शास्त्री जी ने जूस वाले को अपनी जेब से पैसे निकालकर दिए

गृहमंत्री एवं प्रधानमंत्री का पदभार संभालने वाले लाल बहादुर शास्त्री (lal bahadur shastri) की सादगी का एक किस्सा आपको पढ़ाते हैं। इस किस्से काे कुलदीप नैयर ने अपनी किताब में भी लिखा है। उन्हाेंने लिखा है कि अन्य नेताओं की तुलना में शास्त्री जी बहुत सीधे सादे व्यक्तित्व के थे। लिखा कि एक घटना मेरी आंखों के सामने घटी। तब शास्त्री जी गृहमंत्री थे। कुतुब में एक कार्यक्रम के बाद कार से वापस लौट रहे थे। हमेशा की तरह एक सुरक्षा गार्ड एम्बेसेडर कार की अगली सीट पर बैठा हुआ था। उन दिनों प्रधानमंत्री नेहरू समेत सभी मंत्री एम्बेसेडर कार में ही यात्रा करते थे।

बकौल कुलदीप कार जब वहां पहुंची जहां आज ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइसिंस (एम्स) स्थित है, तो रेलवे का फाटक बन्द होने के कारण हमारी कार को रुकना पड़ गया। शास्त्री ने देखा कि कुछ ही दूर गन्ने के रस की एक दुकान थी। उन्होंने कहा, “क्यों न फाटक खुलने तक गन्ने के रस का एक-एक गिलास पी लिया जाए?” इससे पहले कि कोई कुछ कह पाता, वे कार से नीचे उतर गए और उनके पीछे-पीछे मैं भी उतर पड़ा। हम दोनों ने एक-एक गिलास गन्ने का रस पीया । शास्त्री ने पैसे चुका दिए। हैरानी की बात थी कि किसी ने भी हमें पहचाना नहीं, दुकान वाले ने भी नहीं। उसे क्या पता था कि देश का गृहमंत्री (और भविष्य का प्रधानमंत्री) खुद कार से उतरकर उसका गन्ने का रस पीने आया था और पैसे भी खुद उसी ने दिए थे।

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