रेस्टोरेंट की नाकामी से ₹1000 करोड़ के बिजनेस तक का सफर
दी यंगिस्तान, नई दिल्ली।
Viraj Bahl Success Story: Shark Tank India (शार्क टैंक इंडिया) के चौथे सीजन में दो नए जज शामिल हुए हैं, जिनमें से एक हैं विराज बहल, जो जल्द ही शो में नजर आ सकते हैं। वीबा फूड्स के संस्थापक विराज बहल की सफलता की कहानी प्रेरणादायक है। एक समय था जब उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए अपना घर तक बेच दिया, और आज वह ₹1000 करोड़ की कंपनी के मालिक हैं।
बचपन से ही व्यापार में था रुचि
विराज बहल का बिजनेस के प्रति आकर्षण बचपन से ही था। वह अक्सर अपने पिता की फैक्ट्री में काम करने जाते थे और यहीं से उन्हें फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में रुचि पैदा हुई। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने दिल्ली ट्रेड फेयर में फन फूड्स के स्टॉल पर काम करके की थी।
एक अच्छी नौकरी, लेकिन दिल था बिजनेस में
विराज के पिता चाहते थे कि वह पहले आर्थिक रूप से सशक्त हों और फिर अपना बिजनेस शुरू करें। इसी कारण उन्होंने मरीन इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की और एक अच्छी नौकरी भी प्राप्त की। हालांकि, उनकी असली इच्छा तो अपना बिजनेस करने की थी।
पिता की कंपनी बिकने के बाद आया बड़ा मोड़
2002 में, विराज ने अपने पिता से फन फूड्स में शामिल होने की अनुमति ली, और कुछ समय बाद यह कंपनी जर्मन कंपनी डॉक्टर ओटकर को 110 करोड़ रुपये में बेच दी गई। विराज इस बिक्री के खिलाफ थे, लेकिन समय ने उनका साथ नहीं दिया।
रेस्टोरेंट बिजनेस के लिए घर तक बेचना पड़ा
विराज ने फिर 2009 में ‘पॉकेट फुल’ नामक रेस्टोरेंट बिजनेस शुरू किया, लेकिन यह बिजनेस जल्दी ही घाटे में चला गया। चार साल में छह आउटलेट्स खोलने के बावजूद, 2013 तक सभी बंद हो गए। यह निराशाजनक अनुभव उन्हें आर्थिक संकट में डाल गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी।
घर बेचकर शुरू किया नया बिजनेस
विराज के पास नया बिजनेस शुरू करने के लिए पैसे नहीं थे। ऐसे में उन्होंने अपना घर तक बेच दिया। फिर 2013 में नीमराना, राजस्थान में वीबा फूड्स की शुरुआत की। इस कंपनी ने अपनी बेहतर गुणवत्ता के सॉस के साथ बाजार में अलग पहचान बनाई और सफलता की राह पर चल पड़ी।
2023-24 तक ₹1000 करोड़ के रेवेन्यू का अनुमान
इस समय वीबा फूड्स ने शानदार ग्रोथ दिखाई है और 2023-24 तक कंपनी का रेवेन्यू ₹1000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि, कंपनी अभी शेयर बाजार में लिस्टेड नहीं है, लेकिन इसके पास बड़े निवेशकों का समर्थन है, जिसने इसकी विकास यात्रा को और तेज कर दिया है। विराज बहल की सफलता की कहानी एक सच्ची प्रेरणा है, जो दिखाती है कि कठिनाइयों के बावजूद अगर इरादा मजबूत हो, तो सफलता जरूर मिलती है।