एक कहानी गो गो रानी हमको दुद्धा तुमको पानी
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दिल्ली की घरेलू जिन्दगी में कहानियों और पहेलियों का एक विशेष महत्त्व था। घरों में दादी और नानी मां और दूसरे बुजुर्ग नियमित रूप से वे कहानियां सुनाते और पहेलियां बुझवाते थे। कहानी ख़त्म होने पर बच्चों को छेड़ने के लिए कह देते – “एक कहानी गो गो रानी, हमको दुद्धा तुमको पानी।” बच्चे खिलखिलाकर हंस पड़ते थे, मगर ‘तुमको पानी’ वाली बात पर सोचने लगते थे कि वाह हमको पानी क्यों? और चीख कर कहते थे-बात वही थी, जिधर मर्जी आए घुमा लो। मगर बच्चों को तफ़रीह का मौक़ा मिल जाता और बड़ों को छेड़छाड़ का बच्चों की ये कहानियां बड़ी रोचक और अकसर शिक्षाप्रद होती थीं।
आइए आपको अक्लमंद हाथी की कहानी सुनाते हैं। “हां, भई तो सुनो,” दादी मां बोलतीं, “यह तो तुम जानते हो कि हाथी बहुत अक्लमंद जानवर होता है। वह बोल नहीं सकता लेकिन सब बात समझ लेता है। बच्चो, बहुत दिन पहले की बात है कि एक मंदिर के आंगन में त्योहारों पर बड़ा शामियाना ताना जाता था। उसमें हाथी से मदद ली जाती थी।”
बच्चे पूछते, “दादी मां, हाथी से कैसे ?” दादी मां जवाब देतीं, “हाथी अपनी सूंड़ में मोटे-मोटे, भारी-भारी लक्कड़ उठाकर लाता था और आंगन के चारों ओर खुदे गड्ढों में उन लक्कड़ों को गाड़ दिया जाता था और उन पर कपड़े का शामियाना ताना जाता था। एक दफा क्या हुआ कि हाथी की सूंड में बहुत बड़ा लक्कड़ अटका हुआ था। वह उसे गड्ढे के पास ले आया, मगर उसने गढ़े में कुछ देखा और पीछे हट गया। हाथी के महावत ने बहुत कोशिश की लेकिन हाथी टस से मस न हुआ, वह अपनी जगह से आगे नहीं बढ़ा। महावत के साथ कई आदमियों ने भी हाथी को आगे बढ़ने के लिए मारा, पुचकारा लेकिन हाथी अपनी जगह से नहीं हिला। जब किसी की समझ में नहीं आया तो महावत ने गड्ढे में झांककर देखा और हक्का-बक्का रह गया। उसे हाथी की बुद्धिमानी पर बड़ी हैरानी हुई। गड्ढे में कई नन्हे-मुन्हें बिल्ली के बच्चे पड़े हुए थे। अगर हाथी लक्कड़ को गड्ढे में डाल देता तो बिल्ली के बच्चे मर जाते।”