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शॉर्क टैंक के जज रितेश ने कर दी ₹50 लाख की फंडिंग!

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

Shark Tank India-4: में एक ऐसा स्टार्टअप सामने आया, जिसने जामुन जैसे मामूली फल से बड़ा बिजनेस खड़ा किया है। उदयपुर के जसवंतगढ़ के रहने वाले पति-पत्नी, राजेश ओझा और पूजा ओझा ने TribalVeda नामक स्टार्टअप शुरू किया, जो आदिवासी महिलाओं से जामुन खरीदकर उसे प्रोसेस करता है और जामुन से कई तरह के प्रोडक्ट्स तैयार करता है। इस बिजनेस में उनका लक्ष्य न केवल जामुन को बेकार होने से बचाना है, बल्कि आदिवासी समुदाय की महिलाओं को भी रोजगार देने का है।

जामुन से बिजनेस का आइडिया कैसे आया?

राजेश ओझा ने बताया कि 16 साल की उम्र में वह गांव छोड़कर मुंबई चले गए थे, लेकिन बाद में उन्हें एहसास हुआ कि असली खजाना तो गांव में ही था। गांव में बहुत सारे जामुन के पेड़ थे, लेकिन जामुन की शेल्फ लाइफ बहुत कम होती है और वह बहुत जल्दी खराब हो जाता है।

इसके कारण आदिवासी महिलाएं इसे बेहद सस्ते दामों पर बेच देती थीं या फिर बहुत सारा जामुन पेड़ पर ही बर्बाद हो जाता था। इसी समस्या को हल करने के लिए राजेश ने जामुन से संबंधित बिजनेस का ख्याल बनाया।

TribalVeda की शुरुआत और प्रोडक्ट्स

TribalVeda के जरिए राजेश और पूजा ओझा जामुन के शॉट्स, स्ट्रिप्स, क्यूब्स और जूस जैसे कई उत्पाद बनाते हैं। इसके अलावा, वे सीताफल से भी उत्पाद बनाते हैं। इन प्रोडक्ट्स की लाइफ 6-18 महीने तक होती है और इनमें कोई प्रिजर्वेटिव्स का इस्तेमाल नहीं किया जाता है।

जामुन के जूस, स्ट्रिप्स और शॉट्स को खासतौर पर स्वास्थ्य के प्रति जागरूक लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है, खासकर 35 साल से अधिक उम्र के लोग इन प्रोडक्ट्स को पसंद करते हैं।

राजेश ओझा का सफर

राजेश ने 2002 में 16 साल की उम्र में मुंबई का रुख किया था। वहां उन्होंने डिलीवरी मैन, हेल्पिंग और सेल्समैन के रूप में काम किया। 2011 में, उन्होंने कमोडिटी मार्केट का काम शुरू किया और अपनी ब्रोकिंग फर्म शुरू की, लेकिन तीन साल बाद वह इस बिजनेस को बंद करके गांव वापस आ गए।

2018 में उन्होंने जामुन का पल्प बनाने का बी2बी बिजनेस शुरू किया और फिर 2022 में जामुन और सीताफल से संबंधित उत्पादों का बिजनेस शुरू किया।

आर्थिक सफलता और निवेश

2023-24 में TribalVeda ने बी2बी से 1.74 करोड़ रुपये और बी2सी से 42 लाख रुपये की कमाई की। इस साल नवंबर तक, उनकी कमाई बी2बी से लगभग 2 करोड़ रुपये और बी2सी से 91 लाख रुपये तक पहुँच चुकी है। इस साल के अंत तक उनकी बी2बी से कमाई 2.5 करोड़ रुपये और बी2सी से 1.8 करोड़ रुपये तक पहुँचने का अनुमान है।

जामुन के बिजनेस मॉडल की इकनॉमिक्स

TribalVeda जामुन आदिवासी महिलाओं से 40 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदता है। फिर गांव में लगे 2 टन क्षमता वाले प्रोसेसिंग प्लांट में इसे प्रोसेस किया जाता है। जामुन से पल्प निकालने के बाद, कंपनी इसे बी2बी और बी2सी मॉडल के तहत बेचा जाता है। बी2बी में वे इसे 160 रुपये किलो और जामुन की स्ट्रिप्स को 3500 रुपये किलो के हिसाब से बेचते हैं।

रितेश ने की ₹50 लाख की फंडिंग

शार्क टैंक इंडिया के मंच पर TribalVeda ने 2% इक्विटी के बदले ₹50 लाख की फंडिंग मांगी। इस ऑफर के बाद रितेश ने 7.5% इक्विटी के बदले ₹50 लाख देने की पेशकश की।

फाउंडर्स ने 5% इक्विटी के बदले 1 करोड़ रुपये का ऑफर दिया, लेकिन अंत में रितेश ने 5% इक्विटी के बदले ₹50 लाख की डील को फाइनल किया। इस डील में कुल 2.8% इक्विटी और 2.2% एडवाइजरी इक्विटी शामिल है।

निवेश और भविष्य की योजना

इस स्टार्टअप में जीरोधा भी ₹2.5 करोड़ का निवेश कर रहा है, जो अभी प्रोसेस में है। फिलहाल, राजेश के पास कंपनी का 42% और पूजा के पास 19% हिस्सेदारी है। कंपनी की योजना आगामी वर्षों में अपनी बिक्री को और बढ़ाने और नए प्रोडक्ट्स पेश करने की है।

TribalVeda ने जामुन जैसे एक साधारण फल से न केवल बड़ा बिजनेस खड़ा किया है, बल्कि आदिवासी महिलाओं को रोजगार भी दिया है। इस बिजनेस का मॉडल न केवल सस्टेनेबल है, बल्कि यह भारतीय किसानों और आदिवासी समुदाय के लिए एक बड़ा अवसर प्रदान करता है। इस सफलता की कहानी से यह साबित होता है कि सही विचार और मेहनत से कोई भी छोटा व्यवसाय भी बड़ा बन सकता है।

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