लेखक :- डॉ. विशेष गुप्ता,वरिष्ठ समाजशास्त्री और स्तंभकार
up government news: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी PM Narendra Modi ने अपने करीब एक दशक के कार्यकाल में देश में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से बाहर आने को ऐतिहासिक बताया है। वे इस बावत रामराज्य से जुड़े सुशासन के चार स्तंभों की भी चर्चा करते हैं, जिनमें हर नागरिक का सम्मान हो, उनके साथ समान व्यवहार रहे, हर कमजोर की सुरक्षा हो और धर्म यानि कर्तव्य सर्वोपरि माना जाए। दरअसल, कुछ ही दिन पूर्व नीति आयोग की ओर से मल्टीडाइमेंशनल पॉवर्टी इन इंड़िया ﴾एमपीआई﴿ नाम से एक रिपोर्ट जारी हुई है। इस रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि विगत नौ वर्षों में 24.82 करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी के दायरे से बाहर आए हैं। up government news
देश की 138 करोड़ आबादी को केंद्र में रखकर इसका एमपीआई तैयार किया गया है। नीति आयोग ने एमपीआई की गणना करने के लिए बारह संकेतकों को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया है। इनमें पोषक तत्व, बाल मृत्यु दर, माताओं की सेहत, बच्चों के स्कूल जाने की उम्र, स्कूल में बच्चों की उपस्थिति, रसोई ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपदा व बैंक खाता जैसे संकेतक शामिल हैं। एमपीआई के इन संकेतकों में प्रति व्यक्ति आय को शामिल नहीं किया गया है।
इन संकेतकों के आधार पर जो तथ्य सामने आए हैं, उनसे साफ होता हे कि 2013-14 के वित्तीय वर्ष में देश में 29.17 प्रतिशत आबादी एमपीआई की गणना के हिसाब से गरीब थी। पर 2022-23 में इसी एमपीआई की गणना में देश में अब केवल 11.28 प्रतिशत ही गरीब रह गए हैं। यानी विगत नौ वर्षों में 17.89 प्रतिशत लोग गरीबी की सीमा रेखा से बाहर आए। रिपोर्ट ने यह भी साफ किया है कि एमपीआई के मानकों के हिसाब से देश में अब केवल 15 करोड़ लोग ही गरीब रह गए हैं। ये वे लोग हैं जिनको केंद्र व प्रदेश की गरीबी उन्मूलन के लिए संचालित योजनाओं का अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया है।
नीति आयोग Niti Aayog के गरीबी से जुड़े आंकड़ों में राज्यों का प्रदर्शन अलग-अलग रहा है। इन के आधार पर गरीबी कम करने में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर रहा है, जहां विगत नौ वर्षों में तकरीबन छह करोड़ लोग बहुआयामी गरीबी की सीमा रेखा से बाहर आये हैं। वहीं, दूसरी ओर बिहार में यह आंकड़ा 3.77 करोड़, मध्य प्रदेश में 2.30 करोड़ व राजस्थान में यह आंकड़ा केवल 1.87 करोड़ पर आकर ठहर गया। गरीबी के मामले में यदि उत्तर प्रदेश की बात करें तो यह देश में गरीबों की संख्या में सबसे बड़ी गिरावट है। सालाना आंकड़ों के आधार ज्ञात हुआ है कि उत्तर प्रदेश में वर्ष 2013-14 में जहॉ 42.59 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे थे,वहीं 2022-23 में यह आंकड़ा घटकर 17.40 प्रतिशत रह गया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ UP CM Yogi Adityanath ने इस अप्रत्याशित उपलब्धि का श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कुशल नेतृत्व, और उनकी प्रभावी नीतियों को दिया है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि बहुआयामी गरीबी उन्मूलन की दिशा में भारत के विकास की यात्रा में उत्तर प्रदेश ने एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। निश्चित ही इस राष्ट्रीय उपलब्धि में उत्तर प्रदेश का यह महत्वपूर्ण योगदान कहा जा सकता है। इसलिए यहां यह कहने में कोई अतिश्योक्ति नही कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश अब बीमारू की श्रेणी से बाहर आकर देश की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन रहा है। प्रति व्यक्ति आय यहां दोगुनी हुई है।up government news
देश की आजादी के बाद का इतिहास साक्षी है कि उस समय देश की दो तिहाई आबादी गरीबी की जद में थी। इसके बावजूद भी कई दशकों तक देश में अनेक आयामों के साथ गरीबी की परिभाषाएं बदलती रहीं। इससे गरीबी उन्मूलन से जुड़ी नीतियां भी प्रभावित हुईं। सरकारें आती-जाती रहीं, मगर गरीबी उन्मूलन को लेकर काई ठोस नतीजा नहीं निकला। देश व प्रदेश की सरकारों के नौ साल के कालखंड में गरीबी उन्मूलन से जुड़ी बहुआयामी योजनाओं को धरातल पर उतारने से ही नीति आयोग की यह रिपोर्ट सामने आई है।
बड़ी बात यह कि आज कई वैश्विक संस्थाएं और उनकी रिपोर्ट भी यह कह रही हैं कि आज भारत दुनिया की पांच सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था वाले समूह में शामिल है। देश में आज एक लाख से भी अधिक स्टार्टअप और 111 यूनिकॉर्न हैं। कारोबार व निवेश के मामले में आज भारत दुनिया का सबसे भरोसेमंद देश है। डिजिटल इकोनॉमी के साथ-साथ भारत भविष्य की संभावनाओं का लाभ उठाने के मामले में भी सर्वश्रेष्ठ देशों की सूची में शामिल हो गया है। Yogi’s UP shine seen in MPI
लेखक :- डॉ. विशेष गुप्ता,वरिष्ठ समाजशास्त्री और स्तंभकार