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जीवन भर का अकेलापन और 06 नवंबर का मार्मिक संयोग

दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।

भारतीय सिनेमा जगत की दिग्गज गायिका और अभिनेत्री सुलक्षणा पंडित अब हमारे बीच नहीं रहीं। गुरुवार रात, 06 नवंबर 2025 को, 71 वर्ष की आयु में उन्होंने मुंबई के नानावटी अस्पताल में अंतिम सांस ली। सुलक्षणा जी लंबे समय से बीमार थीं।

उनका निधन कला जगत के लिए दुखद खबर है, लेकिन इस दुख के साथ एक ऐसा अजीब और मार्मिक संयोग जुड़ा है, जिसने इस अधूरी प्रेम कहानी को अमर बना दिया है।

यह तारीख थी 06 नवंबर। ठीक 40 साल पहले, इसी तारीख़ को, यानी 06 नवंबर 1985 को, सुलक्षणा पंडित के एकतरफा और सच्चे प्यार, महान अभिनेता संजीव कुमार जी का भी निधन हुआ था। जिस इंसान के ठुकराए जाने के बाद सुलक्षणा जी ने ताउम्र किसी और से शादी न करने का प्रण लिया, उसी की पुण्यतिथि पर उनका भी दुनिया से चले जाना, सच्चे प्रेम की एक ऐसी दास्तां है जिसे बॉलीवुड हमेशा याद रखेगा। यह सिर्फ़ इत्तेफ़ाक नहीं, बल्कि अधूरे इश्क़ के मुकम्मल होने की एक अद्भुत और दुखद दास्तां है।

एकतरफा इश्क़ का ऐसा अंजाम: ताउम्र अकेलापन और 06 नवंबर का जुड़ाव

संजीव कुमार (जन्म: 09 जुलाई 1938) और सुलक्षणा पंडित (जन्म: 12 जुलाई 1954) का जन्म महीना जुलाई था, लेकिन दोनों की उम्र में 16 साल का फ़र्क था। उनका गहरा भावनात्मक जुड़ाव उनकी पहली फ़िल्म से शुरू हुआ, जो जीवन भर उनकी नियति बन गया।

उलझनसे शुरू हुई वो अधूरी मोहब्बत

  • डेब्यू फ़िल्म: साल 1974 में आई फ़िल्म उलझन से सुलक्षणा पंडित ने बतौर एक्ट्रेस डेब्यू किया।
  • संजीव कुमार से मुलाक़ात: इस फ़िल्म में उनके साथ संजीव कुमार जी मुख्य भूमिका में थे। पहली ही फ़िल्म में साथ काम करते हुए, सुलक्षणा पंडित को संजीव कुमार जी से बेइंतहा इश्क़ हो गया।
  • प्रेम प्रस्ताव: बताया जाता है कि सुलक्षणा पंडित ने खुद संजीव कुमार को शादी का प्रस्ताव दिया।
  • ठुकराया गया प्यार: उस वक्त संजीव कुमार जी, हेमा मालिनी जी को चाहते थे। इस कारण उन्होंने सुलक्षणा जी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया।

संजीव कुमार का इनकार सुलक्षणा जी के लिए एक गहरा सदमा था। उनका दिल बुरी तरह टूट गया और उन्होंने ताउम्र किसी और से शादी न करने का दृढ़ प्रण ले लिया। सुलक्षणा जी ने सफलता और शोहरत को छोड़, अपने प्यार की यादों के साथ अकेला जीवन चुना। दूसरी तरफ़, संजीव कुमार जी भी हेमा मालिनी को अपना न बना सके और वह भी जीवन भर अकेले ही रहे।

सुरों की विरासत: पंडित परिवार की प्रतिभाशाली बेटी

सुलक्षणा पंडित का जन्म एक ऐसे घराने में हुआ था जहाँ संगीत उन्हें विरासत में मिला था।

  • पिता: प्रताप नारायण पंडित (जाने-माने संगीतज्ञ)।
  • चाचा: पंडित जसराज (भारत के महानतम शास्त्रीय गायकों में शुमार)।
  • भाई: जतिन पंडित और ललित पंडित (मशहूर म्यूज़िशियन्स जोड़ी जतिन-ललित)।
  • बहन: विजेयता पंडित (अभिनेत्री व गायिका), जिनके पति आदेश श्रीवास्तव भी संगीतकार थे।

गायकी से एक्टिंग तक का सफ़र

  • करियर की शुरुआत: सुलक्षणा जी ने मात्र 9 साल की उम्र में साल 1967 में फ़िल्म तक़दीर के गीत सात समंदर पार से… में लता मंगेशकर जी के साथ कोरस में पहली बार अपनी आवाज़ दी थी।
  • पहला और इकलौता फ़िल्मफ़ेयर: उन्हें उनके करियर का एकमात्र फ़िल्मफ़ेयर बेस्ट फ़ीमेल प्लेबैक सिंगर अवॉर्ड साल 1975 में फ़िल्म संकल्प के गीत तू ही सागर है, तू ही किनारा के लिए मिला था।
  • महान गायकों संग काम: उन्होंने मोहम्मद रफ़ी और किशोर कुमार जैसे दिग्गज गायकों के साथ भी युगल गीत गाए।

 किशोर कुमार की सलाह: एक्टिंग में कदम

महान गायक किशोर कुमार ही थे जिन्होंने सुलक्षणा पंडित को गायकी के साथ-साथ एक्टिंग करने की सलाह दी थी। एक इंटरव्यू में उनके भाई ललित पंडित ने बताया था कि:

किशोर दा ने सुलक्षणा जी से कहा था कि तुम खूबसूरत दिखती हो। इसलिए तुम्हें हीरोइन बनना चाहिए। हीरोइन बनोगी तो अपने गाने खुद गाने की डिमांड भी करना। इससे तुम्हें अलग ही पहचान मिलेगी।”

किशोर दा की इस सलाह को मानते हुए, सुलक्षणा पंडित ने 1974 में फ़िल्म ‘उलझन’ से बतौर एक्ट्रेस डेब्यू किया, जहाँ उन्हें अपने प्यार संजीव कुमार के साथ काम करने का मौका मिला। इसी फ़िल्म में उन्होंने किशोर दा के साथ ‘आज प्यारे प्यारे से लगते हैं आप’ गाना भी गाया था।

मानसिक अस्थिरता और करियर का अंत

संजीव कुमार के इनकार के बाद भी सुलक्षणा जी को शायद उम्मीद रही होगी कि एक दिन उनका मिलन ज़रूर होगा।

लेकिन, जब साल 1985 में संजीव कुमार जी की अचानक मृत्यु हो गई, तो सुलक्षणा पंडित जी पर उसका बहुत बुरा और विनाशकारी प्रभाव पड़ा।

  • मानसिक अस्थिरता: वह मानसिक रूप से अस्थिर होने लगीं और लोगों से मिलना-जुलना धीरे-धीरे बंद कर दिया।
  • टूटा करियर: उन्होंने फ़िल्मों में अभिनय और गायकी दोनों छोड़ दी
  • आखिरी गीत: हालांकि, अपने भाई के कहने पर, साल 1996 में आई संजय लीला भंसाली की फ़िल्म खामोशी द म्यूज़िकल में उन्होंने उदित नारायण के साथ मिलकर एक गाना सागर किनारे भी दो दिल हैं प्यासे गाया, जो उनका आखिरी गीत साबित हुआ।

कुछ ही समय बाद उनकी मां की मृत्यु ने उन्हें और तोड़ दिया। वह पूरी तरह एकांतवास में चली गईं।

अंतिम संयोग

सुलक्षणा पंडित जी का निधन: 06 नवंबर 2025

संजीव कुमार जी का निधन: 06 नवंबर 1985

जिस प्यार को उन्होंने जीवन भर अपनी धड़कनों में ज़िंदा रखा, उसी प्यार की पुण्यतिथि पर उनका दुनिया से चले जाना, उनकी अधूरी प्रेम कहानी की अमरता का प्रमाण है। 40 साल का इंतज़ार 06 नवंबर की तारीख़ ने ख़त्म कर दिया। यह अद्भुत संयोग साबित करता है कि सच्चा प्रेम कभी नहीं मरता, वह बस अपने प्रेमी से मिलन के लिए सही वक्त और तारीख़ का इंतज़ार करता है।

सुलक्षणा पंडितआपकी आवाज़ और आपके निश्छल प्रेम को हिंदी सिनेमा जगत हमेशा याद करेगा।

Q&A (आपके प्रश्न, हमारे उत्तर)

प्रश्न (Q)उत्तर (A)
सुलक्षणा पंडित और संजीव कुमार की मृत्यु की तारीख़ क्या है?दोनों की मृत्यु की तारीख़ 06 नवंबर है। संजीव कुमार की मृत्यु 06 नवंबर 1985 को और सुलक्षणा पंडित की मृत्यु 06 नवंबर 2025 को हुई।
सुलक्षणा पंडित ने शादी क्यों नहीं की?उन्होंने संजीव कुमार के प्रेम प्रस्ताव ठुकराने के बाद ताउम्र किसी और से शादी न करने का प्रण लिया था।
संजीव कुमार और सुलक्षणा पंडित की पहली फ़िल्म कौन सी थी?उनकी पहली फ़िल्म उलझन (1974) थी।
सुलक्षणा पंडित के भाई-बहन कौन हैं?उनके भाई संगीतकार जतिन-ललित और बहन अभिनेत्री-गायिका विजेयता पंडित हैं।
सुलक्षणा पंडित का अंतिम गीत कौन सा था?फ़िल्म ‘खामोशी द म्यूज़िकल’ (1996) का गीत सागर किनारे भी दो दिल हैं प्यासे
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