पाकिस्तान ने समझौता स्थगित करने के भारत के फैसले का विरोध किया
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुआ सिंधु जल समझौता (Indus Waters Treaty) दशकों तक दक्षिण एशिया की सबसे स्थिर संधियों में गिना जाता रहा। तीन युद्ध, कई तनाव, सीमा पर गोलाबारी—इन सबके बावजूद इस संधि को भारत ने कभी नहीं तोड़ा। लेकिन अब, 2025 का पहलगाम आतंकी हमला उस एक मर्यादा पर चोट कर गया जिसे भारत लंबे समय से निभाता आया था।
अब भारत ने साफ कर दिया है—”आतंकवाद और सहयोग साथ नहीं चल सकते।”
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) ने एक ऐसा ऐतिहासिक फैसला लिया, जिसने कूटनीतिक गलियारों से लेकर खेतों तक लहर दौड़ा दी—सिंधु जल समझौते को स्थगित किया गया है।
इस एक निर्णय ने न सिर्फ पाकिस्तान की आर्थिक और जल-आधारित सुरक्षा को चुनौती दी है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर यह संदेश भी दिया है कि भारत अब अपने हर संसाधन को रणनीतिक रूप से प्रयोग करने को तैयार है।
क्या होगा पाकिस्तान का? क्या यह फैसला वाजिब है? क्या पानी को हथियार बनाया जा सकता है? यही सब विस्तार से जानिए इस विशेष रिपोर्ट में..
Q1. क्या है सिंधु जल समझौता और कैसे हुई इसकी शुरुआत?
1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच जल बंटवारे को लेकर जो समझौता हुआ, वही सिंधु जल समझौता (Indus Water Treaty) कहलाता है। इसमें छह नदियाँ शामिल हैं—सिंधु, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास और सतलुज।
यह समझौता पंडित नेहरू और अयूब खान के बीच वर्ल्ड बैंक की मध्यस्थता में हुआ था। इसमें पूर्वी नदियों (रावी, ब्यास, सतलुज) का अधिकार भारत को दिया गया और पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) का अधिकार पाकिस्तान को। समझौते में यह प्रावधान था कि भारत पाकिस्तान को पानी की सप्लाई बाधित नहीं करेगा।
Q2. 2025 में भारत ने सिंधु जल समझौते पर कौन-सा बड़ा कदम उठाया?
23 अप्रैल 2025 को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक हुई, जिसमें पाँच अहम निर्णय लिए गए:
- सिंधु जल समझौता स्थगित किया गया जब तक पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को नहीं रोकता।
- अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद किया गया, केवल 1 मई से पहले भारत में मौजूद लोग ही वापस जा सकेंगे।
- SAARC वीज़ा छूट योजना तत्काल प्रभाव से रद्द।
- दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग से सभी मिलिट्री/डिफेंस अटैचेज़ को निष्कासित किया गया।
- दोनों देशों के उच्चायोगों में कर्मचारियों की संख्या घटाकर 30 कर दी गई।
Q3. सिंधु जल समझौते को स्थगित करने से पाकिस्तान पर क्या प्रभाव होगा?
- पाकिस्तान की 90% कृषि भूमि सिंधु प्रणाली पर निर्भर है।
- देश की नेशनल इनकम का 23% कृषि पर आधारित है।
- 68% ग्रामीण आबादी सिंचाई जल पर निर्भर है।
- तारबेला और मंगल डैम जैसे बड़े हाइड्रो प्रोजेक्ट ठप हो सकते हैं जिससे 30-50% बिजली संकट उत्पन्न होगा।
पानी की आपूर्ति रुकने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था, रोजगार और खाद्य सुरक्षा पर सीधा असर पड़ेगा।
Q4. क्या भारत के पास इतना जल नियंत्रण है कि वह पाकिस्तान को पानी रोक सके?
हाँ, भारत ने पूर्वी नदियों पर पहले ही भाखड़ा-नंगल, रंजीत सागर, पोंग और इंदिरा नहर जैसे मेगाप्रोजेक्ट्स बनाए हैं। अब पश्चिमी नदियों पर बगलीहार, किशनगंगा, पाकल डुल जैसे प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। 2019 में भारत ने घोषणा की थी कि वह पूर्वी नदियों का 100% पानी भारत में ही इस्तेमाल करेगा।
हालांकि, इंफ्रास्ट्रक्चर की चुनौतियाँ और बाढ़ का खतरा ऐसा कदम रातोंरात नहीं उठाने देगा।
Q5. क्या भारत सिंधु जल समझौते को एकतरफा रद्द कर सकता है?
सिंधु जल समझौता एक द्विपक्षीय स्थायी संधि है। इसे कोई एक देश मनमानी से रद्द नहीं कर सकता।
परंतु, वियना संधि कानून (धारा 62) और अंतरराष्ट्रीय न्यायालय यह मानते हैं कि यदि परिस्थितियाँ मूल समझौते से भिन्न हो जाएँ—जैसे आतंकवाद का समर्थन—तो कोई भी देश संधि से पीछे हट सकता है।
Q6. सिंधु जल समझौता अब तक क्यों नहीं टूटा, जबकि भारत-पाक के बीच तीन युद्ध हो चुके हैं?
- यह एक ट्रांसबाउंड्री जल संधि है जो युद्ध के समय भी जारी रहती है।
- वर्ल्ड बैंक इसका गारंटर है।
- यह भारत की अंतरराष्ट्रीय साख और संयम का प्रतीक रहा है।
- संधि के तहत एक स्थायी सिंधु आयोग बनाया गया जो वार्षिक बैठकें करता रहा।
Q7. अब पाकिस्तान के पास क्या विकल्प हैं?
- वर्ल्ड बैंक, UN, और चीन जैसे मंचों पर मामला उठा सकता है।
- परन्तु ग्लोबल सपोर्ट मुश्किल है क्योंकि पाकिस्तान की आतंकवाद को लेकर छवि नकारात्मक है।
- चीन संभवतः केवल पार्श्व में खड़ा रहेगा, खुला समर्थन नहीं देगा।
Q8. इस फैसले का भारत-पाक रिश्तों पर क्या दीर्घकालिक असर होगा?
- राजनयिक संपर्क सीमित हो जाएंगे।
- व्यापार, शिक्षा, चिकित्सा और मीडिया से जुड़े आदान-प्रदान बाधित होंगे।
- वॉटर डिप्लोमेसी में भारत ने स्पष्ट किया कि “अब आतंकवाद और सहयोग साथ नहीं चल सकते।”
पाकिस्तान को अपने अंदर झांकना होगा कि आतंकवाद से हाथ मिलाकर क्या वह अपनी जनता को पानी दे सकता है?
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