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संजय को तुरंत मिल गया लाखों का फंड!

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Shark Tank India-4: शार्क टैंक इंडिया (Shark Tank India) का चौथा सीजन (Season 4) दर्शकों के बीच हमेशा ही रोमांचक और प्रेरणादायक पल लेकर आता है। इस बार एक खास एपिसोड में राजस्थान के 20 वर्षीय संजय मोदी ने अपनी कड़ी मेहनत और स्टार्टअप ‘नीयरबुक’ (Nearbook) के लिए शार्कों से फंडिंग मांगी।

संजय मोदी का सपनों का सफर और स्टार्टअप का आइडिया

संजय मोदी का परिवार पहले से ही बिजनेस में था, लेकिन उनके पिता का बिजनेस एक फ्रॉड के कारण विफल हो गया था, और वह नहीं चाहते थे कि उनका बेटा भी बिजनेस में हाथ डाले। संजय ने अपने पिता से 6 महीने का वक्त लिया और इस दौरान उन्होंने ‘नीयरबुक’ को प्रॉफिटेबल बनाने की योजना बनाई।

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नीयरबुक, एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां लोग पुरानी किताबों को बेच सकते हैं, खरीद सकते हैं, रेंट पर दे सकते हैं या डोनेट भी कर सकते हैं। संजय ने इस स्टार्टअप को 2020 में शुरू किया था। उनका मानना था कि सेकेंड हैंड किताबें महंगी होती हैं और आसानी से उपलब्ध नहीं होतीं, इसी समस्या को हल करने के लिए उन्होंने नीयरबुक का आइडिया सोचा।

संजय के संघर्ष और बिजनेस की शुरुआत

संजय के पिता के बिजनेस के विफल होने के बाद, संजय ने अपनी राह खुद बनानी शुरू की। जब वह 8वीं क्लास में थे, तभी से उनका सपना था कि वह एक आंत्रप्रेन्योर बने। नीयरबुक के लिए संजय ने लिंक्डइन पर एक शख्स से संपर्क किया और उसने वेबसाइट बनाई, जिसमें संजय ने खुद 6 लाख रुपये निवेश किए। उनका बिजनेस मॉडल फिलहाल प्री-रेवेन्यू है, लेकिन वह आने वाले समय में इस प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन के जरिए पैसे कमाने की योजना बना रहे हैं। अब तक, नीयरबुक ऐप के 6 लाख से अधिक डाउनलोड हो चुके हैं और करीब 40 हजार लोग इस प्लेटफॉर्म पर किताबें बेच चुके हैं।

Shark Tank India में पिच और फंडिंग की कहानी

संजय ने शार्क टैंक इंडिया में 20 फीसदी इक्विटी के बदले ₹40 लाख की फंडिंग मांगी। पहले सभी शार्क ने इस डील से बाहर होने का फैसला किया, लेकिन अनुपम मित्तल ने संजय को अंत में एक बड़ा मौका दिया।

अनुपम मित्तल ने कहा, “मेरे पास कोई मेंटोर नहीं था, इसलिए मुझे बिजनेस करना समझने में बहुत वक्त लगा। मैं खुद से खुश नहीं होऊंगा, अगर मैंने बड़ी-बड़ी बातें कीं और जिसमें खुद को देखने को मिल रहा है, उसे एक मौका ना दूं।” ये कहते हुए उन्होंने संजय को ड्रीमडील ऑफर की, जिसमें उन्होंने 20 फीसदी इक्विटी के बदले ₹40 लाख की फंडिंग दे दी।

संजय की उम्मीदें और भविष्य के लिए शुभकामनाएं

संजय मोदी का सपना अब सच होने जा रहा था, क्योंकि अनुपम मित्तल की मेंटोरशिप के साथ उनकी स्टार्टअप को एक नई दिशा मिलेगी। संजय ने यह भी बताया कि वह हमेशा सोचते थे कि जो उनके पापा नहीं कर पाए, वह वह जरूर करेंगे। अब उनका यह सपना धीरे-धीरे साकार हो रहा है।

संजय का यह संघर्ष और सफलता युवा आंत्रप्रेन्योर के लिए प्रेरणादायक है, जो न केवल अपने बिजनेस में सफल होना चाहते हैं बल्कि अपने परिवार और समाज में एक नया बदलाव लाने का प्रयास करते हैं।

आखिरकार, अनुपम मित्तल का यह कदम संजय के लिए सिर्फ एक डील नहीं, बल्कि एक मजबूत शुरुआत है जो उनके सपनों को उड़ान देगी।

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