यह दिल्ली शहर के अंदर मोहल्ला बुलबुलीखाना और तुर्कमान दरवाजे के पास बहुत बड़ी और पुरानी इमारत है। इसे 1387 ई. में तामीर किया गया था। यह 140 फुट लंबी और 120 फुट चौड़ी है। दीवारों के आसार छह फुट हैं। इसको बहुत ऊंची कुर्सी दी गई है। यह दोमंजिला है। पहली मंजिल की कुर्सी 28 फुट है, जिसमें दुकानें किराए पर दी गई हैं। दीवार से मिली हुई कोठरियों में दरवाजे और एक-एक सीढ़ी है, जो बुर्जी के नीचे है। उनमें अंदर-अंदर ही भीतरी रास्ते हैं।
यह पत्थर चूने की बनी हुई है, जो बहुत ही मजबूत है। अंदर-बाहर अस्तरकारी का काम बहुत भला मालूम होता है। मस्जिद में जाने की 29 सीढ़ियां हैं। कोने के बुर्ज और बाहर की दीवारें सब अंदर की ओर गावदुम हैं। मस्जिद में मीनार नहीं है। मुल्ला अजान मस्जिद की छत पर से लगाया करता था। बहुत वर्षों तक इस मस्जिद में नमाज नहीं पढ़ी गई। मस्जिद बनाने वाले की तथा उसके बाद की कब्रें 1857 ई. के गदर में बरबाद हो गई।