ट वास्तुकला के इस नमूने को देखने प्रतिदिन भारी तादात में देश विदेश से पर्यटक आते हैं। लाहौरी गेट, दिल्ली गेट, नक्कारखाना, नौबतखाना, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, नहर ए बहिश्त, सावन-भादो, मुमताज महल, रंग महल, खास महल, मोती मस्जिद, हयात बख्श बाग की भव्यता किसी को भी अपना दीवाना बना लेती है। ये भवन भव्य होने के साथ साथ ऐतिहासिक कहानियों को अपने अंदर समेटे हैं। फिर चाहे प्रथम स्वतंत्रता संग्राम हो या फिर बहादुर शाह जफर पर चला मुकदमा, आजाद हिंद फौज के सेनानियों पर मुकदमा, लाल किले ने दिल्ली को बनते बिगड़ते देखा है। बनने-बिगड़ने की ये कहानी लाल किले के अंदर विभिन्न संग्रहालयों के रूप में अब लोगों के सामने आएगी। दरअसल, अगस्त महीने में लाल किले में चार नए संग्रहालय खोले जाने की योजना है।
खुले चार संग्रहालय
केंद्र सरकार लाल किले को संग्रहालय हब के रूप में विकसित कर रही है। सरकार, पर्यटकों को घुमने फिरने के दौरान स्वतंत्रता संग्राम, सेनानियों समेत देश से जुड़ी विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं से रूबरू कराना चाहती है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के सुपरिटेंडेंट ने बताया कि लाल किले में चार नए संग्रहालय खोले जाएंगे। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की पहल पर शुरू की जा रही इस योजना को अगले महीने अमली जामा पहनाने के लिए युद्ध स्तर पर तैयारियां चल रही है। पहले संग्रहालय में मूल अभिलेखीय सामग्री और 1857 क्रांति से संबंधित दस्तावेज होंगे। जबकि दूसरा संग्रहालय सुभाष चंद्र बोस और भारतीय सेना से जुड़ा होगा। तीसरा संग्रहालय जलियांवाला बाग में हुए नरसंहार और द्वितीय विश्र्व युद्ध में भारत की भागेदारी पर आधारित दस्तावेज होंगे। वहीं चौथे संग्रहालय में भारतीय युद्ध स्मारक संग्रहालय और पुरातत्व संग्रहालय की कलाकृतियों को रखा जाएगा। अभी ये दोनों संग्रहालय लाल किले के नौबत खाना और मुमताज महल पैलेस में स्थित हैं। बकौल अधिकारी चौथे संग्रहालय में कलाकृतियों का स्थानांतरण होने के बाद नौबत खाना और मुमताज महल पैलेस को जनता के लिए खोल दिया जाएगा
संग्रहालय सुनाएंगे आजादी की कहानी
एएसआइ अधिकारियों ने बताया कि पहले संग्रहालय में 1857 क्रांति की कहानी बयां करते दस्तावेज प्रदर्शित होंगे। इस संग्रहालय में प्रथम स्वाधीनता संग्राम, 1857 से संबंधित 50 से भी ज्यादा दस्तावेज होंगे। जिसमें तत्कालीन दिल्ली का मानचित्र, अंग्रेजों से मोर्चा लेते समय की रणनीति संबंधी दस्तावेज, अश्मलेख, चिट्ठियां, चित्र, अभिलेख, पटौदी के नवाब और बहादुरशाह जफर द्वारा इस्तेमाल हथियार तथा दिल्ली पर कब्जे के दौरान जनरल जे निकोलसन द्वारा इस्तेमाल फील्ड ग्लास आदि शामिल होगा। यही नहीं ब्रितानिया हुकूमत के खिलाफ भारतीयों के विद्रोह को दर्शाती लगभग एक शताब्दी पुरानी 70 पेंटिंग भी प्रदर्शित की जाएगी। मेरठ से क्रांतिकारियों का दल पैदल चलकर दिल्ली आया और बहादुर शाह जफर से मुलाकात की। क्त्रांतिकारियों ने बहादुर शाह जफर को क्त्रांति का नेतृत्व करने की गुजारिश की जिसे वो मान गए। किस तरह क्त्रांतिकारियों ने अंग्रेजों से लोहा लिया, कहां अंग्रेजों और क्रांतिकारियों के बीच संग्राम हुआ इससे संबंधित दस्तावेज प्रदर्शित होंगे।
नेताजी की यादों को सहेजने की कोशिश
लाल किले के स्वतंत्रता संग्रहालय में नेताजी से जुड़ी यादों को तस्वीरों के जरिए सहेजा जाएगा। अधिकारी ने बताया कि यहां फौज को संबोधित करते हुए नेताजी, नेहरू और इंदिरा के साथ नेताजी की बातें, कहीं लक्ष्मी सहगल के साथ रानी झांसी रेजिमेंट का जायजा लेते नेताजी की तस्वीरें होंगी। देश भक्ति से लबरेज उनके भाषण की प्रतियां भी उपलब्ध होंगी। संग्रहालय ममें उनकी शानदार कुर्सी, उनकी तलवार, उनके द्वारा इस्तेमाल की गई कुछ सिगार पाइप, चश्मा उनके जीवन शैली पर भी प्रकाश डालेगा। संग्रहालय में आजाद हिंद फौज के जांबाज कमांडरों पर चले मुकदमें का डायरोमा भी देखने को मिलेगा। सनद रहे कि यहां कर्नल प्रेम सहगल, मेजर जनरल शहनवाज खान और कर्नल गुरबख्श ढिल्लन पर मुकदमा चला था।
जलियांवाला बाग
13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के पर्व पर पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में इस दिन ब्रिगेडियर जनरल रेजीनॉल्ड डायर के नेतृत्व में अंग्रेजी फौज ने गोलियां चला के निहत्थे, शांत बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों को मार डाला था और हजारों लोगों को घायल कर दिया था। इस घटना ने भारत के इतिहास की धारा को बदल कर रख दिया। इस नृशंस घटना के 99 साल बाद लाल किले में संग्रहालय में जलियांवाला बाग से जुड़े दस्तावेजों को दिखाया जाएगा। अधिकारियों ने बताया कि दस्तावेजों में अखबारों में प्रकाशित खबरें, बाग में भीड़ की तस्वीरें इत्यादि शामिल है।
बंदूकों से लेकर शाही ड्रेस तक
चौथे संग्रहालय में भारतीय युद्ध स्मारक संग्रहालय और पुरातत्व संग्रहालय के दस्तावेजों को प्रदर्शित किया जाएगा। ये दोनों संग्रहालय नौबत खाना और मुमताज महल पैलेस में स्थित है। मुमताज महल में सम्राट अकबर और उनके उत्तराधिकारियों के काल की पेंटिंग, पांडुलिपियां, शिलालेख, फरमान आदि से लेकर अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर और उनकी महारानी के परिधान तथा अन्य सामान रखे गए हैं। भारतीय युद्ध संग्रहालय दिल्ली के लाल किले के अन्दर मौजूद ‘नौबत खाना’ में स्थित है। इसमें प्रदर्शित मुख्य वस्तुओं में सन 1526 में लड़ी गई पानीपत की लड़ाई की एक चित्रावली है जिसमें दर्शाया गया है कि किस तरह बाबर ने इब्राहम लोदी की सेना को हराकर मुगल साम्राज्य की स्थापना की थी। इसके अलावा यहां रखे सामानों में कटार, कवच आदि भी शामिल हैं।यहां विभिन्न प्रकार के बैज, रिबन, और तुर्की तथा न्यूजीलैंड के सैन्य अधिकारियों की वर्दी और झंडे भी रखे गए हैं। एक प्रसिद्ध सैनिक व सेना के इदार(गुजरात) के महाराजा प्रताप सिंह की पोशाक को भी प्रदर्शित किया गया है। जिसमें कुर्ता, बेल्ट, ट्राउजर, जरी की कढ़ाई वाली पगड़ी, जूते और म्यान के साथ तलवार शामिल हैं। अन्य युद्धों में भारतीय सैनिकों द्वारा प्रयुक्त हथियार, पहले विश्र्व युद्ध के दौरान प्रयुक्त हथियार और गोलाबारूद है। अधिकारी ने बताया कि मुमताज महल का नामकरण शाहजहां ने 1628 में मुमताज महल के नाम पर किया था। यह शाही हरम का हिस्सा था एवं इसे छोटे रंगमहल के नाम से भी जाना जाता था। सन 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद अंग्रेजों द्वारा इसका प्रयोग कारागार के रूप में किया जाने लगा था। जिस कारण इसका मूल स्वरूप काफी हद तक बदल गया।