सिंडिकेट सेल के जरिए राष्ट्रीय अखबारों में लिखते थे लाल बहादुर शास्त्री

लाल बहादुर शास्त्री जी (Lalbahaur shastri) की सादगी आज के नेताओं के लिए मिसाल है। गृहमंत्री, प्रधानमंत्री रहते हुए वो लोगों से सादगी से मिलते थे। कभी एहसास नहीं होने देते थे कि वो वीवीआईपी है। उनसे जुड़ा एक किस्सा राजनीतिक गलियारे में काफी चर्चित है। जिसे कुलदीप नैयर नेे भी अपनी किताब में लिखा है। कुलदीप नैयर ने इसकेे लिए काफी मदद भी की थी।

कुलदीप नैयर लिखते हैं कि उस समय शास्त्री जी केवल संसद सदस्य थे। संसद सदस्य की बहुत मामूली तनख्वाह होने के कारण शास्त्री का बड़ी मुश्किल से गुजारा हो रहा था। कुलदीप नैयर ने उन्हें अखबारों के लिए लिखने की सलाह दी। उनका पहला लेख नेहरू पर था। जैसाकि स्वाभाविक था, उन्होंने इसमें नेहरू की दिल खोलकर तारीफ की थी। मैंने उनके लिए सिंडिकेट सेल की व्यवस्था कर दी, जैसाकि 35 वर्ष बाद मैंने अपने लिए भी किया। उनका लेख दक्षिण में ‘हिन्दू’ (The Hindu) में, पूर्व में ‘अमृत बाजार पत्रिका’ (Amrit bazar patrika) में, उत्तर में ‘हिन्दुस्तान टाइम्स’ (Hindustan times) में और पश्चिम में ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ (Times of India) में छपा।

हर अखबार ने उन्हें 500 रुपए दिए। 2000 रुपए की अतिरिक्त आमदनी से उन्हें काफी फर्क पड़ा। उनका दूसरा लेख उनके हीरो लाला लाजपत राय पर था। इससे पहले कि वे तीसरा लेख लिख पाते, नेहरू को भुवनेश्वर में दिल का दौरा पड़ा और शास्त्री को केबिनेट में वापस बुला लिया गया। कुलदीप भी उनके सूचना अधिकारी के रूप में लौट आया।

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